भारत ने वोटिंग से किया परहेज, जनता बोली- यह दो देशों के बीच द्वीपक्षीय है विवाद

Russia-Ukraine War : भारत ने वोटिंग से किया परहेज, जनता बोली- यह दो देशों के बीच द्वीपक्षीय है विवाद

भारत ने वोटिंग से किया परहेज, जनता बोली- यह दो देशों के बीच द्वीपक्षीय है विवाद

Tricity Today | जनता

Lucknow News : रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 3 दिनों से युद्ध चल रहा है। जिसमें सैकड़ों लोगों के मारे जाने की खबर है। यूक्रेन पर हमला करने के चलते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया। जिस पर तमाम देशों को वोटिंग करनी थी। भारत ने बहुत ही समझदारी दिखाते हुए रूस के हमले की निंदा तो की, लेकिन वोटिंग से परहेज किया। भारत के इस फैसले पर ट्राईसिटी टुडे की टीम ने लखनऊ के लोगों से बातचीत की तो उनका यह कहना है कि यह एक दो देशों के बीच द्वीपक्षीय विवाद है। जिसमें भारत किसी भी तरह से हस्ताक्षेप नहीं करना चाहता है। दोनों देशों को आपस में मिलकर इस समस्या का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से निकालना चाहिए।

यूक्रेन नेटो गुट में शामिल होना चाहता
जनरैलगंज निवासी राज कुमार तिवारी ने इस युद्ध की निंदा करते हुए कहा कि किसी देश के लिए इस तरह से युद्ध करना अच्छा नहीं है। वहीं अमित वर्मा, पूजा त्रिपाठी, आरती द्विवेदी और पिंकी वर्मा ने भी दोनों देशों के बीच हो रहे इस युद्ध की आलोचना की है। वहीं लोगों ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि यूक्रेन में फसे भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द वापस देश लाया जाये। क्योंकि कहीं ना कहीं वहां पर उनको खतरा है। इसके साथ ही यह भी कहा कि इस युद्ध से जनता को नुकसान नुकसान हो रहा है।आरती बताती हैं कि यूक्रेन नेटो गुट में शामिल होना चाहता था जो रसिया को मंजूर नहीं है। इसलिए यह इस युद्ध का सबसे महत्वपूर्ण कारण है।

कौन पक्ष में और कौन खिलाफ?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत, चीन और यूएई ने तो वोटिंग से परहेज कर लिया। वहीं रूस से उसके खिलाफ लाए जा रहे प्रस्ताव को 'ना' कह दिया। रूस के संयुक्त राष्ट्र दूत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मसौदे के प्रस्ताव को 'रूस विरोधी' बताया। वहीं रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर अमेरिका, यूके, फ्रांस, नॉर्वे, आयरलैंड, अल्बानिया, गबोन, मैक्सिको, ब्राजील, घाना और केन्या जैसे देशों ने मुहर लगा दी। कहा जा रहा है दोनों देशों के बीच मतभेदों और विवादों को निपटाने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है, हालांकि इस समय वह कठिन लग रहा है।

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