सुरेश राणा थानाभवन सीट से हैट्रिक पर हैं, राह कठिन लेकिन जीते तो रच देंगे इतिहास

कौन जीतेगा यूपी : सुरेश राणा थानाभवन सीट से हैट्रिक पर हैं, राह कठिन लेकिन जीते तो रच देंगे इतिहास

सुरेश राणा थानाभवन सीट से हैट्रिक पर हैं, राह कठिन लेकिन जीते तो रच देंगे इतिहास

Tricity Today | सुरेश राणा से बातचीत करते हुए पंकज पराशर

Kaun Jeetega UP : सहारनपुर जिले का सफर पूरा करके हमारा यह अभियान अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण जिले शामली पहुंच गया है। आज हम सबसे पहले शामली जिले की थानाभवन विधानसभा सीट का दौरा करेंगे। यहां भी आम आदमी से बस एक ही सवाल होगा, कौन जीतेगा यूपी!



आजादी के बाद यह सीट नहीं बनी थी, 1969 में पहला चुनाव हुआ
आजादी के बाद जब उत्तर प्रदेश में पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 1952 में करवाया गया था, तब थानाभवन सीट अस्तित्व में नहीं थी। पहले परिसीमन आयोग ने थानाभवन सीट का गठन किया और वर्ष 1969 में यहां पहला विधानसभा चुनाव करवाया गया। तब से अब तक इस सीट पर 14 बार विधानसभा चुनाव करवाया जा चुका है। इस सीट पर केवल तीन बार कांग्रेस को कामयाबी मिल पाई। जबकि 11 बार विपक्षी दलों भारतीय क्रांति दल, जनता पार्टी, लोकदल, जनता दल, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल और भारतीय जनता पार्टी के विधायक रहे हैं।

थानाभवन ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को कई दिग्गज नेता दिए
इस सीट ने कई दिग्गज नेताओं मसलन राव राफे खान, सोमांश प्रकाश, अमीर आलम खान और चौधरी नकली सिंह को ऐतिहासिक यूपी विधानसभा में एंट्री दी है। फिलहाल, यहां से भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुरेश राणा हैं। सुरेश राणा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कैबिनेट के सदस्य भी हैं। वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिहाज से महत्वपूर्ण गन्ना विकास और चीनी उद्योग विभाग संभाल रहे हैं। सुरेश राणा आने वाले विधानसभा चुनाव में हैट्रिक पर होंगे। अगर वह जीते तो यह पहला मौका होगा जब कोई नेता इस सीट पर लगातार तीसरी बार चुनाव जीतेगा। हालांकि, सुरेश राणा को छोड़कर अभी तक किसी नेता के पास लगातार दो बार भी इस सीट पर कामयाबी हासिल करने का रिकॉर्ड नहीं है। सोमांश प्रकाश, अमीर आलम खान और जगत सिंह यहां से दो-दो बार विधायक तो रहे हैं, लेकिन यह सफलता उन्हें लगातार नहीं मिल पाई थी।

पिछले चुनाव में राणा को अल्पसंख्यक वोट बंटने का लाभ मिला
आइए अब आपको इसी पर हुए पिछले विधानसभा चुनाव के बारे में बता दें। वर्ष 2017 में यहां वोटरों की संख्या 3,11,405 थी। भाजपा उम्मीदवार सुरेश राणा को 90,995 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रहे बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी अब्दुल वारिस खान को 74,178 वोट मिले थे। इस सीट पर राष्ट्रीय लोक दल के उम्मीदवार जावेद राव 31,275 वोट हासिल करके तीसरे स्थान पर रहे थे। इस तरह सुरेश राणा ने करीब 16,000 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। समाजवादी पार्टी के सुधीर कुमार 13,480 वोट पाकर चौथे नंबर पर रही थे।

