गाजियाबाद : आम आदमी पार्टी का भाजपा विधायकों से सवाल, कहां अंडर ग्राउंड थे कोरोना काल में

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आम आदमी पार्टी की नेशनल कमेटी के मेंबर ठाकुर देवेंद्र सिंह ने एक बयान के माध्यम से सवाल किया है कि "गाजियाबाद की जनता पूछे कि जब करोना कहर से मौत का तांडव चल रहा था। उस समय गाजियाबाद के सभी विधायक कहां अंदर ग्राउंड थे? इस पर जनता सटीक जवाब दे रही है कि वह अपने मांद में खुद को बचा रहे थे और जनता को मरने के लिए छोड़ दिए थे। क्योंकि खुद के जान बेशकीमती और जनता की जान कीड़े मकोड़े समझ रहे होंगे। इसलिए जनता की परवाह नहीं की।" 

उन्होंने कहा कि जब खुद के कार्यकर्ताओं, नेताओं को ये विधायक, मंत्री नहीं बचा पाए, सहूलियत नहीं दिलवा पाए, तो आम जनता की भयावह स्थिति समझा जा सकता है कि कैसे परिवार उजड़ा था। कैसे शहर में अफरा-तफरी और मातम का आलम था। यह पत्थर दिल कलेजा भी समझ जाए। लेकिन उस समय से लेकर अब तक स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग गाजियाबाद में ही है। मानों उनके सीने में पत्थर दिल तक भी नहीं है और वो कुछ भी सहयोग नहीं कर पाए। बेबस नजर आए। 

उन्होंने कहा कि सोचिए स्वास्थ्य मंत्री के रूप में अतुल गर्ग ने यहां पूरी दौड़ भाग की, सभी घोड़े खोल लिए और मजबूरी में अपने ही कॉलेज में मात्र 50 बेड का अस्थाई अस्पताल के लिए दिए जिसे सेवा का दूसरा नाम खालसा हेल्प इंटरनेशनल ने बनाया। जिसको अतुल गर्ग अपने द्वारा बनवाया हुआ बता रहे हैं। इतनी शर्मनाक बात कुछ भी नहीं हो सकती। जनता सोचें कि मात्र 50 बेड का स्थाई अस्पताल जबकी गाजियाबाद जिले की आबादी 19 से 22 लाख की बताई जाती है। उसके लिए ऊंट के मुंह में जीरा समान है या नहीं तय करिए। 

खालसा हेल्प इंटरनेशनल ने इंदिरापुरम में अस्पताल में जब सैकड़ों मरीजों को रोज सेवा दे सकता था तो मंत्री के स्कूल में हजारों बेड की अस्थाई व्यवस्था मंत्री अतुल गर्ग अपने कालेज में सरकारी सहायता से क्यों नही करा पाए? क्या विना पोर्टफोलियो के मंत्री मात्र दिखावे के स्वास्थ्य राज्यमंत्री है? सोचिए मात्र 50 बेड के अस्थाई हॉस्पिटल बनवाने के लिए मंत्री को अपने ही गृह जिला में भागदौड़ करनी पड़ी थी तो बाकी 75 जिलों में कितनी भयंकर दुर्व्यवस्था होगा? अब सोचिए ये मंत्री स्वास्थ्य मंत्री के लायक हैं या नहीं? उत्तर प्रदेश की जनता समझे कि कैसे मंत्री पाई है और वो अपने ही गृह जिले में बेबस होकर इंजेक्शन का हिसाब मांगने के लिए कोविड कंट्रोल रूम जाना पड़ रहा है। जब अपने विधानसभा में व्यवस्था नहीं करा पाए तो राज्य के 75 जिलों में क्या व्यवस्था करा पाए होंगे सोचिए? 

उन्होंने कहा कि कहीं वैक्सीनेशन गलत हो रहा तो कहीं दुधमुंही बच्ची की मौत हो रही लेकिन मंत्री जी कहीं का दौर तक नहीं किए। खुद को जान बचा रहे हैं इसलिए घर से बाहर कदम नहीं रख रहे हैं। अतुल गर्ग जी व्यावसाई है भले व्यावसायियों की दुर्दशा करते रहते हैं। लेकिन वो जानते हैं कि सरकार के गाड़ी की पहिया तभी चलेगी जब राजस्व आएगा। पहले से तैयारी होती तो इसको कम किया जा सकता था लेकिन व्यावसाई मंत्री को पहले व्यावसाय दिखाई दिया जनता बाद मे दिखाई दी।

 

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