ब्रजेश पाठक बने डिप्टी-सीएम, ऐसे रखा था राजनीतिक दुनिया में कदम, जानिए छात्र नेता से मिनिस्टर तक का सफर

Yogi Adityanath Ministry 2.0 : ब्रजेश पाठक बने डिप्टी-सीएम, ऐसे रखा था राजनीतिक दुनिया में कदम, जानिए छात्र नेता से मिनिस्टर तक का सफर

ब्रजेश पाठक बने डिप्टी-सीएम, ऐसे रखा था राजनीतिक दुनिया में कदम, जानिए छात्र नेता से मिनिस्टर तक का सफर

Tricity Today | ब्रजेश पाठक

Lucknow News : ब्रजेश पाठक को एक बार फिर योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल विस्तार में स्थान दिया गया है। ब्रजेश पाठक ने लखनऊ के भारत रत्न अटल बिहारी वाजपई इकाना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में करीब 75,000 लोगों के बीच जय प्रताप सिंह ने शपथ ली है। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बॉलीवुड हस्तियां, देशभर के 12 मुख्यमंत्री, केंद्रीय कैबिनेट के 20 सदस्य, सन्त-सन्यासी, उद्योगपति, दिग्गज नेता, प्रदेशभर से आए युवा और महिलाएं मौजूद है।

ब्रजेश पाठक का छात्र नेता से कैब‍िनेट मंत्री तक का सफर
उत्‍तर प्रदेश की राजनीत‍ि में ब्रजेश पाठक क‍िसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उत्तर प्रदेश की स‍ियासत में बड़ा ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले ब्रजेश पाठक यूपी बीजेपी में कद्दावर नेता के साथ ही योगी सरकार के पहले कार्यकाल में कैब‍िनेट मंत्री रहे और एक बार फिर उन्होंने कैब‍िनेट मंत्री पद की शपथ ली है। कभी बसपा का एक बड़ा ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले ब्रजेश पाठक ने छात्र नेता से कैब‍िनेट मंत्री तक सफर तय क‍िया है। आइए जानते हैं उनका पूरा इतिहास

कॉलेज से की राजनीतिक जीवन की शुरूआत
ब्रजेश पाठक का जन्म 25 जून 1964 को हरदोई जिले के मल्लावा कस्बे के मोहल्ला गंगाराम में हुआ था। उनके पिता का नाम सुरेश पाठक था। ब्रजेश पाठक ने कानून की पढ़ाई की है, लेक‍िन उन्‍होंने अपने राजनीति जीवन की शुरुआत अपने छात्र जीवन से की है। 1989 में वह लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के उपाध्यक्ष चुने गए थे। इसके बाद 1990 में वह लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। इसके 12 साल बाद वह कांग्रेस में शामिल हुए और 2002 के विधानसभा चुनाव में मल्लावां विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और 130 वोटों के करीबी अंतर से चुनाव हार गये थे।

मायावती के सबसे करीबी थे ब्रजेश पाठक
ब्रजेश पाठक 2004 में कांग्रेस छोड़कर बसपा में शामिल हो गए। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में वह बसपा के टिकट पर उन्नाव संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए। बसपा ने उन्हें सदन में अपना उपनेता बनाया। वहींं, 2009 में मायावती ने ब्रजेश पाठक को राज्यसभा भेज दिया। वह सदन में बसपा के मुख्य सचेतक रहे। 2010 में उनके साले अरविंद त्रिपाठी उर्फ गुड्डू बसपा के समर्थन से उन्नाव लखनऊ स्थानीय निकाय सीट से एमएलसी चुने गए। 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने उनकी पत्नी नम्रता पाठक को उन्नाव सदर विधानसभा सीट से टिकट दिया, लेकिन वह तीसरे नंबर पर रही। मायावती की सरकार के दौरान ब्रजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं, उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में ब्रजेश पाठक उन्नाव लोकसभा सीट से दूसरी बार मैदान में थे, लेकिन मोदी लहर में वह यह चुनाव हार गए थे और तीसरे नंबर पर रहे।

2017 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में एंट्री
उत्तर प्रदेश में होने वाले 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 22 अगस्त 2016 को ब्रजेश पाठक बीजेपी में शामिल हो गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें लखनऊ सेंट्रल विधानसभा सीट से मैदान में उतारा। उन्होंने इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और कैबिनेट मंत्री रहे रविदास मेहरोत्रा को 5,094 वोटों के अंतर से हराया और वह पहली बार व‍िधानसभा पहुंचे। बीजेपी की सरकार बनने के बाद उन्हें कानून मंत्री बनाया गया। ब्रजेश पाठक विधानसभा चुनाव 2022 में 39,512 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है।

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