सेलुलर कारागार से इंस्पायर होगी नरेला की यह जेल : सुरक्षा ऐसी कि परिंदा भी पर न मार पाए, परियोजना के लिए 100 करोड़ मंजूर

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Delhi News : देश की सबसे सुरक्षित जेलों में शुमार दिल्ली की तिहाड़ जेल के बारे में तो हम सभी जानते हैं। किन्तु, अब राजधानी दिल्ली में तिहाड़ से भी अधिक अतिसुरक्षित जेल का निर्माण होने जा रहा है, जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता। यह जेल दिल्ली के नरेला में बन रही है। आपको बता दें कि इस जेल को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह स्थित सेलुलर जेल से इंस्पायर होकर तैयार किया जा रहा है। 

परियोजना के लिए 100 करोड़ मंजूर
दिल्ली सरकार के गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि जेल बनाने के प्रस्ताव मंजूरी मिल चुकी है। सरकार ने इसके लिए 40 एकड़ जमीन आवंटित की है। पहले चरण का निर्माण जल्द ही 11 एकड़ में शुरू होगा। इस परियोजना के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। नई जेल में 250 सेल होंगे। देखने पर पूरा परिसर एक पहिए की तीलियों जैसा दिखाई देगा।

सेलुलर जेल जैसी होगी डिजाइन
नरेला में बनने वाली यह अत्याधुनिक जेल उच्च-सुरक्षा सुविधाओं से लैस होगी। जैसे ऑटोमेटेड लॉकिंग, एक्स-रे बैगेज स्कैनर, फुल बॉडी ह्यूमन स्कैनर और बॉडी-वॉर्न कैमरे। इससे जेल के अंदर गिरोहों के गठन को नियंत्रित करने और हिंसा की जांच करने में मदद मिलेगी। जेल का डिजाइन देखने पर आपको अंडमान और निकोबार द्वीप समूह स्थित पोर्ट ब्लेयर में मौजूद सेलुलर जेल जैसी लगेगी। इस नवनिर्मित जेल की इमारत को इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि एक ही गार्ड एक ऊंचे केंद्रीय टावर पर रहकर कैदियों पर नजर रख सके। 

एक-दूसरे को देख तक नहीं सकेंगे खतरनाक कैदी
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नरेला जेल में एक ऐसा लॉकिंग सिस्टम होगा, जो दंगों या परिसर के अंदर लड़ाई की स्थिति में स्वचालित रूप से चालू हो जाएगा। गार्डों को भी बॉडी कैमरे दिए जाएंगे। कक्षों को इस तरह से बनाया जाएगा कि खतरनाक कैदियों के पास एक-दूसरे को देखने या बात करने का कोई मौका नहीं होगा, जिससे जेल में गिरोह बनाने की उनकी क्षमता प्रभावित होगी। जेल के कर्मचारियों और कैदियों के परिवारों के लिए सुरक्षा बढ़ा दी जाएगी, लेकिन फोकस ऊंची दीवारें बनाने पर होगा, ताकि फोन, ड्रग्स और अन्य प्रतिबंधित सामान फेंकने से रोका जा सके।

कैदी ऐसे कमा सकेंगे पैसा
दिल्ली सरकार के अधिकारी बताते हैं कि कैदियों को फर्नीचर और खाने-पीने की चीजें बनाने की अनुमति होगी। इसकी मदद से वे पैसे कमा सकते हैं। अधिकारी बताते हैं कि हमारा जेल बनाने का मकसद सुधार करना है, न कि केवल सजा देना। दूसरे चरण में स्टाफ आवास और एक प्रशिक्षण केंद्र की योजना बनाई जाएगी। नई जेल से दिल्ली की अन्य तीन जेलों तिहाड़, मंडोली और रोहिणी का भार कम होने की उम्मीद है। इन तीनों जेल परिसरों में कुल क्षमता 10,000 है, लेकिन दोषी और विचाराधीन कैदियों की संख्या लगभग दोगुनी है।

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