कथा वाचक साध्वी ऋतम्भरा ने नारी शक्ति को प्रवचन दिया
नारी अपनी संस्कृति के लिए मांग में सिंदूर और पैरों में पायल पहनती है: साध्वी ऋतम्भरा
कुछ लोग समाज को बदनाम करने के लिए गलत प्रचार करते हैं: साध्वी ऋतम्भरा
ग्रेटर नोएडा के जेवर क्षेत्र में थोरा बंकापुर गांव में राम कथा का आयोजन किया जा रहा है। सोमवार को राम कथा के दूसरे दिन कथा वाचक साध्वी ऋतम्भरा ने अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर नारी शक्ति को प्रवचन दिया। साध्वी ने शिव-पार्वती विवाह, सती द्वारा मर्यादा पुरुषोत्तम राम की परीक्षा और राजा दक्ष के यज्ञ आयोजन तक की कथा सुनाई। पंडाल में उपस्थित महिलाओं को महिला दिवस की शुभकामनाए दीं। पुरुषों और महिलाओं से समाज से भ्रूण हत्या रोकने की भी अपील की। शिव विवाह के समापन के बाद भव्य आरती के साथ कथा का समापन किया गया।
साध्वी ऋत्मंभरा ने दूसरे दिन की कथा में कहा, "भारत पुरुष प्रधान देश माना जाता है, लेकिन घर के बाहर ही पुरुष मूंछो पर ताव लगाकर घूमते हैं। घर पहुंचते ही भीगी बिल्ली बन जाते हैं।" उन्होने कहा कि इस देश में नारी शक्ति की स्थापना है, लेकिन कुछ लोग समाज को बदनाम करने के लिए गलत प्रचार करते हैं। एकता कपूर का नाम लेते हुए कहा कि उसने पैर की पायल और पांव की बड़ी जैसे सिरियलों में ऐसा दिखाने का प्रयास किया जैसे भारतीय महिलाओं पर कितने अत्याचार हो रहे हैं। सीरियलों को गलत बताते हुए कहा कि भारतीय नारी अपनी संस्कृति के लिए मांग में सिंदूर और पैरों में पायल पहनती है। भारतीय नारी के अगर पांव में पायल है तो उसी नारी के माथे उसके शौर्य को दर्शाने वाली बिंदी भी है।
साध्वी ऋत्मंभरा ने कहा, "इस नारी ने हल्दी घाटी की मिट्टी को सिंदूर मानकर माथे पर लगाया। सावित्री, सत्यवान, पदमावत, रतन सिंह और पन्ना धाय का प्रसंग सुनाते हुए नारियों के शौर्य का बखान करते हुए अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामना दी। साध्वी ने भगवान शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाया। मर्यादा पुरुषोत्तम राम की परीक्षा के बारे में बताया। सती के अपने पिता दक्ष के घर बिना निमंन्त्रण जाने और यज्ञाग्नि में भष्म होने की कहानी बताई। भगवान शिव-पार्वती के विवाह की कथा सुनाई। इस दौरान शिव-पार्वती विवाह की सुंदर झांकी का भी प्रर्दशन किया गया। कथा में मौजूद भाजपा नेता सतेन्द्र शिशौदिया, खुर्जा के विधायक विजेन्द्र सिंह, संजीव शर्मा, संजय चौहान, देवेन्द्र सिंह, मनोज जैन और मोनू गर्ग ने आरती के साथ कथा का समापन कराया।