चौधराहट की काट हैं चौधरी, लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने चला तुरुप का इक्का? VIDEO

विश्लेषण : चौधराहट की काट हैं चौधरी, लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने चला तुरुप का इक्का? VIDEO

चौधराहट की काट हैं चौधरी, लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने चला तुरुप का इक्का? VIDEO

Tricity Today | चौधराहट की काट हैं भूपेंद्र चौधरी

Meerut\Lucknow : उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के लिए गुरुवार को वह चिट्ठी जारी हो गई, जिसे लेकर करीब चार महीनों से रस्साकशी का दौर चल रहा था। आप शायद समझ गए होंगे, मैं यूपी बीजेपी के नए अध्यक्ष की बात कर रहा हूं। योगी सरकार में पंचायतराज मंत्री भूपेंद्र चौधरी नए प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिए गए हैं। गुरुवार की दोपहर राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह ने जगत प्रकाश नड्डा की ओर से चिट्ठी जारी करके यह घोषणा की है। वैसे कई दिन पहले केंद्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच चौधरी साहब की ताजपोशी को लेकर सहमति बन चुकी थी। मेरा मकसद यह बताना नहीं कि भूपेंद्र चौधरी अध्यक्ष बन गए हैं। वह क्यों अध्यक्ष बने हैं, चर्चा इस मुद्दे पर है।

आइये पहले जान लें, कौन हैं भूपेंद्र चौधरी?
भूपेंद्र चौधरी यूपी की योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में पंचायतराज मंत्री हैं। योगी वन सरकार में भी वह इसी विभाग को संभाल रहे थे। वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के ठीक बाद विधान परिषद के सदस्य चुने गए थे। वयोवृद्ध पत्रकार और संघ परिवार के सदस्य हृदय नारायण दीक्षित की खाली हुई विधान परिषद सीट पर भूपेंद्र चौधरी का चुनाव हुआ था। फिर वह उत्तर प्रदेश सरकार में पंचायतराज मंत्री बने। चौधरी जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। वह मुरादाबाद में छजलेट क्षेत्र के गांव महेन्द्री सिकंदरपुर के निवासी हैं। लंबे अरसे से भारतीय जनता पार्टी में राजनीति कर रहे हैं। भूपेंद्र चौधरी को संगठन का माहिर माना जाता है।

उनके अनुभव का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि 54 साल के भूपेंद्र चौधरी को भारतीय जनता पार्टी के संगठन में काम करने का करीब 30 साल लंबा अनुभव है। वह तीन बार पश्चिम उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे हैं। चौधरी ने वेस्ट यूपी भाजपा की कमान साल 2012 में संभाली थी। पहले उन्हें क्षेत्रीय संयोजक नियुक्त किया गया था। इसके बाद पार्टी ने नियमित करते हुए दो बार लगातार क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया था। उन्होंने साल 2017 तक वेस्ट यूपी बीजेपी की कमान संभाली। इसी दौरान 2014 का लोकसभा चुनाव और फिर 2017 का विधानसभा चुनाव पार्टी ने लड़ा था। जिसमें पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा को ऐतिहासिक कामयाबी मिली। उत्तर प्रदेश भाजपा के जिन अध्यक्षों के साथ भूपेंद्र चौधरी किसी न किसी भूमिका में काम कर चुके हैं, उनकी फेहरिस्त लम्बी है। चौधरी ने विनय कटियार, रमापति राम त्रिपाठी, सूर्य प्रताप शाही, लक्ष्मीकांत वाजपेई, केशव प्रसाद मौर्य और स्वतंत्र देव सिंह के साथ पार्टी में काम किया है।

अब वो बात जिसके लिए मैंने आपको इतना बड़ा परिचय दिया
पिछले करीब 2 वर्षों से भारतीय किसान यूनियन केंद्र सरकार के खिलाफ रह-रहकर आंदोलन कर रही है। राकेश टिकैत लगातार भाजपा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर हमले बोल रहे हैं। बार-बार चुनाव से पहले कहा जाता है कि जाट कम्युनिटी भाजपा से नाराज है। क्या राकेश टिकैत की इसी चौधराहट की काट करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने भूपेंद्र चौधरी के रूप में तुरुप का इक्का चला है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा वेस्टर्न यूपी में अपने प्रदर्शन को भले ही दोहराने में कामयाब रही, लेकिन जाट वोटरों के जनाधार वाले राष्ट्रीय लोकदल को भी विधानसभा में 8 सीट मिली हैं। रालोद से गठबंधन के कारण मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का मत प्रतिशत बढ़ा है। अपने गठबंधन को बरकरार रखने के लिए अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को राजयसभा भेजा है। ऐसे में क्या भारतीय किसान यूनियन का आंदोलन और सपा-रालोद का गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए फिर सिरदर्द बन सकते हैं? सवाल यह भी है कि भूपेंद्र चौधरी इस दर्द की कितनी कारगर दवा हैं?

सपा-रालोद गठबंधन से टक्कर लेंगे भूपेंद्र चौधरी
आइए जानते हैं आखिर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर पकड़ रखने वाले लोग क्या कहते हैं? मेरठ में वरिष्ठ पत्रकार डॉ.कुलदीप त्यागी इस पर एक खास नजरिया रखते हैं। वह कहते हैं, "मेरी नजर में राकेश टिकैत का किसानों पर कोई खास प्रभाव नहीं है। अगर जाट कम्युनिटी की बात भी करो तो इस बिरादरी पर भी राकेश टिकैत का कोई वर्चस्व नजर नहीं आता है। हर किसी को मालूम है, राकेश टिकैत में दो बार चुनाव लड़ा और दोनों बार उनकी जमानत जब्त हो गई। उन्होंने करीब एक साल लंबा आंदोलन किया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले तमाम दावे किए थे। चुनाव के परिणाम हम सबके सामने हैं। कहीं-कहीं आंशिक असर के अलावा पूरे जाट बाहुल्य इलाकों में भाजपा को खूब वोट मिले हैं। अब भूपेंद्र चौधरी को भाजपा ने आगे बढ़ाया है। आने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने बड़ा फैसला लिया है। भूपेंद्र चौधरी जाट समुदाय से आते हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। इसका असर जाट समुदाय पर जरूर पड़ेगा। निसंदेह लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी इसका भरपूर फायदा उठाएगी।

बिजनौर, रामपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, मथुरा, हाथरस, आगरा और अलीगढ़ में जाट समुदाय का अच्छा खासा असर है। हाल ही में भाजपा ने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन गवर्नर जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया था। जिससे जाट कम्युनिटी में भाजपा के पक्ष में बड़ी सहानुभूति पैदा हुई है। अब राजनीतिक रूप से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा का मुखिया जाट बनाया गया है। क्या भाजपा के ये कदम राकेश टिकैत, अखिलेश यादव और जयंत चौधरी को फिर बैकफुट पर ले जाएंगे। वरिष्ठ पत्रकार और बिजनौर टाइम्स अखबार के सम्पादक सूर्यमणि रघुवंशी से इस मसले पर हमारी चर्चा हुई।

उन्होंने कहा, "भूपेंद्र चौधरी बेहद अनुभवी नेता हैं। उन्हें संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है। इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को जरूर मिलेगा।  वह पश्चिम उत्तर प्रदेश से आते हैं और जाट कम्युनिटी से ताल्लुक रखते हैं।  इसमें कोई दो राय नहीं कि भूपेंद्र चौधरी की नियुक्ति से जाट समुदाय भारतीय जनता पार्टी की तरफ आकर्षित होगा। यही भारतीय जनता पार्टी का उद्देश्य है। मैं साफतौर पर यह मानता हूं कि लोकसभा चुनाव में एक बार फिर राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी का गठबंधन होगा। जिसे भारतीय जनता पार्टी चुनौती मानती है। लिहाजा, भूपेंद्र चौधरी को जिम्मेदारी सौंपकर भाजपा ने मजबूत राजनीतिक सोच का परिचय दिया है।" कुल मिलाकर साफ है कि भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश, रोहिलखंड और ब्रज क्षेत्र में जाट समुदाय की दमदार मौजूदगी को ध्यान में रखते हुए भूपेंद्र चौधरी को यूपी बीजेपी की कमान सौंपी है। इतना ही नहीं, भाजपा भूपेंद्र चौधरी की ताजपोशी का फायदा राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भी उठाने का भरपूर प्रयास करेगी।

(लेखक पंकज पाराशर वरिष्ठ पत्रकार हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति को बारीकी से जानते हैं।)

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