गाजियाबाद कोर्ट परिसर प्रकरण : कचहरी में बेमियादी धरना जारी, वकील बोले - जिला जज के बर्खास्त होने तक नहीं उठेंगे, ऑडियो VIRAL

Tricity Today | वकीलों के धरने को संबोधित करते पूर्व बार अध्यक्ष राकेश त्यागी कैली।



Ghaziabad News : गाजियाबाद में जिला जज के कोर्ट रूम में वकीलों पर लाठीचार्ज के विरोध में वकीलों का बेमियादी धरना जारी है। बुधवार को तीसरे दिन भी तमाम अधिवक्ता धरना स्थल पर डटे रहे। वकीलों का कहना है कि जिला जज के बर्खास्तगी से कम पर हम मानने वाले नहीं है। वकीलों ने तय कर लिया है कि बर्खास्तगी का आदेश होने के बाद ही धरने से उठेंगे। बुधवार को कोर्ट परिसर के गेटों पर ताले पड़े रहे। वादकारियों को कोर्ट जाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई पेशी
कचहरी में बार एसोसिएशन और जिला बार एसोसिएशन का धरना अलग-अलग चल रहा है। अधिवक्ताओं के कोर्ट में पेश न होने के चलते न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़ाने में दिक्क्त हो रही है, हालांकि जेल बंदियों की कोर्ट में पेशी के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का सहारा लिया जा रहा है, लेकिन वकील की गैर मौजूदगी के चलते ऐसे मामलों में भी केवल तारीख ही दी जा रही है। सुनवाई न हो पाने से सबसे बड़ी दिक्कत जमानत के मामलो में आ रही है।

ऑडियो प्रसारित होने कर चर्चा
बुधवार को वकीलों के बीच एक आडियो भी प्रसारित हुआ है। बताया जा रहा है कि इस ऑडियों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश हाइकोर्ट बेंच संघर्ष समिति के अध्यक्ष और बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश के सदस्य रोहिताश्व अग्रवाल से गाजियाबाद बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव विश्वास त्यागी के बीच हुई बातचीत है। ऑडियो में बातचीत के दौरान आरोप लगाया गया है कि वकीलों में आंदोलन को बेचे जाने की चर्चा है। हालांकि रोहिताश्व अग्रवाल ने बातचीत के दौरान ही इस आरोप को बेबुनियाद बताया है।

टाइपिस्ट में हड़ताल में शामिल हुए
मंगलवार को की गई घोषणा के मुताबिक बुधवार को कचहरी के टाइपिस्ट भी वकीलों की हड़ताल में शामिल हो गए। टाइपिस्टों के द्वारा काम बंद किए जाने के बाद लोगों को प्रार्थना पत्र तैयार कराने का विकल्प भी कचहरी में नहीं मिला। बता दें कि कोर्ट खुली हुई हैं और कोई वादकारी जाना चाहे तो कोर्ट जा सकता है, ऐसे में कुछ वादकारी अपना जरूरी काम टाइपिस्टों से एप्लीकेशन तैयार कराने के बाद खुद पेश होकर कर लेते हैं। कचहरी में बैठने वाले करीब सौ टाइपिस्ट भी बुधवार से काम का बहिष्कार कर हड़ताल पर चले गए।

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