बिजनौर में भाजपा की राह कठिन और मुसलमानों की लामबंदी से सपा-रालोद मजबूत, VIDEO

कौन जीतेगा यूपी : बिजनौर में भाजपा की राह कठिन और मुसलमानों की लामबंदी से सपा-रालोद मजबूत, VIDEO

बिजनौर में भाजपा की राह कठिन और मुसलमानों की लामबंदी से सपा-रालोद मजबूत, VIDEO

Tricity Today | बिजनौर जनपद में ग्राउंड रिपोर्टिंग

कौन जीतेगा यूपी! आज हम आपको बिजनौर सदर सीट पर लेकर चलेंगे। आजादी के बाद जब 1952 में पहली बार उत्तर प्रदेश असेंबली के लिए चुनाव करवाया गया था तो बिजनौर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी। तब से लेकर अब तक यहां 17 बार चुनाव करवाया जा चुका है। यह देश की उन चुनिंदा सीटों में से एक है, जहां से महिला विधायक चुनी गई थीं। यहां से 1952 और 1957 में चंद्रवती विधायक चुनी गई थीं।



इस सीट पर अल्पसंख्यक, वैश्य, जाट, ब्राह्मण, सैनी और दलित मतदाताओं की संख्या संतुलन में है। हार-जीत के लिए कम से कम 3 समुदायों के वोटरों का समर्थन जरूरी होता है। अगर 2017 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी की सुचि चौधरी और समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी रुचि वीरा के बीच टक्कर हुई थी। भाजपा प्रत्याशी को 1,05,548 और समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार को 78,267 वोट मिले थे। बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी राशिद अहमद को 49,788 वोट मिले थे।

अब अगर आने वाले विधानसभा चुनाव की बात करें तो समीकरण थोड़े बदल गए हैं। इस बार रुचि वीरा बहुजन समाज पार्टी की उम्मीदवार होंगी। हाल ही में उन्हें बसपा ने बिजनौर विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन हो चुका है। बिजनौर में गठबंधन का उम्मीदवार कौन होगा? इसे लेकर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और आरएलडी चीफ जयंत चौधरी के बीच बातचीत चल रही है। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर सिटिंग विधायक सुची चौधरी पर ही दांव लगाएगी।

अगर वोटरों के रुझान की बात करें तो इस बार अल्पसंख्यक मतदाता पूरी तरह समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन के साथ खड़ी नजर आ रहे हैं। जाट मतदाताओं में किसान आंदोलन के चलते भारतीय जनता पार्टी के प्रति नाराजगी नजर आती है। ऐसे में यह दोनों वजह बिजनौर सीट पर भाजपा की राह का रोड़ा बन सकती हैं। पिछली बार की तरह बहुजन समाज पार्टी दलितों के अलावा किसी दूसरे वर्ग में पैंठ बनाती नहीं दिखती। यहां कांग्रेस का असर भी नहीं की बराबर है। कुल मिलाकर आने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और सपा-रालोद गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला देखने के लिए मिल सकता है।

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