जमीन के 20 फीट नीचे 10 वर्षों में तराशा सपनों का महल, आनंद महिंद्रा ने भी की सराहना

हरदोई से दिलचस्प खबर : जमीन के 20 फीट नीचे 10 वर्षों में तराशा सपनों का महल, आनंद महिंद्रा ने भी की सराहना

जमीन के 20 फीट नीचे 10 वर्षों में तराशा सपनों का महल, आनंद महिंद्रा ने भी की सराहना

Google Image | आनंद महिंद्रा

Hardoi News : कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों...। हिन्दुस्तान के मशहूर शायर बशीर बद्र की इन पंक्तियों को मोहल्ला खेड़ा बीबीजेई के आशिक ने चरितार्थ कर दिखा दिया है। आशिक ने आसमान में तो नहीं, लेकिन खुरपी व फावड़े से 10 सालों में मिट्टी का एक किला तैयार कर दिया। उनके इस अद्भुत कार्य की आनंद महिंद्रा ने भी इंटरनेट मीडिया पर तारीफ की है। ट्वीट कर उन्होंने लिखा है कि यह आदमी एक मूर्तिकार है, हमें उनके जैसे जुनूनी वास्तुकारों की जरूरत है।

बारिश में धुल गई दीवारों पर उकेरी गई डिजाइन
मोहल्ला खेड़ा बीबीजई अख्तियारपुर रोड पर मां संकटा देवी का मंदिर है। रोड से पश्चिम की ओर जाने वाले रास्ते पर एक बहुत ऊंचा खेड़ा है। यहां पर खेड़ा काटकर मिट्टी का एक किला तैयार किया गया है। बीबीजई के रहने वाले पप्पू नाम के इस शख्स को लोग आशिक अल्लाह हिंदुस्तानी के नाम से भी जानते हैं। इसने घर से दूर अपनी जमीन पर खेड़े को काटकर एक किला तैयार कर दिया। पिछले 10 वर्षों से आशिक हिंदुस्तानी खुरपी और फावड़े के सहारे किले को तैयार कर रहा है। 10 साल के बाद भी उनके जुनून का अंत नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि वह वाटर लेवल तक जाकर काम करेंगे। मिट्टी के इस किले में चारों तरफ डिजाइन की गई, लेकिन भारी बारिश के चलते ज्यादातर डिजाइन धुल गई है। 

किले में हैं दो गेट
इस किले में दो गेट उनके द्वारा तैयार किए गए हैं। एक गेट से प्रवेश है और दूसरे गेट से निकास है। इसके अतिरिक्त इसी 20 फीट गहरी सुरंग में उन्होंने अपने सजदा करने का स्थान भी बनाया है। 20 फीट की गहराई में खुरपी और फावड़े से जितनी भी खुदाई की गई है, वहां कहीं पर मिट्टी को धसकने से रोकने के लिए इंतजाम नहीं है। हैरानी की बात यह है कि भयंकर बारिश में भी मिट्टी नीचे नहीं धसकी। आनंद महिंद्रा ने ट्वीट कर आशिक की सराहना करते हुए कहा कि हरदोई में एक सख्श ने 12 साल की अवधि में यह भूमिगत घर बनाया। वह आदमी एक मूर्तिकार है। हमें उसके जैसे कई और नवोन्मेषी और जुनूनी वास्तुकारों की जरूरत है।

2011-12 में शुरू किया था किले का कार्य
आशिक अल्लाह हिंदुस्तानी ने वर्ष 2011-12 में जुनून सवार होने के बाद उसे जमीन पर उतारने का कार्य प्रारंभ किया था। लगभग 10 वर्ष बीत जाने के बाद किला, उसके अंदर सुरंग, मस्जिद और तिरंगा झंडा तैयार किया है।

वाटर लेवल तक कार्य करना चाहता है आशिक
मिट्टी के इस खेड़े को खुरपी से खोदकर किले का रूप देने वाले आशिक 20 फीट गहरी सुरंग बनाने के बाद यहीं पर नहीं रुके। उनका कहना है कि वह वाटर लेवल तक जाकर कुछ न कुछ और नया बनाएंगे। इस किले में बनाई गई सुरंग में जाने से लोग काफी झिझकते हैं, लेकिन आशिक अल्लाह हिंदुस्तानी इस सुरंग में बेफिक्री से नमाज अदा करते हैं। पूरा दिन गुजारते हैं और उसके बाद रात्रि में विश्राम भी यही करते हैं।

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