मुजफ्फरनगर और कैराना दंगों का साफ असर चुनाव पर पड़ा था
आइये अब पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान हुए मत विभाजन और आने वाले चुनाव को लेकर मौजूदा परिस्थितियों का आंकलन करते हैं। पिछले चुनाव परिणाम से आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि अल्पसंख्यक मतों में अच्छा खासा विभाजन हुआ था। अल्पसंख्यक मतदाता समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच विभाजित हो गए थे। मुजफ्फरनगर दंगों का असर था और कैराना कम्युनल पोलराइजेशन की वजह भी बना हुआ था। राष्ट्रीय लोकदल को अल्पसंख्यक वोटरों ने दरकिनार कर दिया था। दूसरी ओर रालोद को जाट मतदाता भी बहुत कम संख्या में मिले थे। जिसकी वजह से रालोद यहां बुरी तरह पिछड़ गया था। इन सारी बातों का सीधा फायदा सुरेश राणा को मिला था। इस विधानसभा सीट पर अल्पसंख्यक, ठाकुर और जाट मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। ब्राह्मण, दलित, सैनी, गुर्जर, वैश्य और अन्य पिछड़ा वर्ग की कई दूसरी जातियों के वोटर भी हैं, लेकिन यह सब मिलकर भी निर्णयक स्थिति में नहीं पहुंचते हैं। 

इस बार अल्पसंख्यक मतदाता खुलकर सपा-रालोद गठबंधन के साथ
इस बार अल्पसंख्यक वोटर पूरी तरह समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। दूसरी ओर जाट मतदाताओं में विभाजन साफ-साफ दिख रहा है। लिहाजा, सुरेश राणा की राह पिछले दो चुनावों की तरह आसान नहीं रहेगी। यहां भारतीय जनता पार्टी और सपा-रालोद गठबंधन में सीधी टक्कर देखने के लिए मिल सकती है। बहुजन समाज पार्टी कुछ खास करती नजर नहीं आ रही है। ऐसे में दलित वोटर की-फैक्टर साबित हो सकते हैं।

हमने क्षेत्र में विकास की गंगा बहाई है, जीत का पूरा भरोसा : सुरेश राणा
कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा जीत की हैट्रिक लगाने के लिए बेताब हैं। उनका साफ तौर पर कहना है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में वह और शानदार जीत हासिल करेंगे। सुरेश रैना ने कहा, "मुझे वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव के मुकाबले पिछले विधानसभा चुनाव में कहीं ज्यादा वोट मिले थे। इस बार रिकॉर्ड तोड़ वोट मिलेंगे और हम थानाभवन सीट पर लगातार तीसरी बार जीत हासिल करेंगे।" इसकी वजह बताते हुए सुरेश राणा ने कहा, "थानाभवन यूपी ही नहीं देश का ऐसा अकेला विधानसभा क्षेत्र है, जहां उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 डिग्री कॉलेज और इंटर कॉलेज दिए हैं। जिन इलाकों में गंदगी और झाड़ियां खड़ी थीं, आज वहां सरकारी गेस्ट हाउस खड़े हुए हैं।"

सुरेश राणा ने आगे कहा, "उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों को सबसे बड़ा लाभ हमारी सरकार ने दिया है। पांच-पांच वर्षों का बकाया भुगतान हमने किसानों को करवाया है। इसके अलावा सड़कों, हाईवे और एक्सप्रेसवे का जाल बिछ गया है। जिससे सुपरफास्ट कनेक्टिविटी बन गई है। एक जमाने में थाना भवन से दिल्ली जाने में पूरा दिन लग जाता था। आज दो-ढाई घंटे में हम लोग दिल्ली पहुंच रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य से गुंडे और माफियाओं का सफाया हो गया है। जिससे कानून-व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन देखने के लिए मिल रहा है। आम आदमी सुरक्षित है। लोग खुले किवाड़ सो रहे हैं। गुंडे और बदमाश इलाका छोड़कर भाग गए हैं। इन सब वजहों से हमारी जीत पक्की है। हम विकास के नाम पर चुनाव लड़ेंगे और जीत कर दिखाएंगे।"

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