कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही लड़ाई में जिलों को संसाधन मुहैया कराने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 2.15 अरब रुपए की धनराशि जारी की है। लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, मेरठ, आगरा और बरेली जैसे ज्यादा प्रभावित जिलों को 55 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। जिन जिलों में अपेक्षाकृत संक्रमण के मामले कम हैं। उन्हें तत्काल प्रभाव से 22 करोड़ रुपए भेजे गए हैं। इस धनराशि से जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग उपकरण दवाएं और ऑक्सीजन जैसे संसाधन खरीद सकते हैं।
उत्तर प्रदेश की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने शनिवार को यह शासनादेश जारी किया है। जिसमें बताया गया है कि राज्य सरकार ने जिलों को तत्काल राहत देने के लिए 225 करोड़ रुपए की धनराशि जारी कर दी है। शासन ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को स्वतंत्रता दी है कि आवश्यकता के अनुसार संसाधन खरीद सकते हैं। यह पैसा किन मदों पर खर्च किया जा सकता है। यह जानकारी भी शासनादेश में उपलब्ध करवाई गई है।
जारी शासनादेश में कहा गया है कि इस धनराशि का उपयोग सिर्फ कोरोना वायरस से निपटने के लिए जरूरी योजनाओं में ही किया जाएगा। इस धनराशि से दवाइयां, पीपीई किट, एन-95 मास्क, होम मेडिकल किट, थर्मल स्कैनर, ऑक्सीजन सिलेंडर आदि की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इसके अलावा कोविड टेस्टिंग किट भी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहे। रेणुका कुमार ने शासनादेश में कहा है कि इस मद से सर्विलांस एवं स्क्रीनिंग ऑपरेशन और कांटेक्ट ट्रेसिंग से जुड़ी गतिविधियों में वाहन किराए पर लेना सम्मिलित होगा। ताकि सर्विलांस, सैंपलिंग और आरआरटी गतिविधियां निर्बाध रूप से चलती रहें।
हालांकि ए श्रेणी के जनपदों में अधिकतम 15 वाहन तथा बी/सी श्रेणी के जिलों में अधिकतम 10 वाहन किराए पर रखे जा सकेंगे। सभी वाहन पर व्यय सभी खर्च और टैक्स चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के टेंडर दर से अधिक नहीं अनुमन्य होगा। इस राशि का उपयोग स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी निर्देशों के मुताबिक कंटेनमेंट ऑपरेशन में भी किया जा सकेगा। सर्विलांस और स्क्रीनिंग कार्य के लिए आउटसोर्सिंग सेवाओं को मंजूरी दी गई है। लेकिन मानव सेवा जैसे चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ तथा लैब टेक्नीशियन को संविदा पर नहीं रखा जाएगा। इन पर होने वाले खर्च का भुगतान एनएचएम से वहन किया जाएगा।