राजस्थान के पुष्कर और उत्तर प्रदेश के इस गंगा घाट का बड़ा कनेक्शन, जो इसे पूरे देश में बनाता है खास

Makar Sankranti 2021 : राजस्थान के पुष्कर और उत्तर प्रदेश के इस गंगा घाट का बड़ा कनेक्शन, जो इसे पूरे देश में बनाता है खास

राजस्थान के पुष्कर और उत्तर प्रदेश के इस गंगा घाट का बड़ा कनेक्शन, जो इसे पूरे देश में बनाता है खास

Tricity Today | कानपुर के बिठूर स्थित ब्रह्मावर्त घाट

- माता सीता और वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई से भी क्यों जुड़ा हुआ है इस जगह का महत्व

- मकर संक्रांति के स्नान के लिए आखिर क्यों बढ़ जाती है भक्तों की भारी भीड़

प्रदेश के एक गंगा घाट और राजस्थान के पुष्कर का गहरा नाता है। यह संबंध इतना अनोखा है की लोग मानते हैं कि अपने अनोखे आश्चर्य की वजह से यह स्थान पूरे विश्व में अपनी एक अलग मान्यता रखता है। इस मान्यता के चलते इस स्थान का इतिहास माता सीता और रानी लक्ष्मीबाई से भी जुड़ा हुआ है। यही वजह है कि मकर संक्रांति वाले दिन इस स्थान पर स्नान करने वाले भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है।

कानपुर के बिठूर स्थित ब्रह्मावर्त घाट सिर्फ एक खूंटी का पूजन होता है। ऐसी मान्यता है कि यह खूंटी किसी और की नहीं बल्कि ब्रह्मा जी के ( चरण पादुका ) खड़ाऊ का हिस्सा है। ब्रह्मावर्त घाट के बारे में यहां के धार्मिक विशेषज्ञ ब्रह्म संहिता को आधार मानते हैं। उनका कहना है कि इस स्थान के बारे में और घाट के किनारे बनी हुई खूंटी के बारे में ब्रह्म संहिता में भी विस्तार से वर्णन किया गया है। कानपुर के बिठूर स्थित ब्रह्मावर्त घाट पर गंगा पूजन विशेषज्ञ पंडित नवल किशोर द्विवेदी ने जानकारी दी कि पूरे विश्व में राजस्थान पुष्कर में ही ब्रह्मा जी के पूजन का विधान है। राजस्थान पुष्कर के बाद सिर्फ कानपुर के बिठूर स्थित इस घाट में ब्रह्मा जी की खड़ाऊ का पूजन होता है।
  1. गंगा जी ने बढ़ाया महत्व : गंगा पूजन विशेषज्ञ नवल किशोर द्विवेदी ने जानकारी दी थी राजस्थान में होने वाले ब्रह्मा पूजन में ब्रह्मा जी की प्रतिमा का पूजन होता है। कानपुर के बिठूर स्थित इस घाट पर ब्रह्मा जी के खड़ाऊ की खूंटी का पूजन किया जाता है। ब्रह्मा जी को समर्पित कानपुर के इस मंदिर से सटी हुई पतित पावनी मां गंगा गुजरती है। शास्त्रों में गंगा पूजन के तुरंत बाद ब्रह्मा जी के पूजन का अपना एक अलग विधान है। यही वजह है कि पुष्कर के मंदिर के बाद सिर्फ यही एक मंदिर है जहां पर गंगा जी के स्नान के तुरंत बाद ब्रह्मा जी का ध्यान एवं पूजन किया जा सकता है।
  2. शास्त्रों में यह दिया महत्व : विशेषज्ञों ने जानकारी दी कि ब्रह्म संहिता के अनुसार ब्रह्मा जी ने इस स्थान पर सृष्टि को रचने की शुरुआत की थी। इसके लिए उन्होंने इस स्थान पर 99 यज्ञ पूर्ण किए थे। यज्ञ और पूजन के बाद ही उन्होंने सृष्टि को रचने और मानव उत्पत्ति के लिए मनु और सतरूपा को अवतरित किया था। ऐसी मान्यता है कि पूजन के संपन्न हो जाने के बाद उन्होंने देवी देवताओं और ऋषियों के आग्रह पर अपने खड़ाऊ इसी स्थान पर छोड़ दिए थे। तब से इस स्थान पर ब्रह्मा जी के खड़ाऊ का पूजन लगातार गंगा स्नान के बाद किया जाता है।
  3. बालू से बनाए थे महादेव : ब्रह्मा खूंटी के ठीक ऊपर महादेव का एक मंदिर भी स्थापित है। मानता है कि यह वही शिवलिंग है जो ब्रह्मा जी ने अपने हाथों से बालू से बनाया था। उनकी ओर से बनाया गया शिवलिंग बाद में पत्थर के स्वरूप का हो गया। शिवलिंग में भक्त आज भी ब्रह्मा जी के उंगलियों के निशान के दर्शन कर सकते हैं।
  4. माता सीता और वीरांगना लक्ष्मीबाई से जुड़ा इतिहास : ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर ही लव कुश का जन्म भी हुआ था। ब्रह्मावर्त घाट के ही नजदीक बने बाल्मीकि आश्रम में जानकी जी ने परित्याग के बाद काफी समय बिताया था। ऐसी भी मान्यता है कि इसी स्थान से 6 किलोमीटर दूर अश्वमेघ यज्ञ के लिए छोड़े गए घोड़े को लव कुश ने रोका था। इसके अलावा वीरांगना लक्ष्मीबाई ने भी बचपन में शस्त्र विद्या इसी स्थान के नजदीक बने महल में सीखी थी। रानी लक्ष्मीबाई का बचपन इसी स्थान पर बीता था।
  5. मकर संक्रांति पर महत्व : ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के तुरंत बाद ब्रह्मा जी का पूजन पितृ संबंधी दोष को दूर करता है।
  6. गरुड़ पुराण : गरुड़ पुराण के अनुसार संक्रांति के दिन ब्रह्मा पूजन किए जाने से पितृलोक में विराजमान पूर्वज प्रसन्न होकर मनचाहा आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
  7. विष्णु पुराण : विष्णु पुराण के अनुसार गंगा स्नान या स्नान के बाद मकर संक्रांति के दिन किया गया ब्रह्मा जी का पूजन पितरों के पूजन के समान माना जाता है।
  8. भविष्य पुराण : भविष्य पुराण के अनुसार गंगा स्नान दान और पूजन के बाद ब्रह्मा जी के पूजन किए जाने से जीव पूण्य हासिल कर बगैर किसी बाधा के ब्रह्मलोक में निवास का प्रार्थी बन जाता है।

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