ठाकुरद्वारा में समाजवादी पार्टी के सामने भाजपा की चुनौती फीकी, आसान नहीं फतह, VIDEO

कौन जीतेगा यूपी : ठाकुरद्वारा में समाजवादी पार्टी के सामने भाजपा की चुनौती फीकी, आसान नहीं फतह, VIDEO

ठाकुरद्वारा में समाजवादी पार्टी के सामने भाजपा की चुनौती फीकी, आसान नहीं फतह, VIDEO

Tricity Today | ठाकुरद्वारा में ग्राउंड रिपोर्टिंग

कौन जीतेगा यूपी! आज आपको मुरादाबाद जिले की ठाकुरद्वारा विधानसभा सीट का दौरा करवाते हैं। फिलहाल यहां समाजवादी पार्टी का कब्जा है और जेल में बंद पूर्व कबीना मंत्री आजम खान के नजदीकी नवाब जान यहां से विधायक हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच देखने को मिली थी। जिसमें कामयाबी सपा ने हासिल की थी। पिछले चुनाव में इस सीट पर वोटरों की संख्या 3,43,748 थी। समाजवादी पार्टी को 1,07,865 वोट मिले थे। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी राजपाल सिंह चौहान को 94,456 वोट मिले थे। इस तरह करीब 13 हजार वोटों के फासले से भाजपा यह मुकाबला हार गई थी।



बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी विजय यादव ने 39,821 और एआईएमआईएम के प्रत्याशी एजाज अहमद ने 9,444 वोट हासिल किए थे। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया मार्क्सिस्ट और राष्ट्रीय लोकदल कोई खास असर नहीं छोड़ पाए थे। इसके बावजूद अल्पसंख्यक मतों में अच्छा-खासा विभाजन हुआ था, लेकिन फिर भी भारतीय जनता पार्टी को फायदा नहीं मिल पाया था।

ठाकुरद्वारा विधानसभा सीट पर अल्पसंख्यक, दलित, राजपूत, जाट वोटरों की अच्छी संख्या है। इनके अलावा ब्राह्मण, वैश्य, यादव, गुर्जर और सैनी बिरादरी के वोटर भी हैं, लेकिन इन जातियों के मतदाता परिणाम बदलने की हैसियत में नहीं हैं। सीट पर हार-जीत का पूरा गणित अल्पसंख्यक, दलित और राजपूत मतदाताओं के हाथों में है।

अब अगर आने वाले विधानसभा चुनाव की बात करें तो समाजवादी पार्टी का ही पलड़ा भारी नजर आ रहा है। इसके पीछे कई फैक्टर हैं। इस बार मुसलमान मतदाता पूरी तरह समाजवादी पार्टी के साथ खड़ा दिखता है। दरअसल, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मोहम्मद आजम खान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। जिसे लेकर मुस्लिम वोटरों में रोष नजर आता है। किसान आंदोलन के चलते जाट मतदाताओं में विरोध है। रालोद और सपा में गठबंधन हो गया है। सम्राट मिहिरभोज को लेकर ठाकुर और गुर्जर समाज के बीच हुए गतिरोध का असर भी दिखता है। हालांकि बड़ी संख्या में गुर्जर वोटर भाजपा के साथ ही खड़े नजर आते हैं। दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी बेहद कमजोर दिख रही है। एआईएमआईएम को लेकर भी मुसलमान वोटर सतर्क हैं। कुल मिलाकर आने वाले विधानसभा चुनाव में एक बार फिर मुकाबला समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच ही देखने को मिलेगा।

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