Uttar Pradesh : स्वतंत्रता संग्राम में एटा जिले के लोगों का बड़ा योगदान रहा। यहां के कई गांवों ने बड़े-बड़े फ्रीडम फाइटर दिए हैं। ऐसे ही एक बड़े नाम वाले स्वतंत्रता सेनानी नबाब सिंह यादव थे। नवाब सिंह ने अंग्रेजों को खुलकर चुनौती दी। कई मर्तबा जेल गए। जेल से छूटकर आते और फिर आजादी की जंग में जुट जाते थे। उन्होंने अपने पूरे गांव को ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ खड़ा कर दिया था। गांव के हर घर में कोई ना कोई सदस्य राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ा था। उनके गांव लाल गढ़ी के 11 लोगों को अंग्रेजों ने पकड़कर जेल भेजा था। चौधरी नवाब सिंह आजादी के बाद राजनीति में आए। उन्होंने उत्तर प्रदेश विधान परिषद में आगरा समेत आसपास के 5 जिलों का लम्बे समय तक प्रतिनिधित्व किया। वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और चौधरी चरण सिंह के निकट थे।
नवाब सिंह के गांव में हर घर क्रांतिकारी था
नवाब सिंह यादव के बेटे और पूर्व सांसद कैलाश यादव ने बताया कि पिताजी ने आजादी की लड़ाई में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। वह महात्मा गांधी के आह्वान पर 1942 में अंग्रजों भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े थे। सरकार के खिलाफ लड़ने के आरोप में उन्हें 17 लोगों के साथ जेल भेजा था। उनमें हमारे गांव लाल गढ़ी के 11 लोग थे। भारत के प्रसिद्ध कवि बलवीर सिंह रंग भी पिताजी के साथ उसी समय जेल में बंद थे। बाद में सभी को सजाएं हुई थीं। किसी को 6 महीने की सजा हुई तो किसी को 8 महीने की सजा सुनाई गई थी। मेरे पिताजी को 6 महीने की सजा हुई थी। उसके बाद वह दोबारा पकड़े गए थे और एक साल की सजा हुई थी। 25 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। उस समय 25 रुपये पूरे गांव के पास नहीं होते थे। लालगढ़ी एक ऐसा गांव है, जहां के फ्रीडम फाइटरों जैसे कारनामे पूरे उत्तर प्रदेश में नहीं मिलेंगे।
आंधी ना आती तो आंवलखेड़ा में हो जाते शहीद
नबाब सिंह को मेहता लाइब्रेरी की छत से गिरफ्तार किया गया था। उनको टेलीफोन लाइन के तार काटकर संचार सेवा ठप करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उसके बाद आंवलखेड़ा में अंग्रेजों के साथ गोली चली थी। उसमें 14 आदमी मारे गए थे। जब अंग्रेज पुलिस ने क्रांतिकारियों को घेरकर फायरिंग की तो ठीक उसी वक्त आंधी आ गई। पिताजी आंधी का फायदा उठाकर भाग निकले थे।
आजादी के बाद लंबी राजनीतिक पारी खेली
आजादी के बाद चौधरी नबाब सिंह राजनीति में आए। वह आगरा मंडल के 5 जिलों से एमएलसी रहे। वे पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे आगरा, मथुरा और मैनपुरी से भी एमएलसी रहे। चौधरी नवाब सिंह यादव 1957 से 1977 तक लगातार एटा, मैनपुरी, आगरा सीट से एमएलसी रहे। सन 1974 में कांग्रेस सरकार में नगर विकास मंत्री रहे थे। करीब 35 साल तक जिला कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन रहे और 8 साल तक पीसीएफ के चेयरमैन रहे थे। कैलाश यादव कहते हैं, इस दौरान एटा जिले के सबसे सीनियर स्वतंत्रता सेनानी महावीर सिंह राठौर और बाबूराम वर्मा थे। उसके बाद होतीलाल दास, टुंडमाल, ईश्वरी सिंह और जैथरा के खां साहब थे। एटा में स्वतंत्रता की लड़ाई में मुसलमानों का बहुत बड़ा योगदान था। कई दिग्गज मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी रहे। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है, जिसके तहत हर घर तिरंगा अभियान चला रही है।