Noida News : भारत में दहेज प्रथा सदियों से चली आ रही है। लड़की के जन्म लेने के बाद से ही परिजन सोचने लगते हैं, दहेज में क्या देंगे? 21वीं सदी में पहुंचने के बाद भी लोगों की सोच नहीं बदल रही। हर दिन दहेज लोभी चंद पैसों के लालच में बहुओं को प्रताड़ित करते हैं। गौतमबुद्ध नगर भी इस बीमारी से अछूता नहीं है। जिले में दहेज एक्ट के तहत दर्ज मुकदमों की बात की जाए तो साल 2022 में 433 मामले सामने आए थे। साल 2023 के सिर्फ तीन महीनों में 92 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। यह बहुत बड़ा आंकड़ा है। योगी आदित्यनाथ सरकार 'मिशन शक्ति' के तहत महिला सुरक्षा पर काम कर रही है। दूसरी तरफ महिलाएं दहेज उत्पीड़न के आंकड़े आईना दिखाते हैं कि महिलाएं तो घर में ही सुरक्षित नहीं हैं।
एक नजर साल 2022 के आकड़ों में
बीते साल 2022 की बात की जाए तो जिले के विभिन्न थानों में करीब 433 मुकदमे पंजीकृत किए गए हैं। बिसरख थानाक्षेत्र में सबसे अधिक 24 मामले सामने आए हैं। दूसरे नंबर पर 22-22 मुकदमों वाले दादरी और जेवर थाने हैं। वहीं, तीसरे नंबर पर जारचा थानाक्षेत्र है। वहां 20 मामले सामने से आए हैं। महिला थाने की बात की जाए तो वहां 187 शिकायतें पीड़ित महिलाओं ने दर्ज करवाई हैं। पुलिस कमिश्नरेट से मिली जानकारी के मुताबिक 433 दर्ज मामलों में से 322 मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी हैं। पुलिस ने 60 मामले खत्म करते हुए फाइनल रिपोर्ट दाखिल की हैं। वहीं, अभी भी 51 मामले पेंडिंग पड़े हैं। उनमें पुलिस जांच कर रही है।
2023 में कितने मुकदमे दर्ज हुए
इस साल के 3 महीनों की बात की जाए तो दहेज एक्ट के तहत करीब 92 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। दर्ज मामलों में सबसे ज्यादा बिसरख थानाक्षेत्र से ही 6 केस हैं। महिला थाना में 31 मुकदमे पंजीकृत हो गए है। वहीं, जिले में चार ऐसे थाने हैं, जहां 3 महीनों में कोई मुकदमा पंजीकृत नहीं हुआ है। नोएडा के थाना फेस-1, थाना सेक्टर-20, थाना एक्सप्रेसवे और ग्रेटर नोएडा के थाना ईकोटेक-1 शामिल हैं। इस साल के 92 मामलों में से 6 मामले खत्म हो चुके हैं और 27 मामलों पर चार्जशीट दाखिल हो चुकी हैं। वहीं, अभी 59 मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं।
बोर्ड परीक्षा में लड़कियां बनीं नंबर-1
आपको बता दें कि कल हाईस्कूल और इंटर बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम आया है। जिसमें लड़कियों ने परचम लहराया है। हर साल की तरह इस साल भी गौतमबुद्ध नगर जिला हो या प्रदेश, दोनों जगह लड़कियां ही नंबर वन बनी हैं। इसके बावजूद लोगों की सोच बदलती नहीं दिख रही है। आप अंदाजा इससे भी लगा सकते हैं कि बीते 3 महीनों में बच्चियों के साथ रेप के 50 से अधिक मामले सामने आए हैं। वहीं, दहेज एक्ट के तहत 92 से अधिक मामले जिले में दर्ज किए गए हैं।
क्या है दहेज एक्ट
दहेज निषेध अधिनियम-1961 (Dowry Prohibition Act, 1961) दहेज की प्रथा को रोकने और खत्म करने के मकसद से लाया गया था। इस अधिनियम के तहत दो खास सेक्शन हैं। सेक्शन-3 और सेक्सन-4 के तहत दहेज लेना और देना दोनों अपराध हैं। दोषी पाए जाने वालों पर 15 हजार रुपये तक का जुर्माना और 5 साल की सजा सुनाई जा सकती है।