उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के नतीजों से भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है। इस सत्तारूढ़ दल को भारी सियासी नुकसान हुआ है। हालांकि अभी पूरे प्रदेश के जिला पंचायत के परिणाम जारी नहीं हो पाए हैं। लेकिन अब तक के रिजल्ट में भी भाजपा को बड़ा झटका लगा है। अयोध्या, मथुरा और काशी जैसे जिले भाजपा की पकड़ से छूट गए हैं। समाजवादी पार्टी का दावा है कि इन जिलों में उसने बीजेपी को करारी मात दी है। हालांकि बीजेपी ने भी सोमवार को दावा किया है कि वह यूपी पंचायत चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर नंबर वन पर है। लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा फाइनल रिजल्ट जारी होने के बाद ही सही स्थिति का पता चल सकेगा।
अयोध्या, मथुरा और काशी को गंवाना बीजेपी के लिए बेहद नुकसानदेह है। दरअसल योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही इन तीनों जिलों के विकास की रूपरेखा बना रहे थे। इसके लिए खाका तैयार किया गया था और इन जिलों को अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध कराई गई थी। तीनों को उत्तर प्रदेश में पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जाना है। इसके लिए राज्य सरकार ने खजाने से भरपूर आर्थिक पैकेज इन जिलों को आवंटित किया। बावजूद इसके यहां मिली करारी मात एक बड़ा संदेश दे रही है।
मथुरा के मतदाताओं ने बदली राह
यूपी वेस्ट के प्रमुख जिले और भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा के मतदाताओं को बीजेपी रास नहीं आई। मथुरा में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। हैरान करने वाला तथ्य यह है कि इस जिले में बहुजन समाज पार्टी ने भाजपा को चारों खाने चित्त किया है। बसपा प्रदेश इकाई की तरफ से कहा गया है कि उसके 12 उम्मीदवारों ने मथुरा में जीत का परचम फहराया है। बसपा के अलावा राष्ट्रीय लोकदल का भी दावा है कि उसके उम्मीदवारों ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की है। जबकि सत्तारूढ़ बीजेपी महज 9 सीटों पर सिमट कर रह गई। समाजवादी पार्टी का भी प्रदर्शन यहां कुछ खास नहीं रहा है। उसे सिर्फ एक सीट मिली है। तीन निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी अपना दम दिखाया है। हालांकि सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ है। उसे एक भी सीट नहीं मिली है। खुद कांग्रेस के जिला अध्यक्ष चुनाव हार गए। जानकारों का कहना है कि किसानों की नाराजगी बीजेपी को भारी पड़ी। स्थानीय भाजपा निर्दलीय जिला पंचायत सदस्यों को अपने खेमे का बता रही है।
काशी में लगातार घट रहा है कद
यूपी ईस्ट के प्रमुख धार्मिक जिले और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी भाजपा घुटने पर है। एमएलसी चुनाव के बाद भाजपा को अब जिला पंचायत चुनाव में भी काशी में करारी हार का सामना करना पड़ा है। काशी में जिला पंचायत की 40 सीटों में से भाजपा को सिर्फ 8 सीटें मिली हैं। समाजवादी पार्टी का कहना है कि उसे 14 सीटों पर जीत हासिल हुई है। बहुजन समाज पार्टी ने भी जनपद की 5 सीटों पर विजय अभियान जारी रखा है। वाराणसी में अपना दल (एस) को भी तीन सीटें मिली है। आम आदमी पार्टी और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को एक-एक सीट पर बढ़त मिली है। तीन निर्दलीय प्रत्याशियों ने बाजी मारी है। भाजपा को छोड़कर बाकी सब के लिए फायदे का सौदा रही है। 2015 में भी काशी में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी थी। हालांकि योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाया था। तब पार्टी ने सपा को चारों खाने चित किया था।
श्रीराम की नगर में मिली पटखनी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विकास के एजेंडे में सबसे ऊपर विराजमान अयोध्या में भी भाजपा को शिकस्त झेलनी पड़ी है। अयोध्या में भी जिला पंचायत की कुल 40 सीटें हैं। सपा ने कहा है कि 24 सीटों पर उसकी जीत हुई है। जबकि बीजेपी को जनपद में सिर्फ 6 सीटें मिली हैं। 12 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। स्थानीय राजनीति के जानकारों का कहना है कि बीजेपी के हार की मुख्य वजह उसके अपने बागी हैं। क्योंकि 13 सीटों पर पार्टी के नेताओं को टिकट नहीं दिया गया था। वह निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए थे। जबकि बचाव में बीजेपी की तरफ से कहा गया है कि निर्दलीय उनके साथ हैं। राम की नगरी अयोध्या में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर सपा और भाजपा के बीच जबर्दस्त मुकाबला होगा।
विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल है
उत्तर प्रदेश में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव शुरू हो जाएंगे। करीब 8 महीने पहले संपन्न हुए इन पंचायत चुनाव को 2022 विधानसभा का सेमीफाइनल माना जा रहा था। इसीलिए सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ समाजवादी पार्टी, बीएसपी, कांग्रेस और दूसरे स्थानीय दल इसमें अपनी जमीन तलाश रहे हैं। पार्टियां जिला पंचायत की जीत-हार से ग्रामीण मतदाताओं का मिजाज समझती हैं। अब तक के नतीजों के मुताबिक सपा, भाजपा को कड़ी टक्कर दे रही है। हालांकि कुछ जगहों पर बसपा भी अपना दमखम दिखा रही है। लेकिन अयोध्या, मथुरा और काशी जैसे जिलों की हार योगी सरकार की नींद उड़ाने के लिए काफी है। क्योंकि भाजपा की राजनीति का आधार अयोध्या, मथुरा और काशी ही रहे हैं। इन तीनों जिलों को आधार बनाकर भाजपा पूरे देश में अपना राजनीतिक कद बढ़ाने में जुटी रही। ऐसे में अब इन 3 जिलों में ही उसकी करारी हार बड़ा झटका माना जा रहा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में सपा का असर बढ़ा है। मथुरा में बसपा का नंबर 1 आना इस बात का संकेत है कि मायावती का सियासी असर अभी जिंदा है। यूपी के कई जिलों में उनका वोट बैंक अभी भी सुरक्षित है।