जिले के 13 में से 8 थानों के एसएचओ एक जाति के क्यों? एसपी पर गिर सकती है गाज

सीएम योगी आदित्यनाथ ने डीआईजी से पूछा : जिले के 13 में से 8 थानों के एसएचओ एक जाति के क्यों? एसपी पर गिर सकती है गाज

जिले के 13 में से 8 थानों के एसएचओ एक जाति के क्यों? एसपी पर गिर सकती है गाज

Tricity Today | Yogi Adityanath

Uttar Pradesh News : लखनऊ से बड़ी खबर मिली है। राज्य में कानून-व्यवस्था की समीक्षा करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक की है। इस बैठक में डीजीपी और एडीजी स्तर के अधिकारी लखनऊ में मुख्यमंत्री के सामने बैठे थे। जबकि फील्ड ऑफिसर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम जुड़े थे। इसी दौरान योगी आदित्यनाथ ने अमरोहा जिले से जुड़ा एक सवाल मुरादाबाद के डीआईजी शलभ माथुर से पूछा। सीएम ने पूछा, अमरोहा के 13 थानों में से 8 में एक ही जाति के एसएचओ क्यों तैनात किए गए? मुख्यमंत्री की आपत्ति पर डीआईजी से कोई जवाब तो नहीं बना लेकिन उन्होंने मामले में उचित कदम उठाने की बात कही है। इससे पुलिस अफसरों में हड़कंप मच गया है।

पूर्व एसपी पूनम सिंह ने की सजातीय एसएचओ की तैनाती
अमरोहा में तैनात रहीं आईपीएस अफसर पूनम सिंह को हाल में राज्य सरकार ने स्थानांतरित किया है। मिली जानकारी के मुताबिक पूनम के तैनाती कार्यकाल में अमरोहा जिले के 13 थानों में से 8 में एक ही जाति के एसएचओ को तैनाती दी गई है। यह सारे एसएचओ एसपी पूनम के सजातीय हैं। अब पूनम थानेदारों की तैनाती को लेकर मुश्किल में आ गई हैैं। जिले के 13 थानों में 8 में एक ही जाति के थानाध्यक्ष तैनात किए थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस उपमहानिरीक्षक शलभ माथुर से इसकी वजह पूछी है। मिली जानकारी के मुताबिक एसपी पूनम सिंह के जाति प्रेम से आहत होकर दूसरे पुलिस अफसरों ने मुख्यमंत्री कार्यालय को शिकायत भेजी। इस पर मुख्यमंत्री ने एक सीनियर प्रशासनिक अधिकारी से अमरोहा से जुड़े हालातों पर रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट मिलने के बाद पूनम को अमरोहा से हटाकर वेटिंग लिस्ट में रखा गया है।

थानाध्यक्षों की तैनाती के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल
उत्तर प्रदेश के जिलों में थानाध्यक्षों की तैनाती के लिए राज्य सरकार ने एक निर्धारित व्यवस्था कायम की है। जिसके तहत जिला एसपी को तमाम मानक देखने होते हैं। थानाध्यक्षों का प्रोफेशनल बैकग्राउंड सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। साथ ही सामाजिक ताने-बाने को ध्यान में रखना पड़ता है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में थानाध्यक्षों की तैनाती से जुड़े विवादों का पुराना इतिहास रहा है। जाति और धर्म के आधार पर इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर स्तर के अफसरों को बढ़ावा देने या हतोत्साहित करने के आरोप आईपीएस अफसरों पर लगते रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार समय-समय पर नियम सख्त करती रही है। खासतौर से योगी आदित्यनाथ की पिछली सरकार में इस पर विशेष ध्यान दिया गया है।

आईपीएस पूनम सिंह पर हो सकती है कार्रवाई
लखनऊ में राज्य सरकार के विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अमरोहा में थानाध्यक्षों की तैनाती को लेकर आईपीएस पूनम सिंह के खिलाफ शिकायतें मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंची हैं। यही वजह रही कि राज्य में विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद शुरुआती स्थानांतरण सूची में पूनम का नाम शामिल था। पूनम मूल रूप से हरियाणा की रहने वाली हैं। इससे पहले वह बागपत और लखीमपुर खीरी के अलावा पीएसी में तैनात रह चुकी हैं। अमरोहा से जुड़ा मामला सामने आने के बाद पूनम को फिलहाल कोई पोस्टिंग नहीं दी गई है। उन्हें प्रतीक्षा सूची में रखा गया है।

इन 8 एसएचओ को पूनम ने दी तैनाती
माना जा रहा है कि थानेदारों की तैनाती को लेकर की गई शिकायत पर कार्रवाई की गई हैं। शासन को भेजी गई जानकारी के मुताबिक सात एसएचओ अमरोहा नगर में अरविंद कुमार, डिडौली कोतवाली में सुनील सिंह, रजबपुर में रमेश कुमार सहरावत, महिला थाने में निधि तोमर, गजरौला में विनय कुमार, धनौरा में नरेंद्र कुमार और आदमपुर में कृपाल सिंह एसपी के सजातीय हैं। इतना ही नहीं पूनम ने जिले में दूसरी बिरादरी के इंस्पेक्टर होते हुए सजातीय दो स्टार अफसरों को भी थानेदार बनाने से गुरेज नहीं किया। इसके अलावा पीआरओ, ट्रैफिक इंस्पेक्टर, ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर, पेशकार और बहुसंख्य चौकी इंचार्ज एक ही बिरादरी के तैनात किए गए। जिले में 9 एसएचओ अनुभवहीन हैं, जिन्हें पहली बार थानों का चार्ज दिया गया है। इनमें 9 एसएचओ सब इंस्पेक्टर हैं।

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.