महावीर ठुस्सू ने पेश की इंसानियत की मिसाल, इलाज से लेकर अंतिम संस्कार तक निभा रहे जिम्मेदारी

कोरोना काल के कर्मयोद्धा : महावीर ठुस्सू ने पेश की इंसानियत की मिसाल, इलाज से लेकर अंतिम संस्कार तक निभा रहे जिम्मेदारी

महावीर ठुस्सू ने पेश की इंसानियत की मिसाल, इलाज से लेकर अंतिम संस्कार तक निभा रहे जिम्मेदारी

Tricity Today | महावीर ठुस्सू ने पेश की इंसानियत की मिसाल

कोरोना वायरस की इस महामारी ने इंसानों और इंसानियत का निष्ठुर चेहरा भी जगजाहिर किया है। इस जानलेवा वायरस की वजह से लाखों घर तबाह हो गए हैं। अपने पराए हो गये हैं। पराए अपनों का फर्ज निभा रहे हैं। कोरोना संक्रमण की वजह से मौत के बाद अंतिम संस्कार भी चुनौती बन गई है। खासकर उन परिवारों में दाह संस्कार करने वाला कोई नहीं है, जहां अब घर में सिर्फ बच्चे और महिलाएं बच गए हैं। ऐसे बुरे वक्त में समाज के कर्मयोद्धा अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। नेफोमा के उपाध्यक्ष महावीर ठुस्सू मजबूर परिवारों की पीड़ा हर रहे हैं। 

अकेली लड़की की मां का दाह संस्कार कराया
वह इलाज से लेकर अंतिम संस्कार तक की क्रिया में हर तरह की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। बीते रविवार को एक ग्रुप में मैसेज आया। एक मजबूर लड़की ने लिखा था कि वह अकेली है। उसकी मां का शव हॉस्पिटल में था। वह लोगों से विनती कर रही थी कि उसकी मां के अंतिम संस्कार में मदद करें। महावीर ने इसकी जिम्मेदारी निभाई। वह तुरंत ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा हॉस्पिटल पहुंच गए। वहां से शव को दिल्ली के दिलशाद गार्डेन में स्थित भगत सिंह श्मशान घाट पहुंचाया। उन्होंने शव का विधि-विधान से अंतिम संस्कार करवाया। 

कभी रुकते नहीं हैं
यह पहली बार नहीं है, जब महावीर ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी उठाई है। कोरोना महामारी के दौरान वह लगातार लोगों की मदद कर रहे हैं। विगत दिनों ही उन्हें सूचना मिली थी कि एक पीड़ित परिवार मदद की गुहार लगा रहा है। परिजन अंतिम यात्रा के लिए सहायता मांग रहे थे। तब महावीर हॉस्पिटल पहुंचे। शव श्मशान ले जाने के लिए एंबुलेंस संचालक से संपर्क किया। जब एंबुलेंस संचालक ने ज्यादा पैसे मांगे, तो पुलिस की मदद से दूसरी एंबुलेंस सस्ते दाम में उपलब्ध कराई। 

इंसानियत जिंदा रहनी चाहिए
शव को गौतमबुद्ध नगर से गाजीपुर श्मशान घाट ले गए। वहां अंतिम संस्कार किया गया। नेफोमा के उपाध्यक्ष महावीर ठुस्सू ने बताया कि वह पूरे कोरोना काल में लोगों की मदद करते रहे हैं। वह बताते हैं कि महामारी इंसानों की जान ले रही है। इंसानियत जिंदा रहनी चाहिए। एकजुट होकर हम इस मुश्किल वक्त का मुकाबला करेंगे। वह कहते हैं कि देश के लोगों के लिए यह बुरा वक्त है। ये भी बीत जाएगा। मगर लोगों में मदद का भाव जिंदा रखना है। तभी हम एक बेहतर समाज की कल्पना कर सकते हैं।

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