अमरोहा में बुजुर्ग की मौत पर ज़मीन पर लेट कर खूब रोया बंदर, Video Viral

कौन कहता है जानवरों में भावनाएं नहीं होती : अमरोहा में बुजुर्ग की मौत पर ज़मीन पर लेट कर खूब रोया बंदर, Video Viral

अमरोहा में बुजुर्ग की मौत पर ज़मीन पर लेट कर खूब रोया बंदर, Video Viral

Tricity Today | ज़मीन पर लेट कर खूब रोया बंदर

Amroha News : अपने पालतू जानवर और इंसानों के बीच प्रेम तो अक्सर देखा होगा। कहते हैं कि इंसान से ज्यादा वफादार जानवर होता है। अगर आप एक उनको प्यार भरी निगाहों से एक बार देख लेते हैं, तो यकीन मानिए वह इसको जिंदगीभर नहीं भूलते हैं। एक ऐसा ही वीडियो उत्तर प्रदेश के अमरोहा से सामने आया है, जो आपको हैरान कर देगा।  दो वक्त की रोटी देने वाले व्यक्ति से एक बंदर का लगाव इतना बढ़ गया कि उसके निधन के बाद वह भी गम में डूब गया। बंदर ना सिर्फ अर्थी के पास दिनभर बैठा रहा, बल्कि अंतिम संस्कार के लिए तिगरी तक गया। वाहन में रखी अर्थी से लिपट कर रोता रहा। बंदर के इस प्रेम को देख कर लोग भी आश्चर्य चकित हो रहे थे।  क्या है पूरा मामला 
जानकारी के मुताबिक, मामला कस्बा जोया के मोहल्ला जाटव कालोनी का है। यहां पर वृद्ध रामकुंवर सिंह का परिवार रहता है। दो महीने से एक बंदर उनके पास आकर बैठ जाता था। रामकुंवर सिंह उसे खाने के लिए रोटी दे देते थे। बंदर का उनके पास प्रतिदिन का आना हो गया। वह उनके पास आकर बैठता और खाना खाने के बाद भी काफी देर तक उनके साथ खेलता रहता था। मंगलवार सुबह अचानक रामकुंवर का निधन हो गया। रोजाना की तरह बंदर खाने के लिए वहां पहुंचा, मगर देखा कि बुजुर्ग का निधन हो गया है। वहां लोगों की भीड़ जुटी हुई थी। बंदर ने जाकर अर्थी देखी तो उसके पास ही जाकर बैठ गया। 

बंदर को देख हैरान हुए लोग
स्थानीय लोगों ने बताया कि बंदर की आंखों में आंसू भी थे। वह काफी देर तक चिता के पास ही बैठा रहा और उसके आसपास ही घूमता रहा। इतना ही नहीं, जब परिजनों ने तिगरी धाम ले जाने के लिए अर्थी डीसीएम में रखी तो बंदर भी डीसीएम में सवार हो गया। जोया से तिगरी धाम तक वह अर्थी से लिपटा रहा। वहां अंतिम संस्कार होने तक चिता के पास ही मौजूद रहा और वापस लोगों के साथ जोया लौट आया। बंदर बुधवार को भी रामकुंवर के घर ही मौजूद रहा। हैरत की बात यह है कि उसने मंगलवार को भी कुछ नहीं खाया। बुधवार दोपहर रामकुंवर के परिजनों ने भोजन दिया तो एक निवाला खाया, लेकिन उस वक्त भी उसकी आखें नम थीं।

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