Tricity Today | सात साल से रजिस्ट्री के लिए ठोकरें खा रहे एसडीएस इंफ्राकॉन के निवासी
एसडीएस इंफ्राकॉन के खरीदार 7 साल से रजिस्ट्री और मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं
यूपी रेरा एसडीएस इंफ्राकॉन बिल्डर को तीन बार नोटिस भेज चुका है
बॉयर्स का ये भी कहना है कि यहां कराए गए निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया है
लिफ्ट लगाने के लिए जगह भी छोड़ी गई थी। लेकिन अब वहां पर दीवारें चला दी गई हैं
Gautam Buddh Nagar: यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway) से सटी पॉश सोसाइटी एसडीएस इंफ्राकॉन (एनआरआई सीटी) के खरीदार पिछले 7 साल से रजिस्ट्री और मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। उन्होंने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (Yamuna Expressway Authority) और बिल्डर प्रबंधन से कई दर्जन बार मुलाकात की है। लेकिन अब तक कोई हल नहीं मिला है। प्राधिकरण बिल्डर पर बकाए की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाता है। जबकि बिल्डर बुनियादी सुविधाएं विकसित करने, कंपलीशन सर्टिफिकेट और खरीदारों की रजिस्ट्री कराने को तैयार नहीं हैं। यहां तक कि बॉयर्स को आरटीआई के जरिए प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी जुटानी पड़ रही है।
नहीं हो रही रजिस्ट्री
सोसायटी के खरीदार प्रशांत कुलश्रेष्ठ ने बताया, उन्होंने करीब 6 साल पहले रजिस्ट्री कराई थी। लेकिन अब तक उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ है। यहां करीब 1456 घर बनने हैं। इनमें से 500 लोगों को कंडीशनल कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिले थे। लेकिन अब वह भी बेकार हो गए हैं। बिल्डर ने 5 साल पहले नक्शा पास कराया था। मगर खरीदारों का मानना है कि यह नक्शा में भी झोल है। इसमें मानकों की अनदेखी की गई थी। अब तक रजिस्ट्री नहीं होने से हालात खराब हैं। इस वजह से खरीदार अपने परिवार के साथ किराए के घर में रह रहे हैं। बड़ी बात यह है कि उन्हें बैंक की ईएमआई और घर का किराया दोनों देना पड़ रहा है।
रेरा ने तीन बार नोटिस भेजा
प्रशांत ने आगे बताया, उत्तर प्रदेश भूमि नियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) एसडीएस इंफ्राकॉन बिल्डर को तीन बार नोटिस भेज चुका है। रेरा ने कहा है कि बिल्डर जल्द अपने प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन कराए। लेकिन बिल्डर की तरफ से इस पर भी कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। रजिस्ट्रेशन नहीं होने की वजह से मामले की सुनवाई भी नहीं हो पा रही। यमुना प्राधिकरण, बिल्डर पर कड़ी कार्रवाई करने से बच रहा है। इसकी वजह से खरीदार परेशान हैं। बॉयर्स का ये भी कहना है कि यहां कराए गए निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया है। नई बनी इमारतों में भी प्लास्टर गिरने और दीवारें झड़ने जैसी गड़बड़ियां कई बार बिल्डर के संज्ञान में लाई गई हैं।
7 साल से चक्कर काट रहे
यहां तक कि लोगों की सहूलियत के लिए बनाए गए क्लब हाउस की दीवारें झड़ रही हैं। निवासियों ने इसकी ऑडिट के लिए अथॉरिटी और जिला प्रशासन को लिखा था। मगर इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। एक अन्य खरीदार तरुण शर्मा ने बताया, 2015 में उन्होंने यहां घर बुक कराया था। उसी वक्त घर की पूरी कीमत चुका दी थी। लेकिन 7 साल बाद तक उनकी रजिस्ट्री नहीं हो सकी है। यमुना प्राधिकरण और बिल्डर प्रबंधन दोनों की तरफ से बॉयर्स को अंधेरे में रखा जा रहा है। तरुण शर्मा ने बताया कि वह पिछले 7 साल से अथॉरिटी और बिल्डर के चक्कर लगा रहे हैं।
लिफ्ट की जगर पर दीवार चलाई
बॉयर्स का कहना है कि भवन निर्माण में भी बिल्डर मानकों की अनदेखी कर रहा है। यमुना प्राधिकरण के निर्देशों के मुताबिक दो मंजिला इमारतों में दिव्यांग जनों की सुलभ पहुंच के लिए लिफ्ट लगाना अनिवार्य है। यमुना प्राधिकरण ने ने लीज डीड में इसका जिक्र किया है। बिल्डर ने भी इसके लिए हामी भरी थी। लिफ्ट लगाने के लिए जगह भी छोड़ी गई थी। लेकिन अब वहां पर दीवारें चला दी गई हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि दिव्यांगजन दूसरी मंजिल पर कैसे पहुंचेंगे। साथ ही इस सोसाइटी को जोड़ने वाली सड़क भी खस्ताहाल है। लेकिन बिल्डर कुछ करने को तैयार नहीं है।