अयोध्या डीएम आवास साइन बोर्ड के बाद उन्नाव का पार्क बना चर्चा का विषय, बदले झूले के रंग

Lucknow : अयोध्या डीएम आवास साइन बोर्ड के बाद उन्नाव का पार्क बना चर्चा का विषय, बदले झूले के रंग

अयोध्या डीएम आवास साइन बोर्ड के बाद उन्नाव का पार्क बना चर्चा का विषय, बदले झूले के रंग

Tricity Today | पार्क

Lucknow : उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के अन्तिम दौर में रंगो और साफ सफाई पर राजनीति तेज हो गई है। अयोध्या डीएम के साइन बोर्ड के बाद अब उन्नाव के पार्क में खड़े झूलों पर रंगों की सियासत होने लगी है। बताया जा रहा है कि उन्नाव के निराला उद्यान के झूले हरे और लाल रंग में रंगे गए हैं। यह उद्यान शहर के प्रमुख पार्कों में शामिल है। अब इसके झूलों पर चढ़ा रंग चर्चा का विषय बन गया है। जानकारी के मुताबिक, अभी तक इन झूलों पर पीला कलर किया गया था। वहीं यह उद्यान उन्नाव डीएम कार्यालय के बगल में होने की वजह से भी चर्चा में है। जबसे इन नए रंगों वाले झूलों की फोटो वायरल हुई है, तबसे अधिकारी बगलें झांकते दिखाई दे रहे हैं।

अन्तिम चरण में 613 प्रत्याशी आजमा रहें किस्मत
अंतिम चरण के लिए चुनाव प्रचार शनिवार शाम छह बजे थम चुका है। अंतिम चरण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत पूर्वांचल के 10 जिलों की 54 सीटों पर चुनाव होगा। आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मीरजापुर, सोनभद्र और भदोही जिलों में मतदान होना है। इन जिलों में कुल 613 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं जिनके भाग्य का फैसला 2.06 करोड़ मतदाता करेंगे। पिछले चुनाव में इन 54 सीटों में से भाजपा ने 29, सपा ने 11, बसपा ने छह, अपना दल (एस) ने चार, सुभासपा ने तीन और निषाद पार्टी ने एक सीट जीती थी।

यूपी में 10 मार्च को होगी मतगणना
बीते दिनों में यह शुरुआत अयोध्या में रंग बदलते डीएम आवास वाले बोर्ड से हुई। पहले भगवा से हरा, फिर लाल और आखिरकार फिर से भगवा होने में हुई। उसका असर लखनऊ में भी दिखा जब रंग-रोगन की यह हलचल पंचम तल से उतरकर पहले लोहिया पार्क और फिर जनेश्वर मिश्र पार्क में दिखाई दी। बता दें कि 10 मार्च को यूपी में मतगणना शुरू होगी। सुबह 8 बजे से मतों की गिनती का कार्य शुरू होने के आधे घंटे बाद ही प्रारंभिक रुझान मिल पाएंगे। दरअसल, इस बार कोरोना संकट के कारण बुजुर्गों और दिव्यांग मतदाताओं को भी पोस्टल बैलेट से वोटिंग की सुविधा दी गई। पहले सर्विस वोटरों का ही पोस्टल बैलेट होने से इनकी संख्या कम होती थी।

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