रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे : गाजियाबाद में कार सेवा करने वाले दंपत्ति की कहानी

गाजियाबाद | 4 महीना पहले | Sonu Singh

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Ghaziabad News : 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्रीcइस दौरान मंदिर के लिए संघर्ष करने वाले कार सेवकों को भी निमंत्रण दिया जा रहा है। गाजियाबाद स्थित दिल्ली गेट इलाके में रहने वाले विनय सिंघल और उनके चाचा सुनील गुप्ता को दुख है कि कार सेवा करने वाले उनके दादा दादी अब इस दुनिया में नहीं रहे। सुनील गुप्ता बताते हैं कि उनके माता पिता कहा करते थे कि 'रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे', लेकिन अयोध्या जाते समय दोनों अचानक इस दुनिया को छोड़कर चले गए। अब उनकी अंतिम इच्छा को वे पूरा करना चाहते हैं और उनकी तस्वीर के साथ अयोध्या जाना चाहते हैं।

यह है पूरा मामला
सुनील गुप्ता बताते हैं कि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में 22 जनवरी को भगवान राम मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर एक तरफ खुश हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके मन में इस बात को लेकर उदासी है कि कारसेवक रहे उनके पिता सीताराम और माता प्रेमवती का शाहजहांपुर में एक हादसे के दौरान देहांत हो गया था। सुनील गुप्ता के माता पिता ने राम मंदिर को बनाने की कसम खाई थी और कहा था कि 'रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे', गाजियाबाद में भी दोनों लगातार जनसंपर्क करते रहते थे। अपने साथ 40 लोगों को लेकर 1 अप्रैल 1987 को अयोध्या के लिए निकले थे। 3 अप्रैल 1987 को शाहजहांपुर में बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस दुर्घटना में दंपति की दर्दनाक मौत हो गई थी।

फोटो को अयोध्या लेकर जाएंगे 
विनय सिंघल बताते हैं कि वह जब दो साल के थे। उनके दादा दादी शहीद हो गए थे। बचपन में हर बच्चा चाहता है कि वह अपने दादा-दादी की गोद में रहे, उनके साथ वक्त बताए, लेकिन दादा दादी के बलिदान के चलते उन्हें कभी इस प्यार का एहसास ही ना हो सका। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। ऐसे में विनय का सपना है कि वह प्राण प्रतिष्ठा में अपने दादा और दादी की फोटो लेकर अयोध्या जाए। उनका कहना है कि उनके मन में उदासी है कि अगर निमंत्रण मिलता तो दादा-दादी की फोटो को वे अयोध्या लेकर जाते।

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