गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव : कम वोटिंग से डर रही भाजपा, सपा को ध्रुवीकरण से खतरा, बसपा मस्त

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Ghaziabad News : गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव के मतदान होने में करीब एक सप्ताह का समय बचा है। 20 नवंबर को मतदान होना है। तमाम प्रत्याशी अपने- अपने पक्ष में प्रचार के लिए जान झोंके हुए हैं। 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है। उसके बाद गाजियाबाद में स्टार प्रचारकों के दौरे होंगे। हालांकि भाजपा प्रत्याशी के ल‌िए उपमुख्यमंत्री का कार्यक्रम 14 नवंबर को लग चुका है लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 16 या 17 नवंबर को रोड के लिए आने की उम्मीद है। दूसरी ओर सपा- कांग्रेस प्रत्याशी के लिए अखिलेश यादव, राहुल गांधी और प्रियंका के कार्यक्रम की कोशिशें हो रही हैं।

सीएम योगी विजयनगर में करेंगे रोड शो
गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव को लेकर योगी आदित्यनाथ के गाजियाबाद में तीन दौरे हो चुके हैं हालांकि तारीख की घोषणा के बाद केवल एक कार्यक्रम नेहरु नगर में पन्ना प्रमुखों का हुआ है, लेकिन योगी काफी पहले ही चुनाव को लेकर हिंदी भवन में प्रबुद्ध सम्मेलन और उसके बाद घंटाघर रामलीला मैदान में एक जनसभा भी सितंबर माह में कर चुके हैं। ये सभी कार्यक्रम शहर क्षेत्र में हुए हैं, अब लाइनपार में सीएम के कार्यक्रम की बारी है। यह रोड शो होगा। लाइनपार क्षेत्र में भाजपा को सपा प्रत्याशी से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है।

भाजपा की इस चुनाव में दो बड़ी चिंता
गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव भाजपा से संजीव शर्मा मजबूत प्रत्याशी माने जा रहे हैं, लेकिन फिर भी भाजपा की दो बड़ी चिंता हैं। पहली चिंता वोटिंग प्रतिशत और दूसरी चिंता लाइनपार। किसी वजह से वोटिंग प्रतिशत कम हुआ तो यह भाजपा के ल‌िए नुकसानदेह हो सकता है। सपा- कांग्रेस प्रत्याशी लाइनपार क्षेत्र से दलित वर्ग से आते हैं। सीट पर करीब 75 हजार दलित वोटर हैं और बड़ा चंक लाइनपार क्षेत्र से है। इसके अलावा लाइनपार क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता भी काफी है।

सपा की चिंता ध्रुवीकरण
गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव में ध्रुवीकरण होने से सपा को बड़ा नुकसान हो सकता है। खुद सपा को भी इस बात का अहसास है, इसल‌िए सपा इस चुनाव को बहुत एग्रेसिव होकर नहीं लड़ना चाह‌ती। अखिलेश यादव पिछले दिनों आए और एक बैंक्वेट हाल में कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर लौट गए, जबकि ऐसे कार्यक्रम सपा की चुनावी रणनीति में कम ही दिखते हैं। भाजपा जरूर इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करती रही है। हालांकि अखिलेश यादव अभी एक बार जनसभा को संबोधित करने आ सकते हैं, लेकिन वह रोड शो जैसे कार्यक्रम से बचते दिख रहे हैं।

दलित- मुस्लिम मतदाताओं पर दारोमदार
दलित- मुस्लिम मतदाताओं की संख्या जोड़ दी जाए तो आंकड़ा डेढ़ लाख पहुंच जाता है, और यही वह जादुई फीगर है जो किसी भी प्रत्याशी को विधानसभा पहुंचाने के लिए पर्याप्त है। अखिलेश यादव के द्वारा दलित प्रत्याशी के रूप में सिंहराज जाटव का उतारा जाना और पीडीए (पिछड़ा- दलित- अल्पसंख्यक) का नारा देना भी यहीं इशारा करता है। भाजपा अपने कार्यक्रम में लगातार मत प्रतिशत पर बात कर रही है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पन्ना प्रमुखों को यही सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। दूसरे, लाइनपार वालों को अपना बनाने के लिए भाजपा प्रत्याशी बीच चुनाव लाइनपार एरिया में जा बसे।

भाजपा भी सपा से मान रही मुकाबला
भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा ने विधानसभा उपचुनाव में बसपा से मुकाबला बताया है। बसपा से परमानंद गर्ग प्रत्याशी हैं, लेकिन सियासी जानकार कह रहे हैं कि भाजपा प्रत्याशी का बसपा से मुकाबला बताने का मतलब यह है कि भाजपा अपनी लड़ाई सपा से मान रही है और इसका कारण सपा प्रत्याशी का दलित और लाइनपार क्षेत्र से होना है, लेकिन देखना यह भी है आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी सत्यपाल चौधरी और एआईएमआईएम प्रत्याशी रवि गौतम भी चुनाव मैदान में हैं। रवि गौतम खुद दलित समाज से आते हैं और सत्यपाल चौधरी की पार्टी दलित समाज में दखल रखती है। इसलिए उपचुनाव में सभी पार्टियों कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती।

यह चुनाव भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती
लेकिन यह चुनाव जीतना सबसे बड़ी चुनौती भाजपा के लिए है। उसके दो कारण ह‌ैं। पहला सीट पर भाजपा विधायक अतुल गर्ग के इस्तीफे से खाली हुई है- दूसरे, लखनऊ और दिल्ली में भाजपा की सरकार है, जाहिर तौर पर उपचुनाव के परिणाम कहीं न कहीं सरकारों का रिपोर्ट कार्ड भी माने जाएंगे। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में जिस तरह सपा ने 37 सीटों पर जीत हासिल कर भाजपा को रोकने का काम किया था, यदि उपचुनाव में भी ट्रेंड वैसा ही रहा तो भाजपा विधानसभा चुनाव- 2027 को लेकर खतरे में आ जाएगी।

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