भाजपा से जाट हटे तो गुर्जर और सटे, बदलेंगे वेस्ट यूपी के पॉलिटिकल इक्वेशन

विश्लेषण : भाजपा से जाट हटे तो गुर्जर और सटे, बदलेंगे वेस्ट यूपी के पॉलिटिकल इक्वेशन

भाजपा से जाट हटे तो गुर्जर और सटे, बदलेंगे वेस्ट यूपी के पॉलिटिकल इक्वेशन

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

Meerut News : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर बंपर जीत हासिल की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नई सरकार का गठन करके कामकाज संभालने वाले हैं। इस चुनाव में वेस्ट यूपी को लेकर सबसे ज्यादा बहस मुबाहिसा हुआ। विशेषज्ञों ने तमाम तरह के पूर्वानुमान लगाए। अब आंकड़े बता रहे हैं कि जैसा सबने सोचा था, उसके मुताबिक इस बार जाट भाजपा से दूर हटे तो दूसरी तरफ गुर्जर बिरादरी और ज्यादा सट गई है। कुल मिलाकर आने वाले वक्त में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के राजनीतिक समीकरणों में बड़े बदलाव देखने के लिए मिलेंगे। पेश है पंकज पाराशर का विशेष विश्लेषण....

बीजेपी ने वेस्ट यूपी में 17 जाट उम्मीदवार मैदान में उतारे
किसान आंदोलन के चलते करीब एक साल से कहा जा रहा था कि जाट भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मतदान करेंगे। इस बात को नजरअंदाज करते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 5 मंडलों मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, अलीगढ़ और आगरा में भाजपा ने 17 जाट उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। मुजफ्फरनगर, शामली, मुरादाबाद, संभल, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर और आगरा में बीजेपी ने एक-एक जाट उम्मीदवार को टिकट दिया था। बागपत में तीनों सीटों पर जाट उम्मीदवार थे। बिजनौर और मथुरा में 2 सीटों पर भाजपा के जाट प्रत्याशी थे। केवल सहारनपुर, अमरोहा, रामपुर और गौतमबुद्ध नगर में जाट उम्मीदवार नहीं थे। खास बात यह है कि जाट वोट बैंक के नाम पर समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने वाले राष्ट्रीय लोकदल ने भी इतनी बड़ी संख्या में जाट प्रत्याशियों को टिकट नहीं दिया था। इनमें से 10 उम्मीदवार जीतने में कामयाब हुए हैं।

बीजेपी के 6 जिलों में 7 गुर्जर प्रत्याशी चुनाव लड़े
अब अगर वेस्ट यूपी में गुर्जर उम्मीदवारों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी ने 6 जिलों में 7 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। इनमें सहारनपुर जिले की 2 सीटों गंगोह और रामपुर मनिहारान से गुर्जर उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे। इनके अलावा शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर से एक-एक उम्मीदवार गुर्जर बिरादरी से था। इन सात में से पांच उम्मीदवार जीत गए हैं। दादरी से मास्टर तेजपाल सिंह नागर, मेरठ दक्षिण से सोमेंद्र तोमर, लोनी से नंदकिशोर गुर्जर, नकुड़ से मुकेश चौधरी और गंगोह से कीरत सिंह गुर्जर विधायक चुने गए हैं। कैराना से मृगांका सिंह और मीरापुर विधानसभा सीट से प्रशांत गुर्जर हार गए हैं।

गुर्जर कैसे भाजपा के साथ डटे रहे
गुर्जर समाज पश्चिम उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में और मजबूती से जुड़ा है। अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि कई विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन ने गुर्जर प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, लेकिन उन इलाकों में गुर्जर मतदाताओं ने भारतीय जनता पार्टी के दूसरी बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले नेताओं को वोट देकर जिताया है। मसलन, गौतमबुद्ध नगर की जेवर विधानसभा सीट पर भाजपा के ठाकुर धीरेंद्र सिंह को गुर्जरों ने वोट दिया। जिससे उनकी जीत का अंतर बढ़ गया। यहां गुर्जर मतदाताओं में बसपा और राष्ट्रीय लोकदल के बीच विभाजन हो गया। जिसकी वजह से जीत का दावा कर रहे पैराशूट उम्मीदवार अवतार सिंह भड़ाना हार गए। नोएडा में भी गुर्जरों ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी पंकज सिंह को वोट दिया है। यहां गुर्जर बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुनील चौधरी हार गए।

