देवबंद सीट पर देसी मुद्दे कम और विदेशी मामले ज्यादा हावी, स्थानीय विधायक से वोटर नाराज लेकिन योगी से खुश, VIDEO

कौन जीतेगा यूपी : देवबंद सीट पर देसी मुद्दे कम और विदेशी मामले ज्यादा हावी, स्थानीय विधायक से वोटर नाराज लेकिन योगी से खुश, VIDEO

देवबंद सीट पर देसी मुद्दे कम और विदेशी मामले ज्यादा हावी, स्थानीय विधायक से वोटर नाराज लेकिन योगी से खुश, VIDEO

Tricity Today | देवबंद सीट पर देसी मुद्दे कम और विदेशी मामले ज्यादा हावी

कौन जीतेगा यूपी, हम वेस्ट यूपी के 14 जिलों में 70 विधानसभा क्षेत्रों में आम आदमी से सवाल कर रहे हैं। इसी सिलसिले में हम अब देवबंद सीट पर पहुंच गए हैं। इस सीट पर फिलहाल भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। देवबंद सीट दारुल उलूम देवबंद की बदौलत और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेता इस इदारे को अफगानिस्तान में तालिबानी जुल्मों की जड़ करार देते हैं। जब हम देवबंद के विधायक बृजेश सिंह से मिले तो उन्होंने भी यह आरोप लगाने में कोताही नहीं बरती। बृजेश सिंह ने साफ तौर पर कहा, "पिछले दिनों जो कुछ अफगानिस्तान में हुआ, उसके लिए तालिबानी जिम्मेदार हैं और तालिबानी जिस विचार पर आगे बढ़ रहे हैं, वह दारुल उलूम देवबंद में पैदा हुआ है।"



आपको यह भी बता दें यह सीट आजादी के बाद ही अस्तित्व में आ गई थी और वर्ष 2008 में हुए परिसीमन में भी इसे बरकरार रखा गया। सहारनपुर के कई दिग्गज नेता इस सीट से चुनाव लड़कर ना केवल विधानसभा पहुंचे बल्कि कैबिनेट मंत्री बनते रहे हैं। इन बड़े नामों में ठाकुर महावीर सिंह राणा, ठाकुर यशपाल सिंह, वीरेंद्र सिंह और राजेंद्र सिंह राणा शामिल हैं। इस सीट से दिक्कत नेता महावीर सिंह राणा पांच बार कांग्रेस के विधायक चुने गए थे।

पिछले दो चुनावों में इस सीट पर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण होता रहा है। जिसकी बदौलत एक बार मुस्लिम और दूसरी बार हिंदू विधायक चुना गया है। वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव में यहां से दिग्गज समाजवादी नेता राजेंद्र सिंह राणा विधायक चुने गए। अक्टूबर 2015 में उनका निधन हो गया और मध्यावधि चुनाव करवाया गया। जिसमें कांग्रेस के उम्मीदवार माविया अली ने बाजी मार ली। वह करीब एक साल विधायक रहे। फिर वर्ष 2017 में आम चुनाव हुआ। जिसमें माविया अली कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी ने माजिद अली को मैदान में उतारा। जिसके चलते मुस्लिम मतों में विभाजन हो गया और भारतीय जनता पार्टी के बृजेश सिंह ने माजिद अली को करीब 30,000 वोटों से पराजित किया। माविया अली तीसरे नंबर पर खिसक गए।

पिछली बार इस सीट पर मतदाताओं की संख्या 3,27,564 थी। मतदान में 2,34,410 यानी 71.56 फ़ीसदी वोटरों ने हिस्सा लिया था। यह सीट भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस से छीनी थी। मौजूदा विधायक बृजेश सिंह को 1,02,244 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार माजिद अली को 72,844 वोट मिले थे। जबकि सिटिंग एमएलए माविया अली तीसरे नंबर पर खिसक गए थे उन्हें केवल 55,385 वोट मिल पाए थे। देवबंद सीट के इस परिणाम की एक और बड़ी खासियत यह थी कि भाजपा के बृजेश सिंह ने जिले में सबसे बड़ी जीत हासिल की थी।

देवबंद सीट पर आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बात करें तो भारतीय जनता पार्टी मौजूदा हालात में मजबूत नजर आती है। दरअसल, यह सीट ठाकुर और सैनी बिरादरी के वोटरों की बहुलता वाली है। दोनों ही जातियां पूरी तरह भारतीय जनता पार्टी के साथ कमिटेड हैं। हालांकि, लोग स्थानीय विधायक से नाराज हैं, लेकिन योगी आदित्यनाथ के नाम पर वोट करने को तैयार हैं। दूसरी ओर सबसे बड़ा वोट बैंक मुस्लिम समुदाय है। मुस्लिम वोटर पूरी तरह समाजवादी पार्टी को लेकर फोकस है। ऐसे में जाहिरा तौर पर आने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी। अगर पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के मत विभाजन को संयुक्त कर दें तो भाजपा उम्मीदवार को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ सकता है।

आने वाले चुनाव के लिए अगर दावेदारों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी की ओर से सिटिंग एमएलए बृजेश कुमार सिंह ही चुनाव लड़ेंगे। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी का टिकट हासिल करने के लिए दिवंगत नेता राजेंद्र सिंह राणा के बेटे कार्तिकेय राणा मैदान में हैं। पूर्व विधायक माविया अली भी सपा का टिकट चाहते हैं। बहुजन समाज पार्टी से एक बार फिर माजिद अली को मैदान में उतारा जा सकता है। कांग्रेस के टिकट को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है। 

कल हम आपको एक और सीट की जनता और उसके मुद्दों से रूबरू करवाएंगे।

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