पूरी दुनिया से हवाई जहाज सुधरने जेवर आएंगे, इसके लिए एक रनवे अलग बनेगा

Jewar Airport : पूरी दुनिया से हवाई जहाज सुधरने जेवर आएंगे, इसके लिए एक रनवे अलग बनेगा

पूरी दुनिया से हवाई जहाज सुधरने जेवर आएंगे, इसके लिए एक रनवे अलग बनेगा

Tricity Today | पूरी दुनिया से हवाई जहाज सुधरने जेवर आएंगे

Jewar Airport : जेवर में एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बन रहा है। इस एयरपोर्ट पर दूसरे चरण में अधिग्रहण की गई 1,365 हेक्टेयर जमीन पर विमानों के रखरखाव और मरम्मत के लिए एमआरओ हब विकसित किया जाएगा। इसके अलावा यहां पर एक रनवे में भी बनाया जाएगा। 25 नवंबर 2021 को देश का एक ऐतिहासिक इतिहास मोदी और योगी ने लिखा है। हम इस एयरपोर्ट को ऐतिहासिक ऐसे ही नहीं कह रहे हैं, इसके पीछे भी बहुत सारी वजह है। इस एयरपोर्ट के बनने के बाद और बनने के दौरान भी सैकड़ों या हजारों नहीं बल्कि कई लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। यह भारत के लिए आत्मनिर्भर बनाएगा। 

जेवर में 2 एमआरओ हब बनेंगे
जेवर में एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बन रहा है। इस एयरपोर्ट पर दूसरे चरण में अधिग्रहण की गई 1,365 हेक्टेयर जमीन पर विमानों के रखरखाव और मरम्मत के लिए एमआरओ हब विकसित किया जाएगा। इसके अलावा यहां पर एक रनवे में भी बनाया जाएगा। जेवर एयरपोर्ट परियोजना में 2 एमआरओ हब बनेंगे। एयरपोर्ट की विकासकर्ता कंपनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड यहां पर 40 एकड़ में एमआरओ हब बनाएगी। एक एमआरओ हब का इस्तेमाल कंपनी अपने हिसाब से करेगी लेकिन दूसरा एमआरओ हब सरकार विकसित करेगी। यह 1,365 हेक्टेयर जमीन पर विकसित होगा। सरकार इसे अपने अनुसार चलाएगी।

15,000 करोड़ रुपए विदेश जाता है
आंकड़ों के मुताबिक देश से 15,000 करोड़ रुपए विदेश में जाता है। देश के हवाई जहाज मरम्मत और ठीक होने के लिए विदेश में जाते हैं। जिसके लिए काफी मिलियन पैसा भारत से विदेश में जाता है लेकिन अब यहां पर एमआरओ हक विकसित होने के बाद देश का पैसा देश में ही रहेगा। इससे आत्मनिर्भरता को नई उड़ान मिलेगी।

जेवर के अलावा मेरठ में भी एमआरओ हब बनेगा
जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के साथ एक एमआरओ हब भी बनेगा। उत्तर प्रदेश सरकार हवाई जहाज के लिए एक घरेलू एमआरओ (मेंटिनेंस, रिपेयरिंग और ओवरहॉलिंग) उद्योग स्थापित करेगी। योगी आदित्यनाथ सरकार की योजना है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में 2 एमआरओ हब विकसित किए जाएं। इनमें से एक गौतमबुद्ध नगर के जेवर और दूसरा मेरठ में होगा। यहां नागरिक और रक्षा विमान, दोनों की जरूरतों की पूरा किया जाएगा। यह दोनों हब भारत में कार्यरत एयरलाइंस को रखरखाव के खर्च को कम करने में मदद करेगा। एमआरओ की संभावनाओं को देखते हुए यमुना प्राधिकरण सेक्टर-7, 8 और 30 में आरक्षित करने पर विचार कर रही है।

भारत को आत्मनिर्भता मिलेगी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछली साल देश में घरेलू विमानन क्षेत्र को बढ़ावा देने के उपायों की घोषणा की थी। जिसके बाद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी में दो एमआरओ बनाने की मांग को रखा था। अब जेवर में  विमानों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) बनाया जाएगा। इससे भारत को आत्मनिर्भता मिलेगी।  

भारत में सिर्फ 10 प्रतिशत एमआरओ बाजार पर कब्जा
जेवर हवाई अड्डे के लिए तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता रिपोर्ट के अनुसार भारत से निकलने वाली एमआरओ बाजार की मांग 2036 तक 5 बिलियन डॉलर तक जाने की उम्मीद है। वर्तमान में भारत के भीतर केवल 10 प्रतिशत एमआरओ बाजार पर कब्जा है, शेष के देश के बाहर किया जा रहा है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति के माध्यम से एक घरेलू एमआरओ उद्योग को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास किए हैं। भारत में कराधान नीति एमआरओ के आड़े आ रही है। यह एमआरओ उद्योग के विकास की दिशा में एक बड़ी बाधा है लेकिन यह अब ज्यादा समय तक नहीं रह सकती, वर्तमान में भारत 45 अरब अमेरिकी डॉलर के वैश्विक एमआरओ बाजार का 1 प्रतिशत है।

देश के इस स्थान पर है एमआरओ हब
भारत में इस समय एमआरओ हब दिल्ली, मुंबई, नागपुर, कोलकाता, तिरुवंतपुरम और हैदराबाद में है। इन पर एआईईएसएल (एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड), एयर वर्क्स (एयर वर्क्स इंडिया (इंजीनियरिंग) प्राइवेट लिमिटेड), इंडैमर प्राइवेट लिमिटेड (इंदमेर एविएशन प्राइवेट लिमिटेड), डेक्कन चार्टर (डेक्कन चार्टर्स लिमिटेड), ताज एयर (ताज एयर), पक्षी निष्पादन जेट (पक्षी निष्पादन जेट), जीएमआर एयरो टेक्निक लिमिटेड (जीएमआर एयरो टेक्निक लिमिटेड), मैक्स एमआरओ प्राइवेट लिमिटेड (मैक्स एमआरओ प्राइवेट लिमिटेड) कंपनियों का कब्जा है।

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