Tricity Today | गायत्री प्रजापति और मुलायम सिंह यादव
Lucknow News : समाजवादी पार्टी कार्यकाल में विवादित मंत्री गायत्री प्रजापति सपा कुनबे का वो नाम हैं, जिसपर मुलायम सिंह को सबसे ज्यादा भरोसा था। आलम ये था कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव से एक विवादित मंत्री के पीछे लड़ाई कर बैठे थे। सपा पार्टी के चरित्र पर बट्टा लगाने वाले ऐसे मंत्रियों का पार्टी शुरूआत से ही कुछ खासा ध्यान रखती नजर आई है। अखिलेश यादव ने प्रजापति के खिलाफ करप्शन के आरोपों के चलते उन्हें कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया तो पिता मुलायम सिंह यादव अपने बेटे से ही लड़ाई कर बैठे।
इसके बाद पिता मुलायम सिंह यादव की दखलनदाजी के बाद अखिलेश को उन्हे कैबिनेट में वापस भी लेना पड़ा था। गायत्री को पार्टी में इतनी तरजीह देने की वजह कोई राजनीतिक रणनीति नहीं थी बल्कि खनन और अन्य कामों से आने वाली काली कमाई थी। गायत्री प्रजापति के कई काली कमाई वाले धंधों में मुलायम सिह की दूसरी पत्नी से हुए बेटे प्रतीक की भी हिस्सेदारी थी। इसी के चलते मुलायम सिंह यादव का गायत्री मोह बढ़ता गया।
आरोपों के बावजूद गायत्री को मिलता रहा इनाम
उत्तर प्रदेश सरकार में पहले ऐसे मंत्री होंगे जिन्हें चार बार शपथ दिलाई गई है। 2012 में लगे आय से अधिक सम्पत्ति के आरोपों के बावजूद 2015 में उन्हे राज्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। उन्हें खनन विभाग मिला। इसके बाद 2013 में ही उन्हें खनन विभाग के राज्यमंत्री के रूप में स्वतंत्र प्रभार देकर शपथ दिलाई गई और जनवरी 2014 में कैबिनेट मंत्री के रूप में लोकसभा चुनावों में वे अति पिछड़ी जातियों के नेता के रूप में समाजवादी पार्टी के स्टार प्रचारक थे और तमाम बड़े समाजवादियों को दरकिनार कर उन्हें हेलीकाप्टर से प्रचार करने का विशेषाधिकार दिया गया था।
10 गुनी तेजी से गायत्री ने संपत्ती में किया इजाफा
कुछ वर्ष पहले तक बीपीएल कार्ड धारक रहे गायत्री ने 1993 में बहुजन क्रान्ति दल से अमेठी से चुनाव लड़ कर 1500 वोट पाए थे। 1996 के बाद 2002 में चुनाव लड़ते वक्त उन्होने जो हलफनामा भरा था उसमें उनकी कुल सम्पत्ति 91436 रुपये बताई गई थी। 2012 के हलफनामे में उन्होंने यह सम्पत्ति 1.81 करोड़ बताई और आज यह 1000 करोड़ से अधिक बतायी जाती है। कहा जाता है कि 2012 में समाजवादी पार्टी से टिकट पाने के लिए उन्होने पार्टी को 25 लाख रुपये दिए थे। अमेठी में कांग्रेस नेता संजय सिंह की दूसरी पत्नी अमिता सिंह को पराजित कर उन्होंने अपना सिक्का जमाया था।
खनन में नहीं थी किसी थी दखलनदाजी
27 फरवरी 2012 को अवैध खनन के कारण हुई एक दुर्घटना के बाद वहां के जिलाधिकारी बीबी पन्त ने 22 खानों पर खनन प्रतिबन्धित कर दिया। खनन माफिया के दबाव के बावजूद डीएम नहीं माने तो अखिलेश सरकार के गठन के बाद पहला फैसला उन्हीं के तबादले का हुआ। इसके बाद से लगातार वहां ऐसे ही अधिकारी नियुक्त होते रहे जो खनन सिंडीकेट की इच्छा पर काम करते थे। इस अवैध खनन से बहुतों की तिजोरियां भरीं लेकिन पर्यावरण और स्थानीय लोग तबाह हो गए।
समझिये कब क्या हुआ
2013 में पीड़ित महिला की मुलाकात चित्रकूट के राम घाट पर गंगा आरती में गायत्री प्रसाद प्रजापति से हुई। 2014 से 2016 तक पीड़िता ने आरोपियों पर अपने और नाबालिग बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था। 7 अक्टूबर 2016 को पीड़िता ने गौतमपल्ली थाने में तहरीर दी जिस पर रिपोर्ट दर्ज नही हुई। 17 अक्तूबर 2016 को पीड़िता द्वारा सभी आरोपियों के विरुद्ध सामूहिक दुष्कर्म की लिखित शिकायत पुलिस महानिदेशक से की गई।
16 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की विशेष अनुमति याचिका पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। 18 फरवरी 2017 को कोर्ट के हस्तक्षेप पर गायत्री सहित 7 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। 18 जुलाई 2017 को गायत्री प्रजापति, विकास वर्मा, आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी के विरुद्ध पॉक्सो एक्ट समेत सभी धाराओं में आरोप तय किया गया। साथ ही आरोपी अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू, चंद्रपाल व रुपेश्वर उर्फ रुपेश के विरुद्ध कई धाराओं में आरोप तय किया गया। 10 नवंबर 2021 को अदालत ने गायत्री प्रजापति, अशोक तिवारी व आशीष कुमार को दोषी करार दिया। जबकि अमरेंद्र, विकास वर्मा चंद्रपाल व रुपेशवर को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।