Lucknow News : उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा नियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) ने रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। रेरा की ओर से जारी एक प्रेस नोट के अनुसार, यूपी रेरा ने सभी सक्षम प्राधिकरणों (विकास प्राधिकरणों) को निर्देश दिए हैं कि वे परियोजनाओं के आंशिक पूर्णता या अधिभोग प्रमाण-पत्रों में अधिक विस्तृत जानकारी प्रदान करें। अस्थायी प्रमाण-पत्र जारी करने से बचें।
यूपी रेरा ने क्या फैसला लिया
1. आंशिक प्रमाण-पत्रों में विस्तृत विवरण: प्राधिकरणों को निर्देश दिया गया है कि वे आंशिक पूर्णता या अधिभोग प्रमाण-पत्रों में परियोजना के पूर्ण भाग को स्पष्ट रूप से चिह्नित करें। इसमें पूर्ण हुए टावरों या ब्लॉकों के नाम और परियोजना में शामिल सभी टावरों/ब्लॉकों के नाम शामिल होने चाहिए।
2. अस्थायी प्रमाण-पत्रों पर रोक: यूपी रेरा ने सक्षम प्राधिकरणों को किसी भी परियोजना के लिए अस्थायी पूर्णता या अधिभोग प्रमाण-पत्र जारी करने से बचने का निर्देश दिया है। ऐसे अस्थायी प्रमाण-पत्र नियमों के अनुरूप नहीं हैं और आवंटियों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
3. नामों में एकरूपता: प्राधिकरणों को सलाह दी गई है कि वे परियोजना, उसके टावरों या ब्लॉकों के नामों में एकरूपता सुनिश्चित करें। ये नाम रेरा में पंजीकरण के समय प्रोमोटर द्वारा दिए गए नामों के अनुरूप होने चाहिए।
4. आवंटियों के हितों की रक्षा: इन निर्देशों का उद्देश्य आवंटियों को रजिस्ट्री और कब्जे के समय परियोजना की पूर्णता के बारे में आश्वस्त करना है।
रेरा के चेयरमैन क्या बोले
यूपी रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने कहा कि ये कदम रियल एस्टेट क्षेत्र में मानकीकरण लाने और प्रोमोटरों और आवंटियों के बीच विवादों को कम करने के लिए उठाए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सक्षम प्राधिकरणों द्वारा थोड़ी सी अतिरिक्त सतर्कता बरतने से इस समस्या का समाधान आसानी से हो सकता है, जो सभी हितधारकों के लिए लाभकारी होगा। यह पहल यूपी रेरा की ओर से आवंटियों के अधिकारों और हितों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ेगी और आवंटियों का विश्वास मजबूत होगा। साथ ही, यह कदम प्रोमोटरों और आवंटियों के बीच विवादों को कम करने में भी मदद करेगा, जिससे समग्र रूप से रियल एस्टेट उद्योग को लाभ होगा।