25 साल बाद बिछड़े बेटे से मिला परिवार, मृत मानकर कर रहा था कई सालों से श्राद्ध

रंग लाई मेरठ जेल प्रशासन की मेहनत : 25 साल बाद बिछड़े बेटे से मिला परिवार, मृत मानकर कर रहा था कई सालों से श्राद्ध

25 साल बाद बिछड़े बेटे से मिला परिवार, मृत मानकर कर रहा था कई सालों से श्राद्ध

Google Image | जीतू (File photo)

Meerut News (Sachin): झारखंड स्थित रांची के रहने वाले जीतू की कहानी पूरी फिल्मी लगती है। जीतू 25 साल पहले सेना में भर्ती होने का सपना लेकर अपने घर से निकला था, मगर किस्मत ने उसे मेरठ जेल पहुंचा दिया। अपने इस सफर में जीतू ने देश के कई राज्यों में हुई सेना भर्ती रैली में भाग लिया, मगर किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया। इस दौरान जीतू ने मजदूरी करके और फैक्ट्री में नौकरी करके जीवन यापन किया। कुछ सालों पहले जीतू की किस्मत उसको मेरठ ले गई और यहां वह एक हत्या के आरोप में पिछले कई सालों से मेरठ जेल में बंद है। वहीं रांची में जीतू के परिवार को इतने सालों तक उसकी कोई जानकारी न मिलने पर परिवार ने उसे मरा समझ लिया। इतना ही नहीं परिवार पिछले कई सालों से जीतू का श्राद्ध भी करता आ रहा है। मेरठ जेल प्रशासन को जब इसकी जानकारी लगी, तो मेरठ जेल के अधिकारियों ने जीतू के परिजनों से संपर्क किया और बताया कि उनका बेटा मेरठ जेल में बंद है। बेटे के जिंदा होने की जानकारी पाकर परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। अब परिवार 25 साल बाद अपने बिछड़े बेटे से मिलने के लिए मेरठ पहुंचा है।

कई राज्यों में सेना भर्ती रैली में लिया भाग
जानकारी के अनुसार, झारखंड की राजधानी रांची के गांव सरगांव निवासी जीतू किस्पोटा का वर्ष 1998 में किसी बात को लेकर परिवार से झगड़ा हो गया। इसके बाद दसवीं पास जीतू सेना में भर्ती होने का सपना लेकर घर से बिना बताए निकल गया। उस समय जीतू की उम्र 20 साल थी। वह गुजरात के सूरत में चल रही भर्ती रैली में शामिल हुआ, मगर कम लंबाई होने के कारण बात नहीं बनी। इसके बाद वह रोजगार की तलाश में पुणे और मुंबई पहुंचा और कई सालों तक मजदूरी कर अपना पेट पाला। इस दौरान जीतू को पता चला कि बिहार के पटना में सेना भर्ती रैली होनी है। इसके बाद वह पटना पहुंच गया और भर्ती रैली में शामिल हुआ, मगर इस बार भी किस्मत ने साथ नहीं दिया। इसके बाद जीतू ने दिल्ली पहुंचकर एक फैक्ट्री में लगभग 11 साल तक नौकरी करके अपना जीवन यापन किया।

हत्या के आरोप में है मेरठ जेल में बंद
दिल्ली में नौकरी करने के बाद वह मेरठ चला गया और मजदूरी करने लगा। जिसके बाद वह मेरठ के सरधना स्थित एक गांव के किसान के आम के बाग की देखभाल करने के लिए उसके बाग में रहने लगा। तभी वर्ष 2018 में उस आम के बाग में एक व्यक्ति की लाश मिली थी। इसके बाद पुलिस ने जीतू को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। वह तभी से मेरठ जेल में बंद है और यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है।

परिजन कर रहे थे कई वर्षों से श्राद्ध
25 साल पहले जीतू के घर से गायब होने के बाद परिजनों ने उसकी काफी तलाश की। मगर जीतू का कोई सुराग नहीं लगा। इतने लंबे समय तक उसकी कोई जानकारी न मिलने पर परिजनों ने उसको मृत मान लिया था। इतना ही नहीं परिजनों ने उसका विधि विधान से अंतिम संस्कार कर पिछले कई सालों से श्राद्ध भी करते आ रहे हैं। अब जब परिजनों को अपने बेटे के जिंदा होने की जानकारी मेरठ जेल प्रशासन से हुई, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जीतू के परिजन तुरंत अपने बेटे से मिलने के लिए मेरठ जेल पहुंचे हैं।

कैदियों का तैयार किया गया था विवरण
मेरठ जेल अधिकारियों का कहना है कि जेल में बंद ऐसे कैदियों का विवरण तैयार करने के निर्देश दिए गए थे, जिनसे मिलने पिछले 5 साल में कोई नहीं आया। जांच करने पर पांच कैदियों के नाम सामने आए थे। जिनमें जीतू का नाम भी शामिल था। इसके बाद जेल प्रशासन की ओर से रांची के मांडर थाना पुलिस से संपर्क किया गया और जीतू के परिवार की जानकारी कर संपर्क हो सका। इसके बाद जेल प्रशासन ने जेल में लगे पीसीओ से जीतू की बात उसके परिजनों से कराई। 25 साल बाद बेटे की आवाज सुन परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई।

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