महंत नरेंद्र गिरि मौत मामले में सीबीआई ने ली साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी की मदद, जानिए क्यों

बड़ी खबर : महंत नरेंद्र गिरि मौत मामले में सीबीआई ने ली साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी की मदद, जानिए क्यों

महंत नरेंद्र गिरि मौत मामले में सीबीआई ने ली साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी की मदद, जानिए क्यों

Google Image | महंत नरेंद्र गिरि

प्रयागराज : अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले में सीबीआई अब साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी की मदद ले रही है। इसमें सीबीआई मौत से पहले महंत की मनोदशा उनके व्यवहार को समझना चाहती है। महंत की मृत्यु से एक दो हफ्ते पूर्व या कुछ घंटे पहले तक मानसिक स्थिति किस तरह की थी। साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी ज्यादातर सुसाइड केस में की जाती है।

अल्लापुर के श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री के विशेषज्ञों ने वहां के सेवादारों से कई घंटे तक पूंछताछ की। उनसे महंत की मन:स्थिति से जुड़े सवाल पूछे गए। सूत्रों ने बताया कि अधिकतर सेवादारों ने बताया कि मृत्यु से एक सप्ताह पहले से महंत काफी चिड़चिड़ापन था। बात बात पर वे सेवादारों पर चिल्ला उठते थे। सीबीआई की साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी कि यह एक्सरसाइज एक तरह से दिमाग का पोस्टमार्टम करने जैसी है। इसमें सुसाइड के दिन से मरने वाले का एक दो हफ्ते पहले की कहानी तैयार की जाती है। यह जांच में एकत्र की गई जानकारी के आधार पर तैयार की जाती है। अलग-अलग जानकारी के आधार पर एक्सपर्ट यह तय करते हैं कि आत्महत्या या हत्या है।


सीबीआई की टीम ने सेवादारों से नरेंद्र गिरी के पहनावे बोलचाल और व्यवहार के बारे में भी सवाल किये। उनके खानपान के तौर तरीके में किसी प्रकार का अगर कोई बदलाव आया हो तो उसे सीबीआइ ने नोट किया। नई दिल्ली की ब्रेन बिहेवियर रिसर्च फाउंडेशन ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन डॉ मीना मिश्रा ने कहा कि आमतौर पर पोस्टमार्टम शव का किया जाता है। साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी अधिकतर सुसाइड केस में की जाती है। इससे यह पता लगाया जाता है कि मरने वाले की कुछ हफ्ते पहले की मनोदशा किस तरह की थी। इस जांच में उसके सोचने का तरीका उसने मरने के कुछ दिनों पहले क्या किया था। उसका व्यवहार किस तरह का था यही सब जानने का प्रयास किया जाता है।

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.