कौन जीतेगा यूपी ! चमरौआ विधानसभा सीट पर 2017 के विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या 2,99,126 थी। यहां मुकाबला समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी नसीर अहमद खान और बहुजन समाज पार्टी के यूसुफ़ अली के बीच था। भारतीय जनता पार्टी तीसरे नंबर पर थी। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को 87,400 और बसपा उम्मीदवार को 53,024 वोट मिले। जबकि भाजपा प्रत्याशी मोहन कुमार लोधी को 50,954 वोट मिले थे। अल्पसंख्यक वोटरों में अच्छा-खासा बंटवारा हुआ लेकिन फिर भीभाजपा को कामयाबी नहीं मिली। सपा उमीदवार ने 34,376 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी।
सपा ने बसपा से छीनी यह सीट
हम आपको एक जानकारी और देना चाहेंगे। वर्ष 2008 में हुए नए परिसीमन के तहत यह सीट बनाई गई थी। 2012 में यहां पहली बार चुनाव करवाया गया और सीट पर बहुजन समाज पार्टी के यूसुफ़ अली ने कब्जा कर लिया था। 2017 के चुनाव में यह सीट समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी से छीनी थी।
आने वाले चुनाव में सपा को चुनौती नहीं
अब अगर आने वाले विधानसभा चुनाव की बात करें तो सुआर विधानसभा सीट पर अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या 50% से ज्यादा है। इस बार मुसलमान वोटर पूरी तरह समाजवादी पार्टी के साथ खड़े नजर आते हैं। मोहम्मद आजम खान के जेल जाने का असर है। इससे अल्पसंख्यक वोटरों में गुस्सा है। इस सीट पर लोधी, दलित, सैनी, सरदार कई और पिछड़ी जातियों के वोटर हैं। लेकिन जीत-हार के गणित पर मुसलमान वोटरों का काबू है। इस बार बहुजन समाज पार्टी बेहद कमजोर है। लिहाजा, आने वाले चुनाव में मुकाबला समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच देखने को मिल सकता है। इस सीट के समीकरणों के बारे में लोगों का कहना है, मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। हालांकि, पलड़ा समाजवादी पार्टी का ही भारी है। दरअसल, रामपुर जिले में सदर, सुआर और चमरौआ विधानसभा क्षेत्रों में मोहम्मद आज़म खान का बड़ा असर है। तीनों सीट पर मुसलमान वोटरों की संख्या आधे से ज्यादा है।