Chitrakoot Jail Shootout : चित्रकूट जिला कारागार में शुक्रवार की दोपहर को हुए शुटआउट ने पूरे जिले की पुलिस और प्रशासन को हिलाकर रख दिया है। अंशु दीक्षित ने शुक्रवार की दोपहर को मुख्तार अंसारी के करीबी माने जाने वाले मुकीम काला और मेराज अली की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी। जिसके बाद पुलिस को मजबूरन एनकाउंटर के दौरान अंशु दीक्षित को ढ़ेर करना पड़ा था। इस मामले में योगी आदित्यनाथ ने चित्रकूट जिला कारागार के जेलर और जेल अधीक्षक को सस्पेंड कर दिया है।
सैकड़ों हिंदू लोगों को कैराना छोड़ने के लिए मजबूर किया
मुकीम काला वैसे तो मूलरूप से उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित मानकपुर गांव का रहने वाला था। उसका जीवन शुरुआत में बड़ा गरीबी में बीता था, लेकिन बाद में दहशत का दूसरा नाम मुकीम काला पड़ गया। अखिलेश यादव की सरकार के दौरान जब मुकीम काला कैराना में था तो मुकीम काला की वजह से सैकड़ों हिंदू लोगों ने कैराना से पलायन किया था। बताया जाता है कि उससे प्रताड़ित और परेशान होकर सैकड़ों हिंदू लोगों ने कैराना छोड़ दिया था। उसने कैराना में बहुत आतंक काटा था। बताया जाता है कि बिना उसकी मर्जी के कैराना में कोई भी अपराधिक घटना नहीं होती थी।
मजदूर से बना था कुख्यात अपराधी
मुकीम काला का जीवन गरीबी में बीता था। गरीबी के चलते उसने सबसे पहले मकान निर्माण करने वाले मिस्त्री और मजदूर का काम किया था। लेकिन उसने उसी दौरान ही अपराधिक दुनिया में कदम रख लिया। बताया जाता है कि वह मुख्तार अंसारी का काफी करीबी था और 2014 में रंगदारी नहीं देने पर दो सगे भाइयों की हत्या कर दी थी। दो सगे भाइयों की हत्या करने के बाद उसका नाम अपराधिक दुनिया में बढ़ता चला गया। जिसके बाद उसने लूट और हत्या जैसी गंभीर और संगीन वारदात को अंजाम दिया। उसके नाम से उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा और उत्तराखंड के व्यापारियों में भी दहशत फैल गई। मुकीम काला पर 61 मुकदमे दर्ज थे। मुकीम काला ने 2010 में अपराध की दुनिया में कदम रखा था।
कग्गा की हत्या के बाद संभाला गैंग
दिसंबर 2011 में पुलिस ने नामी कग्गा बदमाश को एनकाउंटर के दौरान ढे़र कर दिया था। कग्गा की मौत के बाद मुकीम काला ने कग्गा गैंग को संभालना शुरू कर दिया थ। जो इसके खिलाफ थे, उसको कग्गा गैंग से निकाल दिया गया। कग्गा गैंग पर मुकीम काला और उसके लोगों से कब्जा कर लिया था। इस दौरान उसने बड़ी-बड़ी वारदातों को अंजाम दिया। जब अपराधिक दुनिया में मुकीम काला ने कदम रखा तो उसके परिवार वालों ने उससे छोड़ दिया था। उसके परिवार और उसके गांव का कोई भी व्यक्ति ना तो उससे बात करना पसंद करता था और ना ही देखना। जिसके बाद मुकीम काला जहानपुरा में आकर रहने लगा था। वहां भी उसका एक घर था। जो उसके दादा का था।
2013 में की भी सिपाही राहुल की हत्या, बेटे की मौत के बाद पिता की मौत हुई
मुकीम काला गैंग की पांच जून 2013 में सहारनपुर पुलिस से मुठभेड़ हो गई थी। जिसमें सीओ के हमराह ढिकौली गांव निवासी सिपाही राहुल ढाका को मुकीम काला ने गोली मार दी थी। राहुल मौके पर ही शहीद हो गए थे। इसके बाद राहुल का परिवार पूरी तरह टूट गया। राहुल के पिता चंद्रपाल ढाका की मृत्यु भी 2019 में हो गई। घर में मां, दो भाई और एक बहन रह गए है। सहारनपुर में राहुल की हत्या का मुकदमा चल रहा है।
मुकीम की गिरफ्तारी ग्रेटर नोएडा में हुई थी, अनिल-रणदीप में हुई तकरार
मुकीम काला को यूपी एसटीएफ की नोएडा यूनिट ने वर्ष 2015 में पकड़ा था। तब से वह जेल में था। उसे पहले सहारनपुर फिर महाराजगंज और इन दिनों चित्रकूट जेल में रखा गया था। मूलरूप से कैराना का रहने वाला मुकीम काला ने ग्रेटर नोएडा और नोएडा को शरणस्थली बना लिया था। शरण पाने के लिए उसने जिले के दो बड़े गैंगस्टर अनिल दुजाना और रणदीप भाटी से दोस्ती गांठ रखी थी। यूपी एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक अनिल के कहने पर उसने हरेन्द्र नाम के एक प्रापर्टी डीलर की हत्या अपने गुर्गे से करवाई थी। कुछ समय बाद यही मुकीम काला जब रिठौरी गांव से निकल कर भाग रहा था तो एसटीएफ के हाथों पकड़ा गया था। तब अनिल दुजाना और रणदीप भाटी के बीच दरार पड़ गई। इस दरार का कारण था कि रिठौरी गांव में वह रणदीप के घर पर था। जब वह पकड़ा गया तो अनिल का शक हुआ कि रणदीप ने ही मुकीम को पकड़वाने में एसटीएफ की मदद की है।
अजयपाल शर्मा ने शामली से खदेड़ा, राजकुमार मिश्र ने ग्रेटर नोएडा में पकड़ा
इस दरार के चलते मनमुटाव तो हुआ लेकिन मामला गैंगवार में तब्दील नहीं हुआ। उसका कारण यह था कि अनिल दुजाना के खास गुर्गे पकड़े जा चुके थे या फिर उसका गिरोह छोड़ चुके थे। ऐसे में मुकीम काला ही उसका सबसे शार्प और भरोसेमंद शूटर था। उस वक्त मुकीम के भाई वसीम और शाबिर मजबूत गिरोह की कड़ी थे। मुकीम के पकड़े जाने से अनिल कमजोर पड़ गया था। अनिल को मुकीम काला ने शहजाद मामा नाम का शूटर दिया था, जो एक केन्द्रीय मंत्री का ड्राइवर रह चुका था। बाद में हत्या के मामले में उसे भी एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया था।
यूपी एसटीएफ के एएसपी राजकुमार मिश्र के मुताबिक वर्ष 2015 में नोएडा और मेरठ यूनिट ने संयुक्त अभियान में मुकीम काला को पकड़ा था। वह बड़ी लूट की वारदात करने में माहिर था। उसकी मौत के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड के कारोबारियों ने राहत की सांस ली है। उसके भाई वसीम और शाबिर को एसटीएफ पहले ही मुठभेड़ में मार चुकी है। वहीं, शामली के एसपी रह चुके अजय पाल शर्मा के मुताबिक जब वह शामली के कप्तान बनकर गए थे उन्होंने मुकीम काला और उसके परिवार की घेराबंदी करके जिला छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। जिसके बाद वह जान बचाने के लिए नोएडा और ग्रेटर नोएडा में शरण लेता था।