Tricity Today | राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान, गाजियाबाद
Ghaziabad News : दिल्ली के एम्स की तर्ज पर गाजियाबाद में बने राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान में अब एमडी और एमएस की पढ़ाई भी होगी। मेडिकल काउंसिल ने यूनानी चिकित्सा संस्थान को पहली बार 49 आवंटित की है। संस्थान के ओएसडी डा. सैयद शाह आलम ने बताया कि सीटें आवंटित होने के बाद संस्थान में एमडी और एमएस में एडमिशन के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग शुरू हो गई है। काउंसलिंग पूूरी होने के बाद चुने हुए उम्मीदवारों को यूनानी चिकित्सा पद्धति में एमडी और एमएस की पढ़ाई कराई जाएगी। उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि एडमिशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद नवंबर माह में पढ़ाई शुरू हो जाएगी।
उत्तर भारत का सबसे बड़ा यूनानी अस्पताल है
कमला नेहरु नगर में 10 एकड़ भूमि पर बनकर तैयार हुए राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान में उत्तर भारत का सबसे बड़ा यूनानी अस्पताल है। अस्पताल में दो सौ बेड की व्यवस्था है और रोजाना एक हजार से अधिक रोगी ओपीडी का लाभ प्राप्त करते हैं। संस्थान में यूनानी पद्धति में मास्टर डिग्री और पीएचडी की पढ़ाई के लिए मेडिकल कॉलेज भी बनाया गया है। संस्थान में श्रीलंका, ईरान, बांग्लादेश, उजबेकिस्तान व अन्य देशों के छात्रों को यूनानी पद्धति की पढ़ाई कराई जाएगी।
भारत सरकार की प्राथमिकता पर यूनानी चिकित्सा
राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान भारत सरकार की प्राथमिकता वाले प्रोजेक्ट में शामिल होने के कारण तीन साल में बनकर तैयार हो गया। इसका शिलान्यास 2019 में हुआ था तो दिसंबर 2022 में 381 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुए संस्थान का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पण कर दिया था। लोकार्पण के साथ ही संस्थान की ओपीडी में अच्छी खासी संख्या में रोगी पहुंचने शुरू हो गए थे। संस्थान में मुख्य रूप से जड़ी बूटियों के सहारे गठिया, सफेद दाग, एग्जिमा, अस्थमा, माइग्रेन, मलेरिया एंव फाइलेरिया, पेट की समस्या, और हड्डी रोगों का इलाज हो रहा है।
यूनानी चिकित्सा पद्धति में बढ़ रहा लोगों को भरोसा
संस्थान के ओएसडी डा. सैयद शाह आलम ने बताया कि भारत ही नहीं पूरी दुनिया में वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों से उपचार लेने वालों की संख्या बढ़ रही है। जाहिर तौर पर यूनानी चिकित्सा पद्धति पर भी लोगों का भरोसा बढ़ रहा है। यह उपचार की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें कोई साइड इफेक्ट होने का खतरा नहीं रहता, इसीलिए लोग एलापैथिक चिकित्सा पद्धति के रूप में यूनानी चिकित्सा पद्धति की ओर बढ़ रहे हैं।