कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया था। उत्तर प्रदेश में उस लॉकडाउन के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाले 2.5 लाख लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए थे। अब यह सारे मामले वापस होंगे। बड़ी बात यह है कि इनमें तब्लीगी जमातियों पर दर्ज किए गए 323 केस भी शामिल हैं। गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, लखनऊ और मेरठ में सबसे ज्यादा केस तब्लीगी जमातियों पर दर्ज किए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को इस गृह विभाग को आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने गृह विभाग को कार्रवाई करने के लिए कहा है। दरअसल, सरकार का मानना है कि मामूली गलतियों के चलते आम लोगों पर आईपीसी की धारा-188 के तहत मामले दर्ज किए गए थे। अब आगे इन मामलों को चलाने का कोई औचित्य नहीं है। इस तरह लॉकडाउन के उल्लंघन के केस वापस लेने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है।
यूपी के आम आदमी को मिलेगी बड़ी राहत -
आपको बता दें कि पिछले साल मार्च महीने के पहले हफ्ते में आगरा में कोरोना का पहला केस मिला था। इसके लिए एक नवविवाहित युवती को जिम्मेदार ठहराया गया था। उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी। यह कोरोना महामारी से जुड़ा राज्य का पहला आपराधिक मुकदमा था। इसके बाद 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और फिर लॉकडाउन लगाया गया था। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क नहीं लगाने, सार्वजनिक स्थलों पर थूकने आदि जैसे नियमों के उल्लंघन करने पर लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा-188 के तहत मामले दर्ज हुए थे। बीते दिनों प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने व्यापारियों के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री के सामने इन केस को वापस लेने का प्रस्ताव रखा था। राज्य सरकार का मानना है कि इन मामलों से आम लोगों को अनावश्यक परेशानी उठानी पड़ेगी। इससे कोर्ट का बोझ भी कम होगा।
पूरे राज्य में जमातियों पर दर्ज केस वापस होंगे-
तब्लीगी जमात के 1,725 लोगों के खिलाफ यूपी पुलिस ने कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किए हैं। इनमें से 1550 भारतीय और 175 विदेशी जमाती शामिल हैं। प्रदेश के अलग-अलग जिलों में 323 केस दर्ज किए गए थे। लखनऊ जोन में 120 जमाती चिन्हित किए गए थे। इनमें से 68 जमातियों के खिलाफ 26 मामले दर्ज किए गए थे। लेकिन, अब सभी पर दर्ज मामले वापस हो जाएंगे। यूपी में गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, लखनऊ और मेरठ जिलों में सबसे ज्यादा केस तब्लीगी जमातियों पर दर्ज किए थे।
आईपीसी की धारा-188 में यह दो प्रावधान- पहला नियम : यदि कोई नागरिक सरकार या किसी सरकारी अधिकारी के कानूनी आदेशों का उल्लंघन करता है या नागरिक के किसी काम से कानून-व्यवस्था में लगे शख्स को नुकसान पहुंचता है तो कम से कम एक महीने की जेल या 200 रुपए जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
दूसरा नियम : अगर सरकार के आदेश का उल्लंघन करने से मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा आदि को खतरा होता है तो कम से कम 6 महीने की जेल या 1000 रुपये जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।
अदालत और सरकार मुकदमों के नाहक बोझ से बचेंगे-
इस वक्त उत्तर प्रदेश में लाखों मुकदमे लंबित हैं। अदालतों में लंबी सुनवाई चल रही है। अब कोरोना लॉकडाउन के कारण यह ढाई लाख मुकदमे अतिरिक्त अदालतों में पहुंच गए हैं। इसकी वजह से पुलिस, सरकार, अभियोजन और अदालतों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है। बड़ी बात यह है कि इन ढाई लाख मुकदमों की वापसी से सरकार, पुलिस, अभियोजन और अदालतों को बड़ी राहत मिल जाएगी। विशेषज्ञ योगी आदित्यनाथ सरकार के इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं।
ख़ास बात यह है कि क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CRPC-1973) के पहले शेड्यूल के अनुसार दोनों ही स्थिति में जमानत मिल सकती है और कार्रवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है।