मुजफ्फरनगर जिले की खतौली विधानसभा सीट पर गुर्जर समाज के मतदाताओं ने भाजपा का साथ दिया। यहां से सपा-रालोद गठबंधन ने करतार सिंह भड़ाना को उम्मीदवार बनाया था। गुर्जर वोटरों ने करतार सिंह भड़ाना की बजाय भाजपा प्रत्याशी विक्रम सैनी को वोट देकर जीतने में मदद की है। सहारनपुर जिले की नकुड विधानसभा सीट से पहली बार भाजपा ने मुकेश चौधरी के रूप में गुर्जर उम्मीदवार खड़ा किया था। यहां गुर्जरों ने मंत्री धर्म सिंह सैनी को हरा दिया है। हापुड़ जिले की गढ़मुक्तेश्वर सीट पर भी कुछ ऐसा ही देखने के लिए मिला है। गढ़ से सपा-रालोद ने गुर्जर बिरादरी के रविंद्र को मैदान में उतारा था। यहां गुर्जर वोटर अपनी जाति के उम्मीदवार को छोड़कर जाट समाज के भाजपा उम्मीदवार हरेंद्र सिंह के साथ चले गए।

ठीक इसी तरह का चुनावी परिणाम अमरोहा जिले की हसनपुर सीट पर देखने के लिए मिला है। हसनपुर से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मुखिया गुर्जर थे। उनके सामने ठाकुर बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले मौजूदा विधायक महेंद्र सिंह खड़गवंशी भाजपा से चुनाव लड़ रहे थे। हसनपुर इलाके के गुर्जर वोटरों ने अपनी बिरादरी के मुखिया गुर्जर की बजाय खड़गवंशी को वोट दिया है। कई सीट ऐसी हैं, जहां भाजपा, सपा-रालोद और बसपा ने आमने-सामने गुर्जर उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। इन सीटों पर भी गुर्जर मतदाताओं ने भाजपा के उम्मीदवारों को तरजीह दी है। गाजियाबाद जिले में लोनी विधानसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी नंदकिशोर गुर्जर थे। उनके सामने सपा-रालोद ने पूर्व विधायक मदन भैया को खड़ा किया था। गुर्जर समाज ने मदन भैया की बजाय नंदकिशोर गुर्जर को वोट देकर जिताया है।

जाटों ने कैसे भाजपा से किया किनारा
अब अगर जाट मतदाताओं के रुझान का विश्लेषण करें तो साफ पता चलता है कि इस बार जाट कम्युनिटी ने भारतीय जनता पार्टी से किनारा किया है। भारतीय किसान यूनियन के आंदोलन का सबसे ज्यादा असर शामली, मुजफ्फरनगर और बागपत जिलों में देखने के लिए मिला है। शामली की तीनों विधानसभा सीटों पर जाट वोटर निर्णायक हैं और यहां भाजपा को कोई सीट नहीं मिली है। मुजफ्फरनगर की जिन 4 सीटों पुरकाजी, चरथावल, बुढ़ाना, मीरापुर में जाट और मुसलमान मतदाताओं का बहुमत है। इन सीटों को भाजपा हार गई है। बागपत में छपरौली विधानसभा सीट पर जाट वोट निर्णायक हैं। लिहाजा, भाजपा हार गई है। बागपत और बड़ौत विधानसभा सीटों पर गैर जाट वोटरों का दबदबा है। इसलिए दोनों सीटें भाजपा ने जीती हैं। अगर 2007 के चुनाव परिणाम देखेंगे तो बहुजन समाज पार्टी ने भी यह दोनों सीट जीत ली थीं।

अब कुछ इस तरह बदलेंगे समीकरण
इस विधानसभा चुनाव के परिणाम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिहाज से बड़े महत्वपूर्ण रहे हैं। आने वाले दिनों में पॉलिटिकल इक्वेशन बदलेंगे। भाजपा ने 17 जाटों को टिकिट दिया था जिनमें से 10 विधायक बनने में कामयाब रहे हैं। रालोद से 10 जाटों को टिकट दिया गया था। जिनमें 4 विजयी हुए हैं। सपा ने भी 7 जाटों को टिकट दिया था। इनमें से ये 3 विजयी हुए हैं। इस तरह यूपी में 2022 में कुल 17 जाट विधायक जीत गए हैं। जबकि 2017 में इनकी संख्या 15 थी और 2012 में यूपी में सिर्फ 3 जाट विधायक थे। इस प्रकार भाजपा को महज 10%-15% वोट देने के बावजूद भाजपा के 10 जाट विधायक गैर जाट हिन्दू मतों की गोलबंदी से जीत गए। इस वोटिंग ट्रेंड से साफ जाहिर होता है कि जाट मतदाताओं ने सपा-रालोद गठबंधन को अपनी पहली पसंद बनाया है। कुल मिलाकर जाट बिरादरी ने भाजपा का विरोध करके अपने विधायकों की संख्या ऐतिहासिक रूप से बढ़ाई है।

गुर्जरों का सत्ता में हिस्सेदारी का दावा बढ़ेगा
सवाल यह उठता है कि क्या इस बार भी भाजपा जाट विधायकों और नेताओं को तरजीह देगी? जब किसान आंदोलन चल रहा था और जाटों का भाजपा के खिलाफ विरोध चरम पर था, उस वक्त गुर्जर मतदाता धीरे-धीरे भाजपा की तरफ तेजी से बढ़ रहा था। दरअसल, वेस्ट यूपी की राजनीति में जाट और गुर्जर ज्यादा से ज्यादा ताकत हासिल करने के लिए हमेशा से संघर्षरत रहे हैं। केवल चौधरी चरण सिंह के जमाने में जाट और गुर्जरों का एकीकरण कांग्रेस के लिए बड़ा सिरदर्द हुआ करता था। इस बार जैसे ही गुर्जर समाज ने यह एहसास किया कि जाट भाजपा को छोड़ जाएंगे तो वह भाजपा की ओर लामबंद होने शुरू हो गए थे। लामबंदी की बदौलत भाजपा को कई सीटें जीतने में मदद मिली है। अब जाहिर सी बात है कि गुर्जर नेता सत्ता में ज्यादा हिस्सेदारी हासिल करने की कोशिश करेंगे। गुर्जर बिरादरी के सुरेंद्र सिंह नागर, वीरेंद्र सिंह, कीरत सिंह, सोमेंद्र तोमर, नंदकिशोर गुर्जर और तेजपाल नागर का कद बढ़ाना पड़ेगा।

जाट लीडरों की भूमिका क्या रहेगी
पिछले 8 वर्षों के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा कद जाट नेताओं का बढ़ाया है। गाहे-बगाहे भाजपा में दूसरी बिरादरी के नेता इसे तुष्टीकरण करार देते हैं। अभी मोहित बेनीवाल भाजपा पश्चिम यूपी के अध्यक्ष हैं। मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान भाजपा की राजनीति में केंद्रीय बिंदु हैं। कई लोकसभा और राज्यसभा सांसद हैं। गवर्नर हैं। आधा दर्जन से ज्यादा जिला पंचायत के अध्यक्ष हैं। राज्य सरकार में चार मंत्री हैं। मोहित बेनीवाल अपने जिला शामली में भाजपा को एक सीट नहीं जीता पाए हैं। संजीव बालियान के संसदीय क्षेत्र में भाजपा बुरी तरह हारी है। जाटों के गढ़ मुजफ्फरनगर, मेरठ और शामली में इन नेताओं का असल इम्तिहान होना था, वहीं भाजपा जाटों के विरोध के कारण बुरी तरह हार गई है।

   यूपी में भारतीय जनता पार्टी के जाट विधायक
  • बड़ौत से केपी मलिक
  • बागपत से योगेश धामा
  • गढ़मुक्तेश्वर से हरेंद्र सिंह 
  • बुलंदशहर से प्रदीप चौधरी 
  • बिजनौर से शुचि चौधरी
  • छाता से चौधरी लक्ष्मी नारायण
  • मांट से राजेश चौधरी 
  • फतेहपुर सीकरी से बाबूलाल चौधरी 
  • बिलासपुर से बलदेव सिंह ओलख 
  • मोदीनगर से मंजू सिवाच 

    राष्ट्रीय लोकदल के जाट विधायक
  • छपरौली से डॉक्टर अजय कुमार
  • बुढ़ाना से राजपाल सिंह बालियान 
  • सादाबाद से प्रवीण चौधरी गुड्डू 
  • शामली से प्रसन्न चौधरी

    समाजवादी पार्टी के जाट विधायक
  • नौगांव से समरपाल 
  • चरथावल से पंकज मलिक
  • चांदपुर से स्वामी ओमवेश

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