योगी के गोरखपुर में साथ बह रही संस्कृति, रोजगार और विरासत के सम्मान की 'गंगा'
एक साथ चल रहा विश्व प्रसिद्ध खिचड़ी मेला, शिल्प मेला और खादी-ग्रामोद्योग मेला
आस्था की खिचड़ी में मुख्यमंत्री नहीं, मेजबान बनकर ख्याल रखते हैं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ
मेलों में युवाओं को मिल रहा संस्कृति का मंच तो प्रदेश के व्यापारियों को रोजगार के अवसर
हाल में ही गोरखपुर महोत्सव में उतरा था पूरा भारत
Gorakhpur : गोरक्षभूमि में इन दिनों संस्कृति, रोजगार और विरासत के सम्मान की 'गंगा' बह रही है। यह संयोग है कि मकर संक्रांति पर यहां विश्व प्रसिद्ध खिचड़ी मेला, शिल्प मेला और खादी-ग्रामोद्योग मेला चल रहा है। इन मेलों के जरिये जहां युवाओं को सांस्कृतिक मंच तो वहीं हस्तशिल्पियों को बाजार मिल रहा है। यानी आस्था की खिचड़ी चढ़ाने कई राज्यों से आये लोग योगी के गोरखपुर में संस्कृति के अनेक रूपों के दर्शन भी कर रहे हैं तो त्योहार के समय छोटे व्यापारियों को बड़ा बाजार भी मिल रहा है। यहां आस्था की खिचड़ी चढ़ाने आने वाले श्रद्धालु मुख्यमंत्री (गोरक्षपीठाधीश्वर) के मेजबान रूप से अभिभूत दिखते हैं।
पहले गोरखनाथ बाबा को आस्था की खिचड़ी, फिर मेले में मनोरंजन
गोरखनाथ मंदिर में न सिर्फ भारत के विभिन्न प्रांतों, बल्कि नेपाल से भी खिचड़ी चढ़ाने श्रद्धालु आते हैं। भोर में गोरक्षपीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खिचड़ी चढ़ाते हैं। इसके बाद श्रद्धालुओं की तरफ से खिचड़ी चढ़ाई जाती है। खिचड़ी प्रसाद के बाद लोग मेले का भी लुत्फ उठाते हैं। इस मेले में कई राज्यों के खानपान का आनंद भी उठाया जा सकता है।
मेजबान गोरक्षपीठाधीश्वर मेहमानों का रखते हैं ध्यान
वरिष्ठ पत्रकार राजीव दत्त पाण्डेय ने बताया कि खिचड़ी की परंपरा यहां सदियों से चली आ रही है। मेले में आये श्रद्धालुओं और आगंतुकों का गोरक्षपीठाधीश्वर व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मेजबान बनकर ध्यान रखते हैं। मकर संक्रांति के पहले वह न सिर्फ व्यवस्था की जानकारी लेते हैं, बल्कि इस दौरान मंदिर परिसर में आये लोगों की व्यवस्था-सुरक्षा की भी चिंता करते हैं। खिचड़ी मेले में बुजुर्गों, युवाओं, महिलाओं, बच्चों सभी के मनोरंजन की व्यवस्था रहती है। मेले में काफी भीड़ उमड़ती है, लिहाज़ा सुरक्षा को लेकर भी गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ काफी सजग रहते हैं और खुद इसकी देखरेख करते हैं।
शिल्प मेले में हस्तशिल्पियों को मिल रहा बाजार
गोरखपुर महोत्सव के उपरांत चंपा देवी पार्क में शिल्प मेला भी चल रहा है। इस मेले में भी तमिलनाडु पापड़, राजस्तानी अचार, भदोही की कालीन, जयपुर की वुलेन कुर्ती, क्रॉकरी, बांस के आइटम (सुल्तानपुर), टेराकोटा, प्रतापगढ़ का आंवला आदि उत्पादों के लिए मंच मुहैया कराया गया है। अमेठी के महाराजा हस्तकला के रामगोपाल यादव कहते हैं कि गोरक्ष बाबा की कृपा है कि यह मेला हमें बाजार के दृष्टिकोण से काफी समृद्ध करता है। इस मेले में नवोदित कलाकारों की तरफ से शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बयार बहती है। लोकरंग, सबरंग, कवि सम्मेलन आदि के जरिये यह मेला संस्कृति का भी वाहक बनता है।
खादी-ग्रामोद्योग मेले का भी दीदार कर रहे खरीदार
राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज में खादी-ग्रामोद्योग मेला भी चल रहा है। यहां भी हस्तशिल्पियों को बाजार मिल रहा है। कन्नौज का इत्र हो या उत्तराखंड की सदरी, जम्मू-कश्मीर के ड्राई फ्रूट समेत विभिन्न राज्यों के स्टॉल लगे हैं। गांधी मंडप के जरिये युवाओं को अतीत से परिचित कराता यह मेला भी बाहर से आये व्यापारियों को बाजार उपलब्ध करा रहा है। 21 जनवरी तक चलने वाले मेले में प्रतिदिन शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिये कलाकारों को प्रतिभा दिखाने का मंच भी मिलता है। यहां लोकगीत, भोजपुरी, अवधि समेत कई कलाकारों के कार्यक्रम भी चार चांद लगाते हैं।
गोरखपुर महोत्सव में उतरा था समूचा भारत
11 से 13 जनवरी तक गोरखपुर महोत्सव का आयोजन किया गया था। 13 जनवरी को समापन अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के 10 रत्नों का सम्मान भी किया था। महोत्सव में समूचा भारत उमड़ पड़ा था। यहां पुस्तक मेला हो या विज्ञान मंच, टैलेंट हंट हो या मुख्य मंच, सभी को अवसर उपलब्ध कराए गए। वहीं, बॉलीवुड के जरिये कैलाश खेर और सोनू निगम ने विपरीत मौसम में भी दर्शकों को झूमा दिया। मालिनी अवस्थी ने भोजपुरी मिट्टी की खुश्बू महकाई तो अग्निहोत्री बंधुओं ने 'भजन गंगा' में डुबकी लगवाई। वहीं, अभिनेता और सांसद रवि किशन ने भी प्रस्तुति दी। लोकरंग-सबरंग में गुजरात, राजस्थान समेत स्थानीय कलाकारों को भी मंच उपलब्ध कराया गया था।