Kalyan Singh Death : 'हिन्दू हृदय सम्राट', यह उपनाम वैसे तो कई नेताओं के साथ जुड़ा लेकिन इसके अर्थ को केवल कल्याण सिंह ने हासिल किया था। आज भाजपा जिस मुकाम पर खड़ी है, उसकी नींव में बाबू कल्याण सिंह का बहुत बड़ा पुरुषार्थ है। शनिवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह राम के हो गए। वह अपने पीछे एक बड़ी विचारधारा और राजनीतिक विरासत छोड़कर गए हैं लेकिन उनका एक सपना अधूरा रह गया। जिसकी वजह विश्व्यापी कोरोना महामारी बनी है। कल्याण सिंह पिछले साल कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे और पोस्ट कोविड इफेक्ट की चपेट में रहे। जब वह गाजियाबाद अस्पताल में उपचार करवा रहे थे, उसी दौरान अयोध्या में राम मन्दिर का शिलान्यास किया गया था। तब 5 अगस्त 2020 को कल्याण सिंह ने कहा था, "15 अगस्त, 26 जनवरी की तरह 5 अगस्त 2020 भी इतिहास में दर्ज होगा। जल्दी राम मंदिर बन जाए तो उसे देखने के बाद चैन से मर जाऊंगा।"
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा, जब इतिहास लिखा जाएगा तो उसमें 15 अगस्त, 26 जनवरी की तरह 5 अगस्त 2020 की तारीख भी अमिट हो जाएगी। इस दिन राम मंदिर के लिए भूमि पूजन हुआ। उसी पन्ने में ये भी लिखा जाएगा कि 6 दिसंबर को ढांचा चला गया था। ढांचे के साथ सरकार भी चली गई थी। मेरे जीवन की आकांक्षा थी कि राम मंदिर बने। मंदिर बनते ही मैं बहुत चैन के साथ दुनिया से विदा हो जाऊंगा।
मुझे गर्व है कि मैंने एक भी कारसेवक के प्राण नहीं लिए
कल्याण सिंह ने बाबरी मस्जिद विध्वंस को याद करते हुए बताया था, "6 दिसंबर 1992 को जिला प्रशासन से एक नोट आया मुझे। उसमें लिखा था कि ढांचे की सुरक्षा के लिए चार बटालियन हमें मिल गई है। लेकिन अयोध्या में वो ढांचे तक नहीं पहुंच पा रही है। 3 लाख लोगों की भीड़ ने साकेत महाविद्यालय के पास फोर्स को रोक दिया है। मैंने लिखित में आदेश दिया कि गोली न चलाई जाए। गोली चलाने के अलावा अन्य उपाय किए जाएं। गोली नहीं चलेगी। देश भर से कारसेवक आए थे। हजारों लोग मारे जाते। मुझे इस बात पर गर्व है कि मैंने एक भी कारसेवक के प्राण नहीं लिए।"
अलीगढ़ की इस सीट से 8 बार विधायक रहे थे कल्याण सिंह
कल्याण सिंह अलीगढ़ के मूल निवासी थे। वह अपने जिले की अतरौली विधानसभा से लगातार 8 बार विधायक रहे थे। इस दौरान वह जनसंघ, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी से विधायक रहे। फिर एक ऐसा दौर भी आया, जब वह अपने ही गढ़ में कमजोर हो गए थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मनमुटाव के कारण वह भाजपा छोड़ गए। वर्ष 2012 में उनकी बहू प्रेमलता उनकी अपनी नवगठित जनक्रांति पार्टी से अतरौली से चुनाव लड़ीं। परिणाम इतना खराब आया कि प्रेमलता की जमानत जब्त हो गई थी। हालांकि, भाजपा में वापसी के बाद उसी अतरौली विधानसभा क्षेत्र से उनके पोते संदीप सिंह ने चुनाव लड़ा और वह सबसे कम उम्र के विधायक भी बने। फिलहाल योगी आदित्यनाथ सरकार में सबसे छोटी उम्र के मंत्री हैं।