Tricity Today | भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को सौंपा ज्ञापन।
Delhi News : बिजली वितरण कंपनियों के कथित भ्रष्टाचार का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना से मुलाकात की। इस दौरान बीएसईएस की दो बिजली वितरण कंपनियों में कथित घोटाले की जांच का मुद्दा उठाया। प्रतिनिधिमंडल में विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता, सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी, योगेंद्र चंदोलिया, कमलजीत सेहरावत, प्रवीण खंडेलवाल और मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर शामिल रहे।
बकाया भुगतान नहीं कर रही कंपनी : वीरेंद्र सचदेवा
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने बताया कि दिल्ली की तीनों बिजली वितरण कंपनियां समान शर्तों पर बिजली खरीदती और बेचती हैं, लेकिन जहां एक कंपनी मुनाफे में है, वहीं बीएसईएस की दो कंपनियां घाटे का रोना रो रही हैं। इतना ही नहीं, ये कंपनियां दिल्ली सरकार की प्रगति पावर और इंद्रप्रस्थ पावर को भी बकाया भुगतान नहीं कर रही हैं।
किक-बैक का चल रहा खेल : विजेंद्र गुप्ता
विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने कहा दिल्ली सरकार की चुप्पी बताती है कि इस घोटाले में सरकार की भी मिलीभगत है। सरकार और बिजली कंपनियों के बीच किक-बैक का खेल चल रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले 11 सालों से बीएसईएस की कंपनियां नियमों के खिलाफ जाकर घाटे का बहाना बना रही हैं। राष्ट्रीय बिजली टैरिफ नीति के मुताबिक ऐसा केवल आपदा जैसी विशेष परिस्थितियों में ही किया जा सकता है। मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि पार्टी जल्द ही इस मुद्दे को जन-जन तक पहुंचाएगी, ताकि लोगों को पता चले कि कैसे सरकार और बिजली कंपनियों ने मिलकर उनकी जेब पर डाका डाला है।
उपराज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
भाजपा ने उपराज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में कहा कि बीएसईएस कंपनियों का कुल बकाया 26 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। इन कंपनियों ने एनटीपीसी और एनएचपीसी जैसी केंद्रीय कंपनियों को तो भुगतान किया, लेकिन दिल्ली सरकार की कंपनियों का बकाया नहीं चुकाया। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि टाटा समूह द्वारा संचालित बिजली वितरण कंपनी मुनाफे में है, जबकि बीएसईएस की कंपनियां घाटे का हवाला दे रही हैं। भाजपा नेताओं ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की चुप्पी संदेह पैदा करती है।
पार्टी की पांच प्रमुख मांगे
प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल से पांच प्रमुख मांगें की हैं, जिनमें बकाया राशि की वसूली में देरी की जांच, तत्काल वसूली के लिए कड़े कदम, नियामक संपत्तियों पर स्पष्टीकरण, विशेष जांच और बीएसईएस का लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश शामिल हैं।