योगी आदित्यनाथ ने एकबार फिर मिथक तोड़ा, यूपी में पहली बार श्राद्ध पक्ष में मंत्रिमंडल विस्तार हुआ

अंधविश्वास पर विजय : योगी आदित्यनाथ ने एकबार फिर मिथक तोड़ा, यूपी में पहली बार श्राद्ध पक्ष में मंत्रिमंडल विस्तार हुआ

योगी आदित्यनाथ ने एकबार फिर मिथक तोड़ा, यूपी में पहली बार श्राद्ध पक्ष में मंत्रिमंडल विस्तार हुआ

Tricity Today | Yogi Adityanath

Yogi Adityanath Cabinet Expansion : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को अंधविश्वास और मिथकों पर विजय हासिल करने वाला नेता माना जाता है। वह अब तक उन सारे अंधविश्वासों के मकड़जाल को तोड़ने में कामयाब रहे हैं, जिनसे उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री खौफ खाया करते थे। रविवार को उन्होंने पितृ पक्ष में मंत्रिमंडल विस्तार करके ऐसे ही अंधविश्वास को खत्म किया है। दरअसल, उत्तर प्रदेश में यह पहली बार हुआ है, जब किसी मुख्यमंत्री ने पितृ पक्ष में अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का तो यहां तक कहना है कि शायद देश के इतिहास में पहली बार ऐसा किसी मुख्यमंत्री ने किया है। केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान सितंबर 2017 में दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार पितृ पक्ष में किया था।

सबसे पहले नोएडा नहीं जाने का अंधविश्वास तोड़ा
इससे पहले भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई तरह के मिथकों को तोड़ चुके हैं। मसलन, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नोएडा जाने से डरते थे। यूपी के राजनीतिक गलियारों में अंधविश्वास था कि जो मुख्यमंत्री नोएडा चला जाता है, उसे अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ता है। खास बात यह रही कि मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपने दौरों की शुरुआत गौतमबुद्ध नगर से ही की। वह पहली बार 25 दिसंबर 2017 को मैजेंटा लाइन मेट्रो का शुभारंभ करवाने प्रधानमंत्री के साथ नोएडा पहुंचे थे। वह अपने साढ़े 4 वर्षों के बतौर मुख्यमंत्री कार्यकाल में अब तक 14 बार नोएडा और ग्रेटर नोएडा का दौरा कर चुके हैं। एक और बात काबिलेगौर है कि उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने पूरे 5 वर्ष के कार्यकाल में एक बार भी नोएडा नहीं आए थे।

योगी आदित्यनाथ से दूसरे नेताओं ने ली प्रेरणा
नोएडा जैसा ही अंधविश्वास मध्य प्रदेश के अशोकनगर ज़िले से भी जुड़ा था। वहां भी कहा जाता था कि जो भी मुख्यमंत्री यहां के ज़िला मुख्यालय आते हैं, उन्हें सत्ता गंवानी पड़ती है। जब 25 दिसंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नोएडा आने पर तारीफ की और कहा था कि एक सन्यासी होने के बावजूद उन्होंने आधुनिक सोच का परिचय दिया है। यह अपने आप में अंधविश्वास पर बड़ा कुठाराघात है। इसके बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अशोकनगर जाने की घोषणा की थी। शिवराज सिंह चौहान अशोकनगर जिला मुख्यालय गए और विकास कार्यों की समीक्षा की थी।

खास बात यह थी कि शिवराज सिंह चौहान से पहले 1975 में प्रकाशचंद सेठी, 1977 में श्यामचरण शुक्ल, 1984 में अर्जुन सिंह, 1993 में सुंदरलाल पटवा और 2003 में दिग्विजय सिंह वहां गए थे, जिसके बाद वे दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन पाए थे। शायद यही वजह थी कि वर्ष 2003 के बाद से कोई मुख्यमंत्री अशोकनगर जिला मुख्यालय नहीं गया था। सिर्फ नोएडा और अशोकनगर ही नहीं, देश में कई ऐसी जगहें हैं, जहां बड़े नेता अंधविश्वासों की वजह से नहीं जाना नहीं चाहते हैं।

इसी पर मध्य प्रदेश में इछावर कस्बे को अंधविश्वास से जोड़ा जाता है। मध्यप्रदेश विधानसभा में तो कांग्रेस विधायक शैलेंद्र पटेल ने मुख्यमंत्री के इछावर मुख्यालय नहीं जाने का सवाल उठाया था। इस सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने कहा कि पिछले 12 वर्षों में यहां मुख्यमंत्री के आने का कई बार कार्यक्रम बना पर वो नहीं आए। दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.कैलाश नाथ काटजू 1962 में, पंडिता द्वारका प्रसाद मिश्र 1967 में, कैलाश जोशी 1977 में, वीरेंद्र कुमार सकलेचा 1979 में इछावर पहुंचे थे, जिसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी गवांनी पड़ी थीं। लोग इसे मिथक से जोड़कर देखते हैं।

पितृ पक्ष में नहीं होता कोई शुभ काम
भारतीय समाज में पितृ पक्ष को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियां और अंधविश्वास हैं। लोगों का मानना है कि पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों और परिवार में मर चुके सदस्यों के लिए श्राद्ध का आयोजन करते हैं। यह 16 दिन शोक के रूप में मनाए जाते हैं और शुभ काम करना है की मनाही होती है। अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि नए कपड़े सिलवाना और पहनना भी इन दिनों वर्जित होता है। दूसरी ओर मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री जैसे पदों की शपथ लेना तो बेहद शुभ काम माना जाता है। लिहाजा, पितृपक्ष में कोई भी नेता ऐसा कदम उठाने से परहेज ही बरतता रहा है। शायद यही वजह रही कि कभी भी पितृपक्ष के दौरान मंत्रिमंडल विस्तार जैसा बड़ा काम नहीं किया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को पितृपक्ष के दौरान अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करके इस मिथक को भी विराम लगा दिया है। आपको बता दें कि योगी आदित्यनाथ ने जितिन प्रसाद, छत्रपाल सिंह गंगवार, दिनेश खटीक, पलटू राम, डॉ.संगीता बिन्द, धर्मवीर प्रजापति और संजीव गोंड़ को नए मंत्रिमंडल में जगह दी हैं।

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