पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई को दी शिकस्त, आजाद हिंद फौज की स्थापना की, पढ़ें इस जाट शासक की खास उपलब्धियां 

राजा महेंद्र प्रताप सिंह : पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई को दी शिकस्त, आजाद हिंद फौज की स्थापना की, पढ़ें इस जाट शासक की खास उपलब्धियां 

पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई को दी शिकस्त, आजाद हिंद फौज की स्थापना की, पढ़ें इस जाट शासक की खास उपलब्धियां 

Google Image | राजा महेंद्र प्रताप सिंह

Uttar Pradesh : भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के सबसे कद्दावर नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई (Atal Bihari Vajpayee) को चुनाव में हराने वाले जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर अलीगढ़ में राज्य विश्वविद्यालय स्थापित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर को इसका शिलान्यास करेंगे। एक दिन पहले बुधवार को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath), उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और प्रदेश के गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा समेत वरिष्ठ अफसरों और स्थानीय नेताओं ने प्रधानमंत्री के आगमन से पहले स्थितियों का जायजा लिया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अलीगढ़ में स्थापित होने वाली यूनिवर्सिटी और डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से इस इलाके की सूरत बदल जाएगी। यह केंद्र विकास की धूरी बन जाएगा। 

अटल बिहारी वाजपेई को दी शिकस्त
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साल 2019 में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर राज्य विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा की थी। महेंद्र प्रताप अपने इलाके में ‘आर्य पेशवा’ के नाम से मशहूर थे। उन्होंने आजाद हिंद फौज नाम की एक सेना भी बनाई थी। हालांकि यह सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज से अलग सेना थी। आजादी के बाद भी अलीगढ़ के इलाके में उनका खासा प्रभुत्व था। साल 1957 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने मथुरा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत दर्ज की। जबकि उनके सामने भारतीय जनता पार्टी (तब जनसंघ) के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेई दम ठोक रहे थे। मगर उन्हें बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था।

1915 में अफगानिस्तान में सरकार की घोषणा
2 दिन पहले, 7 सितंबर को उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक हैंडल से कहा गया, ‘अफगानिस्तान में भारत की अंतरिम सरकार बनाने वाले राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर अलीगढ़ में बनेगा विश्वविद्यालय। जीतेगा विकास, जीतेगा यूपी।‘ बताते चलें कि साल 1915 में राजा ने अंग्रेजी हुकूमत का जमकर विरोध किया था। उन्होंने अंतरिम सरकार बनाने की घोषणा की थी। उस वक्त महेंद्र प्रताप सिंह मुरसान के राजा थे। भारतीय जनता पार्टी का यह भी दावा है कि राजा ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए जमीन दान दी थी। लेकिन उन्हें वह सम्मान नहीं दिया गया, जिसके वे हकदार थे।

जाट मतदाताओं को पाले में रखने की कोशिश
हालांकि अटल बिहारी वाजपेई को हराने वाले राजा के नाम पर विश्वविद्यालय की स्थापना के कई मायने निकाले जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज जाएगा। यूपी की राजनीति के जानकारों का मानना है कि किसान आंदोलन की वजह से पश्चिमी यूपी में भाजपा की राह मुश्किल हो सकती है। दरअसल पश्चिमी यूपी में जाट समुदाय की आबादी ज्यादा है। इनमें से ज्यादातर किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दों में सक्रिय रहते हैं। पिछले हफ्ते रविवार को मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत बुलाई गई थी। हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे। ऐसे में जाट समुदाय को अपने पाले में रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना और नाम से बड़ा दांव खेला है।

1886 में जन्म हुआ था    
जाट राजा महेंद्र प्रताप का जन्म 1 दिसंबर, 1886 को हुआ था। वह मुरसान रियासत के शासक थे। यह रियासत वर्तमान में यूपी के हाथरस जिले में है। वे राजा घनश्याम सिंह के तीसरे पुत्र थे। तीन साल की उम्र में तबके हाथरस के राजा हरनारायण सिंह ने उन्हें पुत्र के रूप में गोद ले लिया। कहा जात है कि थॉमस कुक एंड संस के मालिक बिना पासपोर्ट के अपनी कंपनी के पी एंड ओ स्टीमर से राजा महेंद्र प्रताप और स्वामी श्रद्धानंद के बड़े बेटे हरिचंद्र को ब्रिटेन ले गए। वहां से उन्होंने जर्मनी के राजा कैसर से भेंट की। बाद में वो अफगानिस्तान गए। बुडापेस्ट, बुल्गारिया, टर्की होते हुए हेरात पहुंचे। वहां अफगान बादशाह से मुलाकात की। वहीं से 1 दिसंबर 1915 में काबुल से भारत के लिए अस्थाई सरकार की घोषणा की। वह इसके राष्ट्रपति स्वयं बने। प्रधानमंत्री मौलाना बरकतुल्ला खां को बनाया। 

1979 में निधन हो गया
यह घोषणा स्वर्ण-पट्टी पर लिखकर रूस भेजा गया। तब तक अफगानिस्तान ने अंग्रेजों के खिलाफ जंग छेड़ दिया। इसके बाद राजा महेंद्र प्रताप रूस गए। वहां वे लेनिन से मिले। मगर लेनिन से उन्हें कोई मदद नहीं मिली। साल 1920 से 1946 तक वह कई देशों की यात्रा करते रहे। इसी दौरान उन्होंने विश्व मैत्री संघ की स्थापना की। साल 1946 में वह भारत लौटे। सरदार बल्लभभाई पटेल की बेटी मणिबेन उनको लेने कलकत्ता हवाई अड्डे स्वयं गई थीं। आजाद भारत में वो संसद-सदस्य चुने गए। आखिरकार 26 अप्रैल 1979 को उनका निधन हो गया। 

ऐसा होगा विश्वविद्यालय
राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर एक विश्वविद्यालय की मांग 2018 में उठी थी। इस यूनिवर्सिटी के लिए जिला प्रशासन ने 37 हेक्टेयर से अधिक सरकारी भूमि कोल तहसील के लोढ़ा और मुसईपुर गांवों में चयनित की है। इसके अलावा अन्य 10 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई है। प्रशासनिक भवन, शैक्षणिक भवन, लाइब्रेरी, कॉमन फैसिलिटी सेंटर, पुरुष छात्रावास, महिला छात्रावास, वीसी लॉज, अधिकारियों के आवास, गार्ड रूम सहित अन्य निर्माण कार्य लगभग 24917.94 वर्गमीटर में होंगे। विवि के निर्माण की अधिसूचना 22 नवंबर 2019 को जारी हुई थी। इसके लिए कुलसचिव और वित्त अधिकारी की नियुक्ति हो चुकी है। 

101 करोड़ की लागत आएगी
विवि के क्षेत्राधिकार में अलीगढ़, एटा, कासगंज, हाथरस के करीब 400 महाविद्यालय शामिल होंगे। यह विश्वविद्यालय कुल 92.27 एकड़ जमीन पर बनेगा। प्रथम चरण में इसे बनाने में 101 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। पहली किस्त के तौर पर 10 करोड़ रुपये पहले ही दिए जा चुके हैं। राज्य सरकार ने इसे जनवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

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