Hapur : उर्वरकों एवं पेस्टिसाइड के अधिक प्रयोग के कारण जहां जमीन की उर्वरा शक्ति कमजोर हो रही है, वहीं मनुष्य के जीवन पर भी इसका प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है। इसे देखते हुए सरकार जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। विभाग की मेहनत का नतीजा है कि हापुड़ जिले में जैविक खेती का रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है। बदलते परिवेश में लोग एक बार फिर पुराने खान-पान की तरफ बढ़ने लगे हैं, जिसका परिणाम अब धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं।
जैविक खेती को मिला बढ़ावा
पिछले एक वर्ष में अकेले गढ़मुक्तेश्वर तहसील क्षेत्र में ही 100 हेक्टेयर से बढ़कर जैविक खेती का रकबा 200 हेक्टेयर हो गया है, जबकि पूरे जिले में यह रकबा 300 हेक्टेयर से अधिक हो गया है। उर्वरकों एवं पेस्टिसाइड के बेतहाशा प्रयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है। जिले के 8 गांवों में हुए परीक्षण की रिपोर्ट में मृदा में भारी कमी पाई गई है, जिसके बाद कृषि विभाग लगातार किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहा है। उद्यान तथा कृषि विभाग के लगातार प्रयास के बाद जिले में जैविक खेती का रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में जिले में अब जैविक सब्जी की पौध तैयार करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। जरौठी निवासी किसान अमरेंद्र ने जैविक तरीके से टमाटर, मिर्च, गोभी, प्याज, लहसुन आदि की पौध तैयार की है।
नर्सरी का किया निरीक्षण
जिला कृषि अधिकारी मनोज कुमार ने नर्सरी का निरीक्षण किया। इस दौरान किसानों के साथ बैठक करते हुए जैविक खेती से उत्पन्न फसलों के उपयोग से होने वाले लाभ के बारे में बताया। साथ ही पेस्टिसाइड अधिक उर्वरकों से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में भी किसानों को जागरूक किया।
क्या बोले जिला कृषि रक्षा अधिकारी
डाक्टर मनोज कुमार ने कहा कि जैविक खेती से उत्पन्न फसलों के उपयोग से काफी हद तक बीमारियों से बचा जा सकता है। जैविक फसलों के दाम अन्य फसलों के मुकाबले अधिक होते हैं। विभाग किसानों को इसके लिए प्रेरित करने एवं सरकारी योजनाओं से अवगत कराकर लाभ दे रहा है।