प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करने पहुंचे थे। पीएम ने इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र को स्मरण करते हुए बिना नाम लिए कांग्रेस पर आरोप लगाया कि ‘परिवार’ के दरबारियों ने श्रीपति मिश्र को अपमानित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को सुल्तानपुर में 22,500 करोड़ रुपये के पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस के दिवंगत नेता का जिक्र किया। पीएम ने अपने भाषण में अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी पर इशारों में निशाना साधते हुए कहा वह वोटों के डर से मेरे बगल में खड़े होने से भी डरते थे।
वीपी सिंह के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे श्रीपति मिश्र
यूपी के सुल्तानपुर जिले में जन्मे श्रीपति मिश्र कांग्रेस के नेता थे, और वह जुलाई 1982 से अगस्त 1984 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। श्रीपति मिश्र का जन्म सुल्तानपुर के शेषपुर नाम के गांव में 20 जनवरी 1924 को एक सामान्य परिवार में हुआ था। उन्हें विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा इस्तीफा देने के बाद 1982 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि कहा जाता है कि इस दौरान राजीव गांधी और अरुण नेहरू से उनके संबंध खराब हो गए और उन्हें अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। ऐसे में सवाल उठता है कि श्रीपति मिश्र कौन थे और उनको किसने ‘अपमानित’ किया। माना जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी इस तरह से यूपी की राजनीति में ब्राह्मण कार्ड खेल गये।
जज की नौकरी छोड़कर प्रधानी का चुनाव जीता
कानून की पढ़ाई करने वाले श्रीपति मिश्र राजनीति में आने से पहले ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट की नौकरी करते थे। वह बीएचयू में पढ़ाई के दौरान छात्रसंघ के सचिव भी रह चुके थे। उन्होंने जज की नौकरी छोड़ दी। कुछ ही दिन बाद उन्होंने ग्राम प्रधानी के लिए पर्चा भरा और उन्हें इस पद के लिए चुन भी लिया गया। इसके साथ ही वह सुल्तानपुर में वकालत भी करते थे। इसी दौरान उनका कांग्रेस से संपर्क होता है और 1962 का विधानसभा चुनाव वह लड़ते हैं और उन्होंने विधायकी भी जीती। धीरे-धीरे राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते हुए वह एक ग्राम प्रधान से यूपी के सीएम की कुर्सी तक पहुंचे।
सुल्तानपुर के सपूत श्रीपति मिश्र को पीएम ने किया याद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लोकार्पण के अवसर पर सुल्तानपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह दुर्भाग्य रहा कि दिल्ली और लखनऊ दोनों जगह में 'परिवारवादियों' का ही कई वर्षों तक दबदबा रहा और सालों साल तक उत्तर प्रदेश की आकांक्षाओं को कुचलते रहे, बर्बाद करते रहे। सुल्तानपुर के सपूत श्रीपति मिश्रा जी के साथ भी तो यही हुआ था, जिनका जमीनी अनुभव और कर्मशीलता ही पूंजी थी, परिवार के दरबारियों ने उनको अपमानित किया। ऐसे कर्मयोगियों का अपमान उत्तर प्रदेश के लोग कभी नहीं भुला सकते।’ आज केंद्र और राज्य की सरकार यूपी के सामान्य जन को अपना परिवार मानकर काम कर रही है।
पहले की सरकारों के लिए विकास परिवार तक सीमित था
पहले की सरकारों के लिए विकास वहीं तक सीमित होता था, जहां उनका परिवार था, उनका घर था। आज जितना पश्चिम का सम्मान है, उतना ही पूर्वांचल के लिए प्राथमिकता भी है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे आज इस खाई को पाट रहा है। इस एक्सप्रेस-वे के बनने से अवध क्षेत्र के साथ-साथ बिहार को भी लाभ होगा। 340 किलोमीटर के पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की विशेषता सिर्फ यही नहीं है कि ये लखनऊ, बाराबंकी, अयोध्या, अंबेडकरनगर, अमेठी, सुलतानपुर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर को जोड़ेगा। इसकी विशेषता यह है कि ये लखनऊ से उन शहरों को जोड़ेगा जिनमें विकास की असीम संभावनाएं है।
व्यक्ति जब घर बनाता है तो रास्ता भी बनाता है
उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति जब अपना घर भी बनाता है तो पहले रास्तों की चिंता करता है, मिट्टी की जांच परख करता है, दूसरे सभी पहलुओं पर विचार करता है। लेकिन यूपी में हमने एक लंबा दौर, ऐसी सरकारों का देखा है जिन्होंने कनेक्टिविटी की चिंता किए बिना ही औद्योगीकरण के सपने दिखाए। परिणाम यह हुआ कि ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में यहां लगे अनेक कारखानों में ताले लग गए। इन परिस्थितियों में यह भी दुर्भाग्य ही रहा कि दिल्ली और लखनऊ, दोनों ही जगहों पर परिवारवादियों का ही दबदबा रहा। योगी सरकार से पहले वाली सरकारों ने जिस तरह यूपी के साथ भेदभाव किया। मालूम था कि यूपी के लोग ऐसा करने वालों को यूपी के विकास के रास्ते से हटा देंगे।