Tricity Today | वाराणसी में निर्मोही अखाड़े की किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी
Noida Desk : बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में सावन के चौथे सोमवार को जहां बोल बम के नारों से पूरा वातावरण गूंजायमान था, वहीं दूसरी ओर निर्मोही अखाड़े की किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी की ज्ञानवापी परिसर में स्थित शिवलिंग पर जलाभिषेक करने की मांग ने पुलिस प्रशासन के हाथपांव फुला दिए हैं। हालांकि अनुमति नहीं मिलने की वजह से उन्हें वहीं रोक दिया गया। तो गेट नंबर-4 पर हिमांगी सखी ने शिव तांडव शुरू कर दिया। लेकिन, जब उन्हें आगे जाने की अनुमति नहीं मिली तो उन्होंने वहीं खुद का ही जलाभिषक कर लिया और लौट गईं।
खुद का किया जलाभिषेक
अनुमति नहीं मिलने पर हिमांगी सखी ने अर्द्धनारीश्वर के तौर पर जलाभिषेक कर ज्ञानवापी के लिए कामना की। कहा कि मैं संकल्प लेती हूं कि जब तक मंदिर नहीं बनता, काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन नहीं करेंगी। महामंडलेश्वर के पीआरओ अजीत ने बताया कि दशाश्वमेध घाट से कलश में गंगाजल लेकर ज्ञानवापी के गेट नंबर चार से प्रवेश कर उन्हें जलाभिषेक करने जाना था, लेकिन जिला प्रशासन की अनुमति नहीं होने पर गेट नंबर चार पर ही किन्नर महामंडलेश्वर ने अपने ऊपर ही जलाभिषेक कर लिया। बताया कि उनके अनुयायी महामंडलेश्वर को अर्द्धनारीश्वर मानते हैं। श्री काशी विश्वनाथ का होगा भागीरथी श्रृंगार
सोमवार की रात शयन आरती के बाद बाबा विश्वनाथ का भागीरथी श्रृंगार किया जाएगा। मंगलवार को पूर्णिमा का भव्य श्रृंगार होगा। इस सावन में 8 सोमवार और 2 पूर्णिमा पड़ रहे हैं। पूरे 10 दिन तक बाबा का अलग-अलग रूपों में श्रृंगार होगा। अभी तक 3 श्रृंगार चल प्रतिमा, गौरी शंकर और अमृत वर्षा श्रृंगार हो चुके हैं। अब 7 श्रृंगार बाकी हैं।
जबलपुर में की थी घोषणा
प्रथम किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने पिछले दिनों जबलपुर में बड़ी घोषणा करते हुए कहा था कि वे ज्ञानवापी में सावन के अंतिम सोमवार को जलाभिषेक करेंगी। चाहे इसके लिए उन्हें जान भी क्यों न देनी पड़े। उनका कहना था कि जब मुस्लिम समाज को वुजु करने की इजाजत है तो हम भी ज्ञानवापी महादेव का जलाभिषेक करेंगे।
कौन हैं हिमांगी सखी
बता दें कि हिमांगी सखी विश्व की पहली किन्नर महामंडलेश्वर हैं। हाईप्रोफाइल परिवार में पली बढ़ी हिमांगी सखी मुंबई में माता-पिता के निधन और बहन की शादी के बाद वृंदावन आ गई थीं। गुरु की शरण में रहकर शास्त्रों का अध्ययन किया। गुरु की आज्ञा पर उन्होंने धर्म का प्रचार किया। वृंदावन छोड़कर मुंबई चली गईं और वहां धर्म का प्रचार किया। उन्हें नेपाल के पशुपतिनाथ पीठ अखाड़े से महामंडलेश्वर की उपाधि मिली है। वो अब तक मॉरीशस, बैंकॉक, सिंगापुर, हांगकांग देशों समेत 50 जगहों पर भागवत कथा कर चुकीं हैं। वे 5 भाषाओं में भागवत कथा सुनाती हैं।
कई फिल्मों में किया अभिनय
महामंडलेश्वर बनने से पूर्व उन्होंने फिल्मों में अभिनय भी किया है। आशुतोष राणा के साथ 2005 में रिलीज फिल्म शबनम मौसी के अलावा, डाउन टाउन, दक्षिण की फिल्म थर्ड मैन और भोजपुरी फिल्म बाप रे बाप में भी काम कर चुकीं हैं। लेकिन, अब वे महामंडलेश्वर हैं। उनका फिल्मी दुनिया से कोई नाता नहीं हैं।