Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के लाखों अभिभावकों के लिए बड़ी खबर है। राज्य सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने की इजाजत दे दी है। पिछले 2 वर्षों से उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राइवेट स्कूलों पर यह पाबंदी लगा रखी थी। कोविड-19 महामारी के चलते राज्य सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने की इजाजत नहीं दी थी। अब यह पाबंदी हटा ली गई है। इतना ही नहीं प्राइवेट स्कूल 10% से ज्यादा फीस बढ़ा सकते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला की ओर से यह शासनादेश जारी किया गया है। दूसरी तरफ अभिभावकों ने इस पर एतराज जताया है। पेरेंट्स का कहना है कि कोविड-19 महामारी के बावजूद प्राइवेट स्कूलों के मैनेजमेंट फीस बढ़ा रहे थे। किसी स्कूल में सरकार के आदेश का पालन नहीं किया। अब सरकार की ओर से जारी इस आदेश की आड़ में प्राइवेट स्कूल मनमानी पर उतर आएंगे।
क्या है पूरा मामला
पिछले 2 साल कोविड-19 महामारी की चपेट में बीते हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को फीस में बढ़ोतरी करने की इजाजत नहीं दी थी। इसके बावजूद प्राइवेट स्कूलों ने फीस बढ़ाई। पेरेंट्स ने जिला प्रशासन और सरकार से शिकायत की। जनप्रतिनिधियों ने भी मुख्यमंत्री को इस बारे में जानकारी दी थी। इसके बाद अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए एक शासनादेश जारी किया था। जिसमें फीस बढ़ाने पर पाबंदी लगा दी थी। हालांकि, अभिभावक लगातार फीस घटाने की मांग कर रहे थे। अभिभावकों ने तर्क दिया था कि स्कूल बंद हैं। ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। स्कूलों के खर्चे घट गए हैं। फीस घटनी चाहिए। सरकार ने अभिभावकों की यह बात नहीं मानी थी। अब जब कोविड-19 महामारी को लेकर तमाम पाबंदियां खत्म हो गई हैं तो राज्य सरकार में प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने की इजाजत दे दी है।
फीस वृद्धि में ये फार्मूला लागू होगा
अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला की ओर से जारी किए गए शासनादेश में कहा गया है कि शिक्षण सत्र 2022-23 के लिए प्राइवेट स्कूलों के मैनेजमेंट फीस बढ़ा सकते हैं। फीस वृद्धि का आधार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को बनाया जाएगा। इस समय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 5.6% है। शासनादेश में यह भी कहा गया है कि शिक्षण सत्र 2019-20 में 5% वृद्धि और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक दोनों को जोड़कर इस सत्र के लिए फीस निर्धारित की जाएगी। मतलब, प्राइवेट स्कूल शिक्षण सत्र 2019-20 की फीस पर 10.6 प्रतिशत तक वृद्धि कर सकते हैं। आप इसे कुछ इस तरह समझ सकते हैं। अगर शिक्षण सत्र 2019-20 में किसी छात्र की फीस 1,000 रुपये प्रति माह थी तो अब विद्यालय उसे बढ़ाकर 1,100 रुपए कर सकता है।
इससे ज्यादा फीस बढ़ाई तो कार्रवाई
सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अगर कोई प्राइवेट विद्यालय इस फार्मूले से ज्यादा फीस बढ़ाता है तो उसके खिलाफ 'यूपी प्राइवेट स्कूल फीस रेगुलेटरी एक्ट' के तहत कार्रवाई की जाएगी। उत्तर प्रदेश में कोई भी प्राइवेट विद्यालय इस साल 10.6% से ज्यादा फीस में बढ़ोतरी नहीं करेगा। शासनादेश में अभिभावकों को स्वतंत्रता दी गई है कि अगर कोई विद्यालय फार्मूले और आदेश का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ जिला फीस रेगुलेटरी कमेटी से शिकायत कर सकते हैं।
क्या करते है पेरेंट्स एसोसिएशन के पदाधिकारी
इस मामले में गौतमबुद्ध नगर पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज कटियार ने बताया कि अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने कुछ समय पहले आदेश जारी किया था कि कोरोनावायरस की तीसरी को देखते हुए प्राइवेट स्कूलों की फीस नहीं बढ़ाई जाएगी, लेकिन अब उन्होंने आदेश दिया है कि कोरोना संक्रमण पर रोकथाम लग गई है। अब प्राइवेट स्कूल 5% फीस बढ़ोतरी कर सकते हैं। मनोज ने बताया कि अभी कोरोना वायरस गया नहीं है। आज भी सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि नोएडा और गाजियाबाद में कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे हैं।
नोएडा और गाजियाबाद के स्कूलों में छात्र कोरोना संक्रमित
उन्होंने बताया कि नोएडा के सेक्टर-40 में स्थित एक स्कूल में 4 छात्र कोरोना संक्रमित पाए गए और गाजियाबाद के 2 स्कूलों में तीन छात्र कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इस तरीके से साफ पता चलता है कि अभी कोरोना संक्रमण गया नहीं है। इसलिए आराधना शुक्ला को छात्रों और अभिभावकों के लिए अपना यह फैसला वापस लेना चाहिए।