Condition Of Rte In Ghaziabad Even After Half The Session Has Passed Rte Admissions Have Not Been Done Gpa Has Been Fighting For The Poor Children For Seven Months
गाजियाबाद में RTE का हाल : आधा सत्र गुजरने के बाद भी नहीं हुए आरटीआई के दाखिले, सात माह से गरीब बच्चों की लड़ाई लड़ रही है जीपीए
Ghaziabad News : गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन (जीपीए) का आरटीई के तहत गरीब बच्चों के दाखिले कराने के लिए पिछले आठ माह से लगातार संघर्ष कर रही है। मंगलवार को एक बार फिर जीपीए ने आरटीई के अभिभावकों के साथ बीएसए कार्यालय पर प्रदर्शन कर कड़ा संदेश दिया। जीपीए के सचिव अनिल सिंह ने बताया कि निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम-2009 की धारा 12 (1)(ग ) केअंतर्गत चयनित समस्त बालक बालिकाओं का दाखिला स्कूलों में सुनिश्चित कराना पूर्णतया उत्तर प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी है। लेकिन आधा शिक्षा सत्र बीत जाने के बाद भी अभिभावक अपने बच्चों के दाखिलों के लिए स्कूल एवं बीएसए कार्यालय के चक्कर लगाने के लिए मजबूर हैं।
सात माह में आठ बार ज्ञापन दे चुकी है जीपीए
पिछले सात महीने के दौरान जीपीए द्वारा आठ से ज्यादा ज्ञापन बीएसए को दिए जा चुके हैं। स्कूलों द्वारा अभिभावकों को सीटें फुल होने की बात कहकर वापस लौटा दिया जाता रहा है, जबकि प्रत्येक बच्चे का चयन स्कूलों में सीटों के अनुसार संवैधानिक प्रक्रिया से शिक्षा विभाग द्वारा किया गया है। अब शिक्षा विभाग ने अपना ही फैसला स्कूलों में लागू नहीं करा पा रहा है। आरटीई अधिनियम के तहत किसी भी स्कूल द्वारा चयनित बच्चे को शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
जीपीए ने बीएसए को याद दिलाई जिम्मेदारी
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने पुन: जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से अनुरोध किया है की आरटीई अधिनियम-2009 की मूल भावना के अंतर्गत निहित समस्त नियमों एवं कानूनों को ध्यान में रखते हुए तत्काल प्रभाव से समस्त चयनित बच्चों का दाखिला स्कूलों में सुनिश्चित कराकर उनकी पढाई शुरू कराई जाए। इस मौके पर धर्मेंद्र यादव, पवन शर्मा, नरेश कुमार, विकास मावी, राहुल कुमार, विपिन कुमार, नीलम कुमारी, राजन, प्रदीप , गोपाल, मीनू हनी, राजू सैफी, बबिता आदि मौजूद रहे।
मान्यता रद्द करने को लिखा पत्र
मामले में दो दिन पहले जिले की समीक्षा करने पहुंचे नोडल अधिकारी और प्रमख सचिव अमृत अभिजात को अधिकारियों ने बताया कि आरटीई के तहत दाखिले नहीं करने वाले स्कूलों की मान्यता के लिए संबंधित बोर्ड को पत्र भेजे गए हैं। हालांकि बता दें कि इस मामले में पहले भी मान्यता रद्द करने के जिले से पत्र गए हैं, पर बोर्ड से आज तक हुआ कुछ नहीं।