समर्थन में 224 शख्सियतों ने योगी को लिखी चिट्ठी, कहा – महिला सम्मान के लिए मील का पत्थर है यह कानून

धर्मांतरण रोधी कानून: समर्थन में 224 शख्सियतों ने योगी को लिखी चिट्ठी, कहा – महिला सम्मान के लिए मील का पत्थर है यह कानून

समर्थन में 224 शख्सियतों ने योगी को लिखी चिट्ठी, कहा – महिला सम्मान के लिए मील का पत्थर है यह कानून

Google Image | 224 शख्सियतों ने चिट्ठी लिखकर नए कानून को सही कहा है

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के धर्मांतरण रोधी कानून लागू करने के बाद से ही यह कानून सुर्खियों का हिस्सा रहा है। अब पूर्व न्यायाधीशों, नौकरशाहों और पूर्व सैनिकों के एक समूह ने इस कानून को सही ठहराया है। इस समूह ने कानून के आलोचकों पर निशाना साधा। धर्मांतरण रोधी कानून की जरूरत बताते हुए इस समूह ने कहा कि इसके आलोचकों ने हर कानून को 'अपनी’ कसौटी पर परखने के लिए न्यायिक समीक्षा के संवैधानिक अधिकार हड़प लिये हैं। इस समूह में शिक्षाविदों सहित 224 लोगों के हस्ताक्षर हैं। 

कानून के समर्थन में बोलते हुए उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश सभी पर लागू होता है। यह कानून महिलाओं का सम्मान करने वाला है। कुछ हिंदूवादी संगठन इसे 'लव जिहाद’ कानून भी कह रहे हैं। कानून को अवैध और मुस्लिम विरोधी बताने पर इस समूह ने ऐसे लोगों को जम कर फटकाई लगाई है। कानून के आलोचकों पर निशाना साधते हुए समूह ने आरोप लगाया कि, 'यह धार्मिक अल्पसंख्यकों को उकसाकर सांप्रदायिक आग भड़काने की इस पक्षपातपूर्ण समूह की वाहियात 'सनक’ है।

कानून समर्थक इस समूह में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव योगेंद्र नारायण, पंजाब के पूर्व मुख्य सचिव सर्वेश कौशल, हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव धरमवीर, दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन, पूर्व राजदूत लक्ष्मी पुरी और महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी प्रवीण दीक्षित जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इससे कुछ दिन पहले 104 सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश 'नफरत, विभाजन और कट्टरता’ की राजनीति का केंद्र बन गया है। प्रदेश में शासन के संस्थान 'सांप्रदायिक’ विष में डूब गये हैं।
     
सेवानिवृत्त 104 नौकरशाहों ने धर्मांतरण रोधी अध्यादेश को वापस लेने की मांग की थी। इन्होंने कहा था कि मुस्लिम पुरुषों को प्रताड़ित करने के लिए इस कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है। सेवानिवृत्त नौकरशाहों के इस दावे को नकारते हुए कानून समर्थक समूह ने कहा, ‘गंगा-जमुनी तहजीब आपराधिक मंशा से कराये गये गैरकानूनी धर्मांतरण से मेल नहीं खाती। इसमें हत्याएं, उत्पीड़न और खासतौर पर महिलाओं के साथ धोखाधड़ी होती है।‘

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