प्रधानों के अधिकार 'छीनने की अधिसूचना’ की वैधता पर उठे सवाल, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

ग्राम पंचायत चुनाव : प्रधानों के अधिकार 'छीनने की अधिसूचना’ की वैधता पर उठे सवाल, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

प्रधानों के अधिकार 'छीनने की अधिसूचना’ की वैधता पर उठे सवाल, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

ग्राम पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्राम प्रधानों के अधिकार जब्त कर दिए थे। ग्राम प्रधानों के अधिकार संबंधित जिले के सहायक विकास अधिकारी को सौंप दिया गया था और उन्हें प्रशासक के तौर पर नियुक्ति दी गई थी। इस संबंध में बुलंदशहर जिले के ग्राम प्रधान और एक अन्य ग्राम प्रधान की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई की और राज्य सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। 

बताते चलें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 दिसंबर, 2020 को एक अधिसूचना जारी कर सभी ग्राम प्रधानों के अधिकार छीन लिया था। इसके बाद से ही प्रदेश के ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्यों में रोष था। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने राज्य सरकार से जवाब मांगा। इन याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता महेश शर्मा ने अदालत को बताया कि 24 दिसंबर, 2020 को जारी अधिसूचना के जरिए सभी ग्राम प्रधानों के अधिकार छीन लिए गए और संबंधित जिले के सहायक विकास अधिकारी को प्रशासक के तौर पर नियुक्त कर दिया गया।

अधिवक्ता ने ग्राम प्रधानों का पक्ष रखते हुए अपनी दलील में कहा कि ग्राम प्रधानों के अधिकार छीनने की अधिसूचना, चुनाव की अधिसूचना के बगैर जारी की गई। जोकि, उत्तर प्रदेश पंचायत राज कानून में उल्लिखित प्रावधानों के खिलाफ है। याचिकाकर्ताओं के वकील की दलील सुनने के बाद अदालत ने राज्य सरकार के वकील को दो सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई उसके बाद की जाएगी। उत्तर प्रदेश में मार्च तक ग्राम पंचायत चुनाव संपन्न कराए जाएंगे। इस सिलसिले में राज्य सरकार और चुनाव आयोग तैयारियां पूरी कर रहे हैं।

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