केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश में तैनात आईएएस अफसरों के रवैये से बेहद खफा है। प्रदेश में तैनात ज्यादातर आईएएस अफसर अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने में हमेशा लचर और टालमटोल वाला रवैया अपनाते हैं। पर इस बार केंद्र सरकार ऐसे अफसरों पर सख्ती का मन बना चुकी है। केंद्र सरकार के विशेष सचिव संजय कुमार सिंह ने राज्य के सभी आईएएस अफसरों को अपनी संपत्ति का ऑनलाइन ब्यौरा 31 जनवरी तक देने का निर्देश दिया है। विशेष सचिव ने कहा है कि इसमें किसी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विशेष सचिव ने इस संबंध में सचिव, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय यूपी सरकार को एक सर्कुलर भेजा है।
बताते चलें कि यूपी में तैनात ज्यादातर आईएएस अफसर अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने में पीछे रहते हैं। केंद्र सरकार ऐसे आईएएस अफसरों की पहचान कर रही है। इनके खिलाफ कार्रवाई की योजना बनी रही है। इस संबंध में केंद्र सरकार के विशेष सचिव संजय कुमार सिंह ने राजस्व परिषद, एपीसी, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव मंडलायुक्त, जिलाधिकारियों और अन्य अफसरों को एक सर्कुलर भेजा है। सर्कुलर के मुताबिक सभी आईएएस अधिकारियों को वर्ष 2020 की अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा केंद्र सरकार के ऑनलाइन पोर्टल पर 31 जनवरी तक सबमिट करना अनिवार्य है।
सर्कुलर में कहा गया है कि अफसरों की जानकारी उपलब्ध न होने की वजह से विजिलेंस क्लीयरेंस में परेशानी आती है। इसलिए नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने यूपी में तैनात सभी आईएएस अफसरों का ब्यौरा मांग लिया है। सभी अफसरों को 31 जनवरी तक अपनी अचल संपत्ति की जानकारी ऑनलाइन जमा करने का निर्देश दिया गया है। अगर कोई अधिकारी ब्यौरा देने में आनाकानी करता है तो उसके लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। विशेष सचिव ने अपने सर्कुलर में जोर देकर कहा है कि अखिल भारतीय सेवा नियमावली-1968 के मुताबिक अब अचल संपत्ति की वार्षिक जानकारी ऑनलाइन जमा करना अनिवार्य हो गया है।
अगर कोई अफसर ऐसा नहीं करता है, तो उसके इंपैनलमेंट, प्रतिनियुक्ति और संवेदनशील पदों पर नियुक्ति में व्यवधान आ सकता है। इसलिए अफसर किसी भी हाल में 31 जनवरी तक संपत्ति का जानकारी सरकार के साथ साझा करें। जिन अधिकारियों का विवरण नहीं मिलेगा, उन्हें ऑफर लेटर, इंपैनलमेंट या प्रतिनियुक्ति और संवेदनशील पदों पर नियुक्ति के लिए जरूरी विजिलेंस क्लीयरेंस देने से मना कर दिया जाएगा।