Tricity Today | 37 वर्ष की सेवा में गढ़े कई कीर्तिमान
भारतीय रेल सेवा के 37 वर्षों में नॉर्दर्न रेलेवे के प्रिंसिपल चीफ मैटेरियल मैनेजर रामलाल ने कई कीर्तिमान गढ़े हैं। नई दिल्ली के बड़ौदा हाउस स्थित मुख्यालय में सेवाएं दे रहे रामलाल 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो गए। वह रेलवे में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। रायबरेली जिले के लालगंज की मार्डन रेल कोच फैक्ट्री की नींव रखवाने वाले रामलाल ने पूरी शिद्दत के साथ इस परियोजना को सिरे चढ़ाया। यही कारण है कि आज भी यहां के कर्मचारी और आसपास के लोग उन्हें याद करते हैं। उन्होंने रेलवे में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।
नॉर्दर्न रेलवे के प्रिंसिपल चीफ मैटेरियल मैनेजर रामलाल नई दिल्ली के बड़ौदा हाउस स्थित मुख्यालय में अपनी सेवाएं दे रहे थे। उनका जन्म 20 अप्रैल 1961 को हुआ था। उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीएससी की डिग्री हासिल की थी। पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर किया। वह 1983 बैच के इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज के कैंडिडेट हैं और 28 सितंबर, 1985 को भारतीय रेल सेवा ज्वॉइन की। उन्होंने करियर की शुरुआत इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड से की थी। वहां 2 वर्ष तक अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग सर्विसेज परीक्षा के जरिए इंडियन रेलवे स्टोर सर्विस (आईआरएसएस) में अपनी जगह बनाई।
वह साल 1985 से अनवरत अपने दायित्वों का निर्वहन करते रहे हैं। रिटॉयर्मेंट के वक्त वह भारत सरकार के एडिशनल सेक्रेटरी के समकक्ष पद पर तैनात थे। रामलाल ने भारतीय रेल में कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं। उनकी बेहतरीन सेवाओं के लिए भारत सरकार के रेल मंत्रालय ने उन्हें कई बड़े पदकों से नवाजा। साल 2020-21 के रेल मंत्री राजभाषा रजत पदक के लिए उन्हें चुना गया और उन्हें सम्मानित किया गया। इसके अलावा वर्ष 2002-03 में मिनिस्ट्री ऑफ रेलवे भारत सरकार ने नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया। इसी मंत्रालय द्वारा हिंदी राजभाषा का खिताब जीत चुके हैं। साल 2001-02 में उन्हें नॉर्दन रेलवे के ‘जनरल मैनेजर’का अवार्ड दिया गया।
वर्ष 1997 में उनकी सेवा से प्रभावित होकर भारत सरकार ने उन्हें ‘इन्वेंटरी कंट्रोल शील्ड’पदक से नवाजा था।
रामलाल हिंदी, अंग्रेजी और पंजाबी भाषाओं पर अच्छी पकड़ रखते हैं। इसके अलावा बंगाली का भी ज्ञान है। बड़ौदा हाउस के कर्मचारी उनके कुशल व्यवहार के प्रशंसक हैं। सहकर्मियों का कहना है कि उनकी कमी हमेशा खलेगी। वह सच्चे अर्थों में मार्गदर्शक हैं। हमेशा अपना अनुभव हमारे साथ साझा करते रहते हैं। जरूरत के वक्त उचित मार्गदर्शन देते हैं। वह जहां भी रहे, उनके काम को लोग आज भी याद करते हैं। रायबरेली जिले की लालगंज मार्डन रेल कोच फैक्ट्री की नींव रखवाने वालों में वह शामिल रहे हैं। उनकी कार्यशैली को लोग आज भी याद करते हैं। उन्होंने इस परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए दिन-रात काम किया। आज यहां कोच बनकर पूरे देश में जा रहे हैं।
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