उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के हिस्सा नहीं लेने पर आज सुप्रीमो मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई दी। इसमें उन्होंने अपनी आगामी रणनीति के बारे में भी चर्चा की। बहन मायावती ने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में जाना ताकत लगाने और ऊर्जा की बर्बादी होगी। यह सत्ता का चुनाव है। इसके बजाय हमने पार्टी को मजबूत बनाने और सर्व समाज में जनाधार बढ़ाने का काम किया है। जब हमारी सरकार बनेगी तो सारे जिला पंचायत अध्यक्ष बसपा में शामिल हो जाएंगे।
यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी में संघर्ष जारी है। कांग्रेस ने भी रायबरेली में अपना उम्मीदवार उतारा है। लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने किसी भी जिले में अध्यक्ष पद की दावेदारी के लिए प्रत्याशी नहीं उतारे। इसको लेकर सवाल उठ रहे थे। इसी संबंध में बसपा प्रमुख मायावती में आज प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा, समाजवादी पार्टी के नक्शे कदम पर चल रही है। इसका खामियाजा उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।
संगठन को मजबूत बनाएं कार्यकर्ता
बसपा ने इस समय प्रदेश में हो रहे ज़िला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को न लड़ने का निर्णय लिया है। पार्टी के लोगों को निर्देश है कि वे इस चुनाव में अपना समय और ताकत लगाने की बजाय पार्टी के संगठन को मजबूत बनाने और सर्व समाज में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने में लगाएं। इस बार उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बन सकेगी। जब यहां बसपा की सरकार बन जाएगी तो ज़िला पंचायत अध्यक्ष खुद ही बसपा में शामिल हो जाएंगे। सवर्णों को साधेगी बसपा
दो दिन पहले ही बसपा ने ऐलान किया था कि वह यूपी और उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। उत्तर प्रदेश में जातिगत समीकरण साधने के लिए सतीश चंद्र मिश्र को एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें बीएसपी मीडिया सेल का राष्ट्रीय कोओर्डिनेटर बनाया गया है। इससे पहले साल 2007 में बहुजन समाज पार्टी सवर्णों के दम से सत्ता हासिल करने में कामयाब रही थी। तब मायावती ने ब्राह्मण-दलित गठजोड़ के फॉर्मूले को अपनाया था। उस फॉर्मूले के सूत्रधार भी सतीश चंद्र मिश्र थे।
सपा-बसपा का गठजोड़ था
एक बार फिर उनके चेहरे को आगे कर बसपा 2007 के रिकॉर्ड को हासिल करने में जुटी है। हालांकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। लेकिन दोनों पार्टियों को करारी हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद बसपा प्रमुख मायावती ने समाजवादी पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए था। उन्होंने कहा था कि सपा का संगठन कमजोर हो गया है। इस वजह से बसपा को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इसके बाद दोनों का गठबंधन टूट गया था।
पहले गठबंधन में लड़ा चुनाव
बिहार में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में BSP और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने मिलकर चुनाव लड़ा था। उसके बाद से ये कयास लगाए जा रहे थे कि यूपी में भी AIMIM और BSP मिलकर विधानसभा चुनाव लडेंगे। इस बारे में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में हलचल तेज थी। लेकिन रविवार को बसपा प्रमुख ने ऐसी खबरों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि, मीडिया के एक न्यूज चैनल में यह खबर प्रसारित की जा रही है कि यूपी में आगामी विधानसभा आमचुनाव औवेसी की पार्टी AIMIM व बीएसपी मिलकर लड़ेगी। यह खबर पूर्णतः गलत, भ्रामक व तथ्यहीन है। इसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है तथा बीएसपी इसका जोरदार खण्डन करती है।
अकेले चुनाव लड़ेगी बसपा
वैसे इस सम्बन्ध में पार्टी द्वारा फिरसे यह स्पष्ट किया जाता है कि पंजाब को छोड़कर, यूपी व उत्तराखण्ड प्रदेश में अगले वर्ष के प्रारंभ में होने वाला विधानसभा का यह आमचुनाव बीएसपी किसी भी पार्टी के साथ कोई भी गठबन्धन करके नहीं लड़ेगी अर्थात् अकेले ही लड़ेगी। बीएसपी के बारे में इस किस्म की मनगढ़न्त व भ्रमित करने वाली खबरों को खास ध्यान में रखकर ही अब बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद सतीश चन्द्र मिश्र को बीएसपी मीडिया सेल का राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बना दिया गया है।
सही जानकारी हासिल करें
साथ ही, मीडिया से भी यह अपील है कि वे बहुजन समाज पार्टी व पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष आदि के सम्बन्ध में इस किस्म की भ्रमित करने वाली अन्य कोई भी गलत खबर लिखने, दिखाने व छापने से पहले एससी मिश्र से उस सम्बंध में सही जानकारी जरूर प्राप्त कर लें। जनहित, जनसुरक्षा व जनकल्याण को संवैधानिक दायित्व स्वीकारते हुए हरियाणा सरकार को फरीदाबाद के खोरी गांव में वर्षों से बसे लोगों को उजाड़ने से पहले उनके पुनर्वास की भी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।