संतों के आगमन से धरती हो जाती है पवित्र, सुनते ही योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर आई मुस्कान

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद यूपी में बोले- संतों के आगमन से धरती हो जाती है पवित्र, सुनते ही योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर आई मुस्कान

संतों के आगमन से धरती हो जाती है पवित्र, सुनते ही योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर आई मुस्कान

Tricity Today | राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और सीएम योगी

Uttar Pradesh : भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जनपद संत कबीर नगर स्थित संत कबीर दास परिनिर्वाण स्थल, मगहर में शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन के विकास से सम्बन्धित परियोजनाओं का लोकार्पण किया। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी उपस्थित रही। इस अवसर पर राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने वृक्षारोपण किया। इन परियोजनाओं में 31.49 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित संत कबीर अकादमी और शोध संस्थान, भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के अन्तर्गत 17.61 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इंटरप्रेटेशन सेन्टर और 37.66 लाख रुपये की लागत से कबीर निर्वाण स्थली, मगहर के सौन्दर्यीकरण के कार्य सम्मिलित हैं।

एक जनपद एक उत्पाद योजना का स्मृति चिन्ह भेंट किया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा राष्ट्रपति को कबीर दास के दोहे लिखे टेलीग्राफिक अंगवस्त्र और ‘एक जनपद एक उत्पाद’ योजना का स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। कार्यक्रम के दौरान पर्यटन से सम्बंधित एक लघु फिल्म भी दिखाई गयी। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि संत कबीर दास की निर्वाण स्थली साम्प्रदायिक एकता की अदभुत मिसाल है। यहां पर समाधि और मजार एक साथ निर्मित हैं। लगभग 700 वर्ष गुजर जाने के बाद भी उनकी शिक्षाएं और वाणी जनसाधारण से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग में लोकप्रिय है। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि संतों के आगमन से धरती पवित्र हो जाती है। संत कबीर मगहर में लगभग 3 वर्ष तक रहे थ। ऊसर, बंजर और अभिशप्त मानी जाने वाली यह भूमि उनके आगमन से खिल उठी। कबीर दास के आमंत्रण पर नाथ पीठ के सिद्ध पुरुष भी यहां पधारे थे। उनके प्रभाव से यहां का तालाब जल से भर गया। कबीर दास सच्चे पीर थे। वह लोगों की पीड़ा समझते थे और उस पीड़ा को दूर करने के उपाय करते थे।

समरस समाज के निर्माण की चादर बुनी
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आगे कहा, "कबीर दास का पूरा जीवन मानव धर्म का श्रेष्ठतम उदाहरण है। कबीर दास ने उस समय के विभाजित समाज में समरसता लाने के लिए सामाजिक मेलजोल की बारीक कताई की। ज्ञान के रंग से सुन्दर रंगाई की, एकता और समन्वय का मजबूत ताना-बाना तैयार किया और समरस समाज के निर्माण की चादर बुनी। इस चादर को उन्होंने बहुत सावधानी से ओढ़ा और कभी मैला नहीं होने दिया।"

कोई बाहरी सत्ता नहीं, कण-कण में व्याप्त है ईश्वर 
रामनाथ कोविन्द ने कहा, "कबीर दास ने हमेशा अन्धविश्वास, आडम्बरों और भेदभाव को दूर करने का प्रयास किया। यही कारण था कि वह अंतिम समय में काशी छोड़कर मगहर चले आए। वह एक सहज संत थे। वह मानते थे कि ईश्वर कोई बाहरी सत्ता नहीं है। ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। कबीर दास ने गृहस्थ जीवन को भी संतों की तरह जिया। उनकी पवित्र वाणी ने सुदूर पूर्व में श्रीमंत शंकर देव से लेकर पश्चिम में संत तुकाराम और उत्तर में गुरुनानक से लेकर छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास को प्रभावित किया।"

संत कबीर की तपस्थली के दर्शन का अवसर मिला
राष्ट्रपति ने कहा, "बिहार के राज्यपाल के रूप में मुझे वाराणसी स्थित संत कबीर की तपस्थली के दर्शन का अवसर मिला था। राष्ट्रपति के रूप में वर्ष 2017 में मध्य प्रदेश के भोपाल में आयोजित कबीर महोत्सव और वर्ष 2018 में सागर में स्थित कबीर आश्रम के कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला था। मैंने वर्ष 2018 में हरियाणा के फतेहाबाद में संत कबीर प्रकट उत्सव में भी भाग लिया। इस अवसर पर मैने संत कबीर के अनुयायियों का भारी उत्साह देखा है।"

नरेन्द्र मोदी ने रखी थी रिसर्च सेन्टर की आधारशिला 
राष्ट्रपति ने कहा, "वर्ष 2003 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम ने मगहर आकर कबीर चौरा के दर्शन किये। 28 जून 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस रिसर्च सेन्टर की आधारशिला रखी थी। उस परियोजना के पूरा होने पर आज यहां कबीर दास की चित्र-प्रदर्शनी, ऑडिटोरियम, पुस्तकालय और शोधार्थियों के लिए आवास आदि का लोकार्पण करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है।"

संत कबीरदास ने सदैव रुढ़िवाद का विरोध किया
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "संत कबीरदास ने सदैव रुढ़िवाद का विरोध किया। उन्होंने इसके विरुद्ध एक आवाज उठायी थी, इसीलिए वे मगहर आए थे। उस समय कहा जाता था कि मगहर में आने पर नर्क मिलता है। कबीरदास इसके खिलाफ जाकर यहां आए और उन्होंने इसे स्वर्ग बना दिया। आज यहां पर पर्यटन विकास के अनेक कार्य हो रहे हैं।"

उनकी सिद्धि को लेकर शोध कार्य किये जाएंगे
मुख्यमंत्री ने कहा, "आज राष्ट्रपति के कर-कमलों से मगहर में 03 बड़ी परियोजनाओं का लोकार्पण कार्यक्रम सम्पन्न हो रहा है। इनमें 31.49 करोड़ रुपये की लागत से संत कबीर अकादमी और शोध संस्थान का निर्माण शामिल है, जिसके माध्यम से संत कबीर दास की लोक साहित्य, उनकी साखी, बीजक, शबद, उनकी सिद्धी को लेकर शोध कार्य किये जाएंगे। साथ ही, स्वदेश दर्शन योजना के अन्तर्गत 17.61 करोड़ रुपये की लागत से इंटरप्रेटेशन सेन्टर का निर्माण और 37.66 लाख रुपये की लागत से कबीर निर्वाण स्थली, मगहर का सौन्दर्यीकरण का कार्य भी इसमे शामिल है।"

प्रत्येक गांव में अमृत सरोवर बनाने का संकल्प लिया
मुख्यमंत्री ने कहा, "आज विश्व पर्यावरण दिवस भी है। हमारे संतो, ऋषियों, महापुरुषों ने सदैव पर्यावरण के साथ मिलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। उन्होंने मगहर की आमी नदी, जो पांच वर्ष पूर्व अत्यन्त प्रदूषित थी, को एक व्यवस्थित  कार्ययोजना के माध्यम से प्रदूषण मुक्त किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में प्रत्येक गांव में अमृत सरोवर बनाने का संकल्प लिया है। गांव के जिन सरोवरों पर अवैध कब्जा हो चुका है, और जिसमें गांव का ड्रेनेज उड़ेल दिया जा रहा है, उसे मुक्त कराते हुए, उन अमृत सरोवर को मगहर की आमी नदी के जल की भांति शुद्ध, शान्त और निर्मल बनाकर उसे अपने गांव के तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करना होगा। इससे कभी हमारे पास जल की कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि ‘जल है तो कल है’।"

वृक्षों के साथ एक आत्मीय संवाद जोड़ने का कार्य किया
मुख्यमंत्री ने कहा कि भीषण गर्मी पड़ रही है। घरों में पंखे, एसी लगा सकते हैं। लेकिन सड़कों पर यह सम्भव नहीं है। ऐसी स्थिति में सभी को पर्यावरण की शरण में जाना ही पड़ेगा। इसके लिए अधिक से अधिक वृक्ष लगाने होंगे। हमने अपनी परम्परागत विरासत पीपल, पाकड़, बरगद, नीम, देशी आम आदि वृक्षों के साथ एक आत्मीय संवाद जोड़ने का कार्य किया था। पीपल को भगवान बुद्ध और भगवान विष्णु के साथ जोड़ा है। ऐसे ही अलग-अलग देवी-देवताओं के साथ वनस्पतियों को जोड़ने का कार्य भारत की परम्परा ने किया है। विश्व पर्यावरण दिवस पर हम सभी को ऐसे कार्यक्रमों से जुड़ना ही होगा।